डीएनए हिंदी: पाकिस्तान (Pakistan) सरकार के दबाव में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कश्मीर (Kashmir) में जिहाद (Jihad) को जायज ठहराते हुए ट्वीट कर किया है. इन कंपनियों में दक्षिण कोरिया की 2 सबसे बड़ी कंपनियां हुंडई (Hyundai) और किआ (Kia) शामिल हैं. इसके अलावा पिज्जा हट और केएफसी जैसी कंपनियों ने भी इसी तरह के ट्वीट किए हैं.
भारत सरकार ने इस पूरे मामले को बहुत गंभीरता से लिया है. मंगलवार को भारत के विदेश मंत्री ने इस संबंध में दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री से बात की है. इन कंपनियों के लिए भारत बड़ा फैक्टर है. अगर हमारा देश इनके उत्पादों को खरीदना बंद कर देता है तो इन कंपनियों की आर्थिक स्थिति चरमरा जाएगी.
पाकिस्तान हर साल 5 फरवरी को कश्मीर एकजुटता दिवस मनाता है, जिसकी शुरुआत उसने 1990 में की थी. इसके जरिए पाकिस्तान कश्मीर पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करता है, आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी कहता है और कश्मीर में मौजूद अलगाववादी ताकतों का भी समर्थन करता है. इस बार पाकिस्तान ने कश्मीर पर भारत को बदनाम करने के लिए ऐसी कंपनियों का इस्तेमाल किया जो यहां अच्छा कारोबार कर रही हैं, जिनके उत्पादों और सेवाओं का इस्तेमाल लाखों भारतीय करते हैं.
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किन कंपनियों ने किया भारत के खिलाफ ट्वीट?
पाकिस्तान की टूलकिट बनी कंपनियों में दक्षिण कोरियाई कार निर्माता हुंडई भी शामिल है जिसकी कश्मीर पर भारत विरोधी पोस्ट को एक पाकिस्तानी ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया था. पोस्ट में लिखा गया था, 'आइए कश्मीरी भाइयों के बलिदान को याद करें और उनका समर्थन करें ताकि वे आजादी के लिए लड़ते रहें.' इसे कश्मीर एकजुटता दिवस के साथ ट्वीट किया गया था.
इसके साथ ही एक तस्वीर भी शेयर की थी जिसमें कश्मीर को कंटीले तारों में बांधकर दिखाया गया है. हुंडई के अलावा एक अन्य दक्षिण कोरियाई कंपनी किआ, अमेरिकी कंपनियां पिज्जा हट और केएफसी ने भी पाकिस्तानी ट्विटर हैंडल से कश्मीर की आजादी के लिए इसी तरह के ट्वीट किए हैं. जब आप इन ट्वीट्स की भाषा पढ़ेंगे और इनका पैटर्न देखेंगे तो आपको लगेगा कि इन सभी ट्वीट्स की स्क्रिप्ट एक ही है. शायद यह स्क्रिप्ट राइटर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार है.
भारत के एक्शन के बाद कंपनियों ने क्या किया?
पाकिस्तान स्थित मल्टीनेशनल कंपनियों की ओर से किए गए सिलसिलेवार ट्वीट्स के बाद भारत में इन कंपनियों के संचालन को लेकर सफाई दी गई है. इन कंपनियों ने ट्वीट्स पर खेद भी जताया है. हुंडई ने अभी तक इस मामले में माफी नहीं मांगी है लेकिन आश्वासन दिया है कि कंपनी कश्मीर पर भारत के रुख का सम्मान करती है. राजनीतिक और धार्मिक मुद्दों पर जीरो टॉलरेंस की नीति के पक्ष में है.
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सोमवार को विदेश मंत्रालय ने भारत में दक्षिण कोरिया के राजदूत को भी तलब किया था, जिन्होंने इस पूरी घटना पर खेद जताया है. इसके बाद हुंडई पाकिस्तान ने भी कश्मीर पर अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे पर दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री से बात की है.
भारत से पंगा पड़ सकता है भारी!
विदेशी कंपनियों के लिए भारत का मतलब बड़ा कारोबार है. पाकिस्तान में इन कंपनियों को खरीदार आसानी से नहीं मिलते. हुंडई भारत में हर साल औसतन 5,00,000 कारें बेचती है. पाकिस्तान में बमुश्किल 8,000 सालाना बिकते हैं. पिज्जा हट के भारत में कुल 391 आउटलेट हैं. पाकिस्तान में यह संख्या केवल 40 है. यही हाल केएफसी (KFC) और अन्य कंपनियों का है. इन कंपनियों को समझना चाहिए कि अगर भारत के 140 करोड़ लोग इन कंपनियों के उत्पादों और सेवाओं को लेना बंद कर दें तो उनका क्या होगा. इसे इसराइल के एक उदाहरण से समझा जा सकता है.
संयुक्त राज्य अमेरिका में बेन एंड जेरी एक प्रसिद्ध आइसक्रीम ब्रांड है. पिछले साल, कंपनी ने 2021 की शुरुआत से फिलिस्तीन के उन इलाकों में अपनी आइसक्रीम नहीं बेचने का फैसला किया, जहां अब इसराइली रहते हैं. कंपनी ने कहा कि इसराइल ने इन इलाकों पर जबरन कब्जा कर लिया है.
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इजरइली सरकार और उसके लोगों ने इस देश में आइसक्रीम का बहिष्कार करने का फैसला किया जिससे पूरी दुनिया को पता चले. इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका में इसरायल के राजदूत ने अमेरिका के उन 35 राज्यों के राज्यपालों को 35 पन्नों का पत्र लिखा जहां इसराइल के बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाए गए हैं.
क्या बदलेंगे देश में कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कानून!
इसरायल और उसके लोग अपने देश का विरोध करने वाली एक कंपनी के खिलाफ एक साथ खड़े हो गए. अब कल्पना कीजिए कि अगर भारत के लोग हुंडई और केएफसी जैसी कंपनियों के खिलाफ एक साथ आ गए तो क्या ये कंपनियां भारत के आंतरिक मामलों पर किसी और देश से इस तरह के ट्वीट कर पाएंगी? भारत ने आज जिस तरह से इस मामले में अपना कड़ा रुख दिखाया है, वह एक नए अध्याय की शुरुआत है. आज हम अपनी तरफ से एक सुझाव देना चाहते हैं. इन घटनाओं के बाद यह संभव हो सकता है कि भविष्य में, भारत सरकार विदेशी कंपनियों के लिए अनिवार्य शर्त रखेगी कि अगर भारत में व्यापार करना है तो भारत की नीतियों का सम्मान करना जरूरी होगा.
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