डीएनए हिंदी:

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता 
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों

ये शब्द पढ़कर जितनी प्रेरणा मिलती है उससे आधी भी अगर हम सही दिशा में इस्तेमाल कर पाएं तो समझिए कि राह मिल गई है मंजिल भी मिल ही जाएगी. मंजिल पाने और अपना लक्ष्य हासिल करने के सपने को लिए दिलीप कुमार बारिक भी हर संडे घर से निकलते हैं और इस पर्यावरण की जान बचाने के लिए चल पड़ते हैं. दिलीप HOPE OF LIFE नाम की एक एनजीओ चलाते हैं और Plastic Waste के खिलाफ एक लड़ाई लड़ रहे हैं. 

उड़ीसा के राउरकेला के रहने वाले दिलीप से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया, 'वैसे तो शहर स्मार्ट सिटी बन चुका है लेकिन साउथ राउरकेला में वेस्ट मैनेजमेंट का कोई सिस्टम नहीं है. तीन से चार लाख की आबादी वाला यह इलाका पिछले करीब चार-पांच सालों में एक बड़ा गार्बेज सेंटर बन चुका था. हर जगह कूड़े के ढेर ही नजर आते थे. हमने तीन महीने पहले यानी अक्टूबर 2021 से इस इलाके में काम करना शुरू किया. हम हर संडे वहां जाते थे और वेस्ट कलेक्ट करते थे. हमारा खास ध्यान प्लास्टिक वेस्ट पर रहता था. शुरुआत में हमारी टीम में केवल 15 से 20 लोग थे इनमें स्कूल और कॉलेज के बच्चे शामिल थे लेकिन धीरे-धीरे लोग जुड़ने लगे. हम पिछले तीन महीनों में वहां से तीन टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट निकाल चुके हैं.

Plastic Waste

यह प्लास्टिक वेस्ट यहां से ट्रकों में भरकर राउरकेला के स्टील प्लांट में डंप किया जाता है फिर वहां से यह आगे जाता है. दिलीप कहते हैं कि अब उनका अगला टार्गेट थर्माकोल के बर्तन हैं. उन्होंने कहा, रेस्त्रां और स्ट्रीट फूड वेंड ज्यादातर थर्माकोल का इस्तेमाल करते हैं यह भी पूरी तरह डिस्पोज नहीं होते. हमारी कोशिश है कि हम वेंडर्स से बात करें और उन्हें बड़े स्तर पत्ते से बने डोने और थालियां इस्तेमाल करने के लिए कहें. इससे लोकल लोगों का काम भी मिलेगा और पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी.

मजेदार तरीके से लेते हैं सोशल मीडिया की मदद

दिलीप ने बताया, हम मोहल्लों पर फोकस करते हैं. हम जब भी किसी मोहल्ले में सफाई के काम के लिए पहुंचते हैं तो वीडियो और तस्वीरें भी अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर करते हैं ताकि लोग देखें और हमसे जुड़ें. अपने मोहल्ले की सफाई देखने के बाद वह आगे किसी दूसरी जगह जाने के लिए खुद भी आगे आएं और दूसरों को भी प्रेरित करें. 

Plastic waste 1

दिलीप ने बताया कि धीरे-धीरे उन्हें अपने आस-पास बदलाव दिखने भी लगा है. इलाके के मंदिर से जुड़े लोग पूजा-पाठ के साथ-साथ साफ-सफाई पर भी ध्यान देने लगे हैं और उनकी टीम भी बढ़ रही है. दिलीप कहते हैं, हमारा मकसद गंदगी और प्लास्टिक के कचरे की गंभीरता लोगों को समझाना है. यह किसी एक दिन के प्रोग्राम से नहीं होगा इसके लिए लगातार काम करना होगा. हमारे लिए सबसे जरूरी है कि हम आगे आएं और अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझें.

मोहल्ला लेवल पर बनाई जाती है टीम

दिलीप ने बताया कि वह मोहल्ले के लेवल पर लोगों को साफ-सफाई के लिए जागरुक करने के लिए टीम बनाते हैं. इन टीमों में मोहल्ले में रहने वाले सभी लोग शामिल होते हैं. सभी लोग 5-5 रुपए मिलाकर एक रेहड़ी वाले को बुलाते हैं और कूड़ा किसी बड़े कूड़ेदान तक पहुंचवा देते हैं. इससे वह कम खर्च में अपने आस-पास फैले कचरे से भी निजात पाते हैं और बीमारियों से भी बचते हैं. वह कहते हैं कि यह एक ऐसा आसान तरीका है जिसे कोई भी अपना सकता है और अपने आस-पास सफाई रख सकता है. 

Plastic waste

बता दें कि दिलीप साल 2014 से Hope Of Life संस्था चला रहे हैं. वह पेशे से एक Pharmaceutical Company में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव हैं. वह हर संडे अपनी टीम के साथ मिलकर काम करते हैं.

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Dilip Barik from Rourkela extracted around three ton plastic waste from a residential area
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संडे को आराम नहीं सफाई करते हैं Dilip Barik, रिहायशी इलाके से निकाला 3 टन कचरा
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Dilip kumar Barik Plastic waste
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Dilip kumar Barik Plastic waste drive

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संडे को आराम नहीं सफाई करते हैं Dilip Barik, एक रिहायशी इलाके से निकाला 3 टन Plastic Waste