ज्यादातर लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती कि ये लाइनें आखिर बनती कैसे हैं? कई लोग कहते हैं कि यह हवाई जहाज से निकलने वाला धुआं होता है तो कोई बर्फ की लकीर कहता है. चलिए जानते हैं क्या है इन लकीरों की साइंस.
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NASA की रिपोर्ट बताती है कि आसमान में बनने वाली इस सफेद लकीर को कंट्रेल्स कहते हैं. दरअसल कंट्रेल्स भी बादल ही होते हैं. लेकिन यह आम बादलों की तरह नहीं बनते. ये हवाई जहाज या रॉकेट के गुजरने के बाद ही बनते हैं और काफी ज्यादा ऊंचाई होने पर ही बनते हैं.
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रिपोर्ट बताती है कि इस तरह के बादल तब बनते हैं जब जहाज जमीन से करीब 8 किलोमीटर ऊपर और -40 डिग्री सेल्सियस में उड़ रहा हो. हवाई जहाज या रॉकेट के एग्जॉस्ट (फैन) से एरोसॉल्स (एक तरह का धुआं) निकलता है. जब आसमान की नमी इन एरोसॉल्स से साथ जम जाती है तो कंट्रेल्स बनते हैं.
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ये कंट्रेल्स कुछ ही समय में गायब हो जाते हैं. ये जहाज के गुजरने के कुछ ही देर तक दिखती हैं. इनके बनने की मुख्य वजह हवा में नमी होती है.
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कई बार आसमान की इतनी ऊंचाई पर तेज हवा की वजह से कंट्रेल्स अपनी जगह से खिसक जाते हैं. यह जरूरी नहीं कि वह बिल्कुल वहीं दिखाई दे जहां से जहाज या रॉकेट गुजरा हो.
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ये कंट्रेल भी मौसम और ऊंचाई के हिसाब से अलग-अलग तरह के होते हैं. अगर नमी ज्यादा होती है तो यह धुआं काफी देर तक वैसे ही जमा रहता है. नमी कम होने पर धुआं तुरंत ही गायब हो जाता है.