डीएनए हिंदी: टी20 क्रिकेट वर्ल्डकप (T20 Cricket World Cup) के रोमांच के बीच रोजाना बड़े पैमाने पर सट्टेबाजों को धरे जाने की खबरें भी लगातार आ रही हैं. देश में सट्टेबाजी अवैध है, लेकिन फिर भी क्रिकेट सीजन में करोड़ों क्या अरबों रुपये का सट्टा खेला जाता है. अब डिजिटलाइजेशन के दौरा में यह अवैध कारोबार भी ऑनलाइन हो गया है, जिससे सट्टेबाजों को पकड़ना नामुमकिन सा हो गया है. अब कोई भी व्यक्ति दुनिया में कहीं भी बैठकर कहीं पर भी सट्टा लगा सकता है. ऑनलाइन सट्टेबाजी का मौका देने वाली ज्यादातर ऐप्स के सर्वर विदेशी धरती पर हैं, जिनसे टैक्स के नाम पर एक रुपया भी भारतीय अर्थव्यवस्था में नहीं आता है यानी इनके चलते देश की इकोनॉमी का नुकसान हो रहा है.
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10 लाख करोड़ का है अवैध सट्टेबाजी का बाजार
दोहा के इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पोर्ट सिक्योरिटी ने साल 2016 में अवैध सट्टेबाजी पर एक रिपोर्ट दी थी. इसमें तब भारत में अवैध सट्टेबाजी का कारोबार 150 बिलियन यानी करीब 10 लाख करोड़ रुपये का होने का दावा किया गया था. वहीं, क्रिकेट संचालन में गड़बड़ी की जांच करने वाली जस्टिस लोढा कमेटी ने बताया था कि भारत का सट्टा बाजार करीब 82 बिलियन डॉलर यानी करीब 6 लाख करोड़ रुपए का है. इस हिसाब से देखा जाए तो बहुत बड़ी रकम पर सरकार को टैक्स के नाम पर एक भी रुपया नहीं मिलता. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर इस सेक्टर का सही तरीके से दोहन किया जाए तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत मदद मिलेगी.
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सरकार ने जारी की थी एडवाइजरी
3 अक्तूबर को केंद्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी. इसमें बताया गया था कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापन दिखाए जाना बंद नहीं हो रहा है. सरकार ने नाम लेकर बताया था कि देश के बाहर से सट्टेबाजी के ऐड प्रसारित हो रहे हैं. साथ ही चेताया था कि ये अगर न रोका गया तो तो सरकार दंडात्मक कारवाई भी कर सकती है.
"सरकार के संज्ञान में यह आया था कि टेलीविजन पर कई स्पोर्ट्स चैनल के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म हाल में विदेशी ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म के साथ-साथ उनकी सेरोगेट न्यूज वेबसाइटों के विज्ञापन दिखा रहे हैं। एडवाइजरी को साक्ष्यों के साथ जारी किया गया, जिसमें फेयरप्ले, परीमैच, बेटवे, वुल्फ 777 और 1xबेट जैसे ऑफशोर सट्टेबाजी प्लेटफार्मों के प्रत्यक्ष और सरोगेट विज्ञापन शामिल थे. सरोगेट समाचार वेबसाइटों के लोगो सट्टेबाजी के प्लेटफॉर्म के समान हैं".
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अवैध सट्टेबाजी पर लगाम से अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
फेडरेशन ऑफ चेम्बर ऑफ कऑमर्स और इंडस्ट्री (FICCI) ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में कुल सट्टा बाजार करीब 41 बिलियन डालर यानि 3 लाख करोड़ रुपयों का बताया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर इस सेक्टर को सही कानूनी जामा पहना कर सही ढंग से दोहन किया जाए तो भारत के लिए अरबों रुपये का राजस्व बना सकता है. जस्टिल लोढा कमेटी ने भी इग्लैंड का उदाहरण देकर कहा था कि सट्टेबाजी को कानूनी रूप देने से खेल से जुड़ी कई समस्याएं खत्म हो जाएगीं.
बढ़ रही है ऑनलाइन बेटिंग
बेहतर और तेज इंटरनेट, किफायती स्मार्टफोन और खर्च करने की क्षमता बढ़ने से ऑनलाइन सट्टेबाजी का बाजार बढ़ता जा रहा है. मध्यम वर्ग आसानी से ऑनलाइन सट्टेबाजी खेल सकता है. कोई भी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) क्रिकेट मैच के किसी भी कल्पनीय पहलू पर दांव लगा सकता है. इन ऑनलाइन सट्टेबाजी पोर्टल पर सिक्का उछालने के परिणाम से लेकर गेंदबाजों के प्रदर्शन तक, या किसी बल्लेबाज द्वारा "सेंचुरी" रन बनाने की संभावना पर सट्टा लगाया जा सकता है.
सरकार कस रही है शिकंजा
भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी और अधिक जोर पकड़ रही है. भारत में देश के बाहर से चलने वाले कई ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफार्म बदस्तूर अपना काम चला रहे हैं. इन पर नकेल कसने के लिए सरकार ने अलग अलग समय पर कई एडवाइजरी भी जारी की है.इसके साथ साथ पिछले कुछ महीनों में ED ने भी इन ऑफशोर ऑनलाइन सट्टेबाजी (Offshore Online Betting) चला रहे कई कंपनियों पर रेड डाली है.
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अवैध ऑफशोर ऑनलाइन सट्टेबाजी से हो रही टैक्स चोरी, मिल रहा Indian economy को झटका