इस बात से तो इनकार नहीं किया जा सकता कि हम अब कंक्रीट के जंगल में रहते हैं. असल में वन, पेड़, जंगल ये सब हमारे पर्यावरण से खत्म से होते जा रहे हैं. छुट्टियां बिताने बेशक हम हरियाली की तलाश में दूर कहीं चले जाते हों, लेकिन हमारी जिंदगी अब प्रदूषण के बीच बीतने को मजबूर है. विकास की कीमत पर जिस तरह पर्यावरण को नजरअंदाज किया जा रहा है अब उसके नतीजे भी सामने आने लगे हैं. इस सबके बीच भी कुछ शहर ऐसे हैं जो मिसाल कायम करते हैं. अपनी हरियाली और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता से उनका नाम अलग रूप में सामने आता है. इस पर्यावरण दिवस पर जानते हैं ऐसे ही कुछ शहरों के बारे में-
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गुजरात की राजधानी गांधीनगर साबरमती नदी के किनारे बसी है. यह देश के सबसे हरियाली वाले शहरों में शुमार है. इस शहर में लगभग 32 लाख पेड़ हैं और इसकी जनसंख्या लगभग डेढ़ लाख है. इसका मतलब कि यहां हर एक व्यक्ति के लिए 22 पेड़ हैं, जो अपने आप में एक अद्भुत तथ्य है.
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आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद को वैसे तो सिटी ऑफ पर्ल्स यानी मोतियों का शहर कहा जाता है, लेकिन यहां का पर्यावरणीय गणित भी काफी अच्छा है. संयुक्त राष्ट्र के आर्बर डे फाउंडेशन (ADF) और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) ने हैदराबाद को ट्री सिटी ऑफ वर्ल्ड का खिताब भी दिया है. बताया जाता है कि यहां जंगलों के संरक्षण को लेकर काफी सतर्कता बरती जाती है, जो कि इस शहर को खास बनाती है.
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गैस त्रासदी के पास जिस तरह इस शहर ने खुद को फिर से खड़ा किया है, वह एक मिसाल ही है. आज इस शहर मेंnपर्यावरण से जुड़े मुद्दों को लेकर एक अलग ही तरह की जागरुकता है. बेशक यह मध्यप्रदेश के शहरीकरण का एक अहम केंद्र है, लेकिन यहां हरियाली और प्रकृति का ख्याल भी उतना ही ज्यादा है.
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मैसूर को भारत का पहला ग्रीन एंड क्लीन शहर कहा जाता है. इस शहर में झरने हैं, बगीचे हैं, बाग हैं. बेशक यह कर्नाटक का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला शहर है, लेकिन यहां हरियाली भी उसी अनुपात में हैं.
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पंजाब और हरियाणा की यह राजधानी दुनिया भर में अपने आर्किटेक्चर के लिए मशहूर है. इंफ्रास्ट्रक्चर और हरियाली के बीच संतुलन कैसे बनाया जाता है, यह शहर इस बात की मिसाल है. यहां का वन क्षेत्र इस शहर को भारत के सबसे हरियाली वाले शहरों में शुमार करता है.बीते 2 सालों में यहां का वनक्षेत्र 4 स्क्वायर किमी के हिसाब से बढ़ा ही है.