डीएनए हिंदी: बछेंद्री पाल का उत्तराखंड में हुआ और हिमालय की गोद में उनका बचपन बीता था. उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि एक रोज वह पेशेवर पर्वतारोही बनेंगी लेकिन अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने असंभव लगने वाले इस लक्ष्य को पूरा कर दिखाया है. 24 मई 1954 को जन्मीं बछेंद्री के जिंदगी की कहानी में परेशानी और रुकावटों का लंबा सिलसिला है लेकिन उन सबको पार कर उन्होंने जीत हासिल करके दिखाई है. उनकी उपलब्धि के लिए साल 2019 में उन्हें पद्म भूषण दिया गया.
23-24 मई का उनकी जिंदग में है खास स्थान
बछेंद्री पाल की जिंदगी में मई का महीना बहुत खास है. 23 मई 1984 में भारत की बेटी बछेन्द्री पाल ने दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर देश को गर्व से भर दिया था. 24 मई को बछेंद्री का जन्मदिन होता है. इस लिहाज से उनकी जिंदगी में मई का महीना बहुत स्पेशल है.
संघर्ष से भरा रहा बचपन
24 मई 1954 को उन्होंने एक खेतिहर परिवार में जन्म लिया था. आम बच्चों की तरह उनका बचपन बीता और उन्हें बचपन में पढ़ाई पूरी करने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ा था. बछेंद्री का सपना पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करने का था और इसलिए उन्होंने बीएड की डिग्री ली थी.
जब उन्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने पर्वतारोही बनने के लिए ट्रेनिंग करने का फैसला किया था. कुछ प्रयासों के बाद उन्होंने 'नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग' में दाखिला लिया और एक नई राह पर निकल पड़ीं.
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एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए झेला परिवार का विरोध
साल 1982 था जब उन्होंने एडवांस कैम्प के तौर पर गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई पूरी की थी. उनकी स्टेमिना और दक्षता देखकर ट्रेनर हैरान रह गए थे. इसके बाद उन्होंने तय किया कि वह एवरेस्ट की चढ़ाई कर इतिहास रचेंगी.
आगे के सफर में उन्होंने खुद को पेशेवर पर्वतारोही के रूप में तैयार करना शुरू कर दिया. इस राह पर उन्हें अपने परिजनों का विरोध झेलना पड़ा मगर वो पीछे नहीं हटीं. आखिरकार 23 मई 1984 को उन्होंने 29,028 फुट (8,848 मीटर) की ऊंचाई पर 'सागरमाथा (एवरेस्ट)' पर भारतीय झंडा लहरा कर देश को गर्व से भर दिया.
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Bachendri Pal Birthday: कभी बेरोजगारी ने किया था निराश, एवरेस्ट पर तिरंगा लहरा बनाया इतिहास