डीएनए हिंदी: घर खरीदना या उसका रेनोवेशन करवाना जेब पर भारी पड़ सकता है. जब हमें घर में बदलाव करने की या इसे खरीदने की सबसे ज्यादा जरुरत होती है तो हमारे पास इतने रुपये नहीं होते कि हम यह खर्चे उठा सकें. लेकिन हम अपनी जरुरतें पूरी करने के लिए होम लोन की सुविधा उठा सकते हैं.
होम लोन के लिए अप्लाई करते समय हम EMI और इसके साथ अन्य फीस की कैलकुलेशन करते हैं. लेकिन इन सब के बीच हम होने वाले अन्य खर्चों पर नजर ही नहीं डालते हैं. जिन्हें बैंक्स बड़ी ही आसानी से आपसे उगाहते हैं. यहां हम आपको होम लोन अप्लाई करने से कुछ ऐसे ही खर्चों के बारे में बताएंगे जिन्हें आप अनदेखा कर देते हैं:
प्रोसेसिंग शुल्क: होम लोन लेने के लिए आपको एक एप्लीकेशन देना होता है. जिसके साथ एप्लीकेशन फी भी जुड़ जाता है. इसके बाद क्रेडिट अंडरराइटिंग प्रोसेस, जिसमें KYC, वित्तीय मूल्यांकन, रोजगार सत्यापन, क्रेडिट इतिहास मूल्यांकन आदि शामिल हैं.
तकनीकी मूल्यांकन शुल्क और कानूनी लागत: ऋणदाता संपत्ति की हालत और मार्केट वैल्यू पता करने के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट्स को काम पर रखते हैं. इसकी भी फी अलग होती है, जबकि यह फ़ीस प्रोसेसिंग फी में ही सम्मिलित किया जा सकता है. अगर लोन मिलने के बाद आपको आपके घर का कब्ज़ा नहीं मिल जाता है तो ऋणदाता कब्ज़ा मिलने तक साधारण लोन लेता है जिसे 'प्री-ईएमआई' कहा जाता है.
स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क: सेल डीड मिलने के बाद असली दस्तावेज ऋणदाता के पास रहते हैं जब तक कि उधार लेने वाला व्यक्ति पूरी तरह से उधार नहीं चुका देता है. इन सब के बीच एक memorandum of deposit of title होता है जिसमें स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क शामिल होता है. इस शुल्क का भुगतान लोन लेने वाला व्यक्ति ही करता है.
होम लोन रि-सैंक्शन चार्जेस: होम लोन सैंक्शन की अनलिमिटेड वैलिडिटी नहीं होती है. अगर दिए गए समय के अंतर्गत उधारकर्ता देरी करता तो उसे दुबारा लोन के लिए रि-सैंक्शन की अर्जी डालनी होगी. जिसपर अलग से शुल्क लगेगा.
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