डीएनए हिंदी : 1919/1920 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक पुलिस अफसर के घर पैदा हुए मजरूह को पिता ने अंग्रेजी तालीम नहीं दिलवाई तो वे अरबी में 'आलिम' हो गए. शुरुआत बतौर हकीम हुई पर दिल था कि शेर ओ शायरी के अलावा कहीं लगता ही नहीं था. हुआ यूं कि पिता के दवाब में हकीमी कर रहे मजरूह(Majrooh Sultanpuri) ने पहला मुशायरा किया और मशहूर हो गए. 


चुरा लिया है तुमने जो दिल को 
उम्र का पच्चीसवां/छब्बीसवां साल रहा होगा. मजरूह(Majrooh Sultanpuri) को मुंबई से न्योता मिला एक मुशायरे का. युवा शायर ने यहां सारा आलम लूट लिया.इस मुशायरे में उनकी ग़ज़लों की इतनी तारीफ हुई कि तब के नामी फिल्म निर्माता ए आर करदार ख़ुद उन्हें मशाल जलाए ढूंढ़ते फिरने लगे. करदार साहब को साथ मिला तब के नामचीन शायर जिगर मुरादाबादी का. हालांकि शायर मजरूह फ़िल्म की दुनिया से भागते फिर रहे थे. उन्हें फ़िल्मी गीत नहीं लिखना था और फिर उनके अल्फ़ाज़ को फिल्म और इसके दीवानों ने इतनी मुहब्बत दी कि उनके नाम 2,000 से अधिक गीत आए. 

Emotional Eating क्या बला है? जानिए इससे कैसे बचा जा सकता है?
1946 में हुई थी शुरुआत 
मजरूह सुल्तानपुरी(Majrooh Sultanpuri) के फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1946 में शाहजहां फिल्म से हुई थी. इसके गीत अचानक ही ख़ूब मशहूर हो गए. के. एल. सहगल ने इस फिल्म के गीत जब दिल ही टूट गया को अपने अंतिम संस्कार पर बजवाने की फरमाइश की थी. यह सफर जो शुरू हुआ तो बरास्ते अंदाज़, आरज़ू, आर-पार, क़यामत से क़यामत तक कई पीढ़ी बाद के अभिनेता शाहरुख़ की फिल्म वन टू का फोर तक जारी रहा.
उन्हें क्लासिक शायर कहा जाता था पर उन्हें याद हर दौड़ में उनकी गीतों की ताज़गी के लिए किया जाता है. जब भी उन्होंने लिखा, उसमें एक ताज़गी रही. यह कुछ भी ज़्यादा नहीं होगा अगर दर्ज किया जाए कि मज़रूह अब तक के सफलतम गीतकारों में एक रहे हैं जिन्होंने अपनी उम्र को पीछे रखकर दौर और ताज़गी का एहतिराम पहले किया. यही बात थी जो मज़रूह 'ऐ दिल है मुश्किल जीना यहां' लिखने वाले मजरूह वन टू का फोर के वक़्त 'आय एम् सॉरी' सरीखे नई उम्र के गीत लिखते हैं.  ज़ाहिर है, यही विविधता उन्हें इस लायक बनाती है कि 1993 में वे दादा साहब फाल्के पुरुस्कार पाने वाले पहले गीतकार बने. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
 

Url Title
Majrooh Sultanpuri wrote more than 2000 songs including shahrukh khan songs
Short Title
नहीं बनना था शायर मगर बन बैठे, क़िस्सा - ए- मजरूह सुल्तानपुरी
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
मजरूह सुल्तानपुरी
Date updated
Date published
Home Title

Majrooh Sultanpuri Death Anniversary : नहीं बनना था शायर मगर बन बैठे, क़िस्सा-ए-मजरूह सुल्तानपुरी