डीएनए हिंदी: वक्त बदल दिया, जज्बात बदल दिया, इस क्रिप्टो ने हालात बदल दिया. जी हां, अब निवेशकों का ज्यादा रुझान क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) की तरफ दिख रहा है. इन दिनों यह चर्चा का सबसे लोकप्रिय टॉपिक बना हुआ है. जहां देखो, जिधर देखो सब क्रिप्टो के बारे में ही बात कर रहे हैं. भारत की लगभग 7.3 फीसदी आबादी के पास कुछ न कुछ मात्रा में क्रिप्टो करेंसी है ही. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस डिजिटल करेंसी को लेकर आशंकित हैं.
क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) कैसे संचालित होती है?
ज्यादातर क्रिप्टो करेंसियां ब्लॉकचेन (blockchain) से ऑपरेट होती हैं. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) में ब्लॉक्स एक बेसिस (आधार) की तरह काम करते हैं. किसी भी लेनदेन को इन ब्लॉक्स के भीतर रिकॉर्ड और समयबद्ध किया जाता है. सभी ब्लॉक्स एक दूसरे से जुड़े होते हैं. जिसकी वजह से हैकर्स को आपके लेनदेन के डिजिटल लेजर में सेंध लगाने के लिए एक-एक ब्लॉक को उलटना-पलटना पड़ेगा. मतलब ब्लॉकचेन में हैकिंग की कोशिश करनी मुर्खता है. ब्लॉक चेन तीन मुख्य प्रकार की क्रिप्टोकरेंसियों के साथ जुड़ी हुई हैं. पहली ब्लॉकचेन बिटकॉइन (Bitcoin) थी, इसके बाद ऑल्टकॉइन्स (Altcoins) और टोकन्स (Tokens)आईं. जो बेहद सुरक्षित हैं.
बिटकॉइन (Bitcoin)
बिटकॉइन (Bitcoin) को बनाने वाले को लेकर बहुत से रहस्य हैं. कुछ लोगों का कहना है कि इसको बनाने वाले का नाम सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) है. जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह बस एक रूपांतरित नाम है. जबकि कुछ लोग मानते हैं कि यह कुछ लोगों का ग्रुप है जिन्होंने बिटकॉइन की खोज की है. बिटॉइन्स को 2008 में बनाया गया था और इसे जनवरी 2009 में एक डिजिटल करेंसी के रूप में लॉन्च किया गया था. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जुड़ी हुई प्रणाली है जहां पर प्रत्येक लेनदेन दो लोगों के बीच में होता है. जो कि किसी भीअनाधिकृत पहुंच से सुरक्षित है.
ऑल्टकॉइन (Altcoins)
मौजूदा समय में 1000 से ज्यादा ऑल्टकॉइन (Altcoins) सर्कुलेशन में हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण एथेरियम (Ethereum) और कार्डानो (Cardano) हैं. हालांकी बिटकॉइन (Bitcoin) सबसे पुरानी और जानी-पहचानी क्रिप्टो करेंसी है. एथेरियम और कार्डानो ने पिछले कुछ समय से सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी तरह आकर्षित किया है. इन प्लेटफार्म्स को डेवलपर्स को ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) का उपयोग करके एप्स बनाने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया था.
टोकन्स (Tokens)
दूसरी कई क्रिप्टोकरेंसियों के उलट, क्रिप्टो टोकन्स (crypto tokens)एसेट-आधारित होते हैं और उनकी ब्लॉकचेन में मौजूद होते हैं. क्रिप्टो टोकन्स क्राउड फंडिंग के जरिये से धन जुटाने के लिए भी इम्पोर्टेन्ट हैं. टोकन का इस्तेमाल पैसे को स्टोर करने, इन्वेस्ट करने, या चीज़ों को खरीदने में किया जा सकता है. पेमेंट टोकन्स का इस्तेमाल पैसे को स्टोर करने में किया जाता है जबकि यूटिलिटी टोकन्स का इस्तेमाल किसी ब्लॉकचेन (blockchain) - आधारित उत्पाद या सेवा में पहुंच प्राप्त करने के लिए किया जाता है. इसके बेहतरीन उदाहरण लाइटकॉइन (Litecoin) और डैश (Dash) हैं.
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