प्रधानमंत्री संग्रहालय को भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विकसित किया गया है. पहले इसे नेहरू म्यूजियम भवन कहा जाता था.. कैबिनेट बैठक में इसका नाम बदलने पर सहमति बनी और इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय का नाम दिया गया है. इसमें सभी प्रधानमंत्रियों के नेतृत्व, कार्यकाल और उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिलेगी.
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कैबिनेट बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को स्वीकार करने के लिए यह फैसला किया है. हम सभी पीएम के योगदान को मान्यता देना चाहते हैं. प्रधानमंत्री संग्रहालय में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के कार्यों को दिखाया गया है.
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम से शुरू होकर संविधान के निर्माण से लेकर अब तक की कहानी यह संग्रहालय बताता है. यहां पता चलेगा कि कैसे हमारे प्रधानमंत्रियों ने तमाम चुनौतियों के बाद भी देश को नेविगेट किया और देश की प्रगति के लिए काम किया.
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संग्रहालय का डिजाइन बदलते भारत की कहानी से प्रेरित है, जिसे इसके नेताओं के हाथों का आकार दिया और ढाला गया है. संग्रहालय बनाने में किसी भी पेड़ को काटा या प्रत्यारोपित नहीं किया गया है. इस संग्रहालय का कुल क्षेत्रफल 10,491 वर्ग मीटर है.
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पहले इस संग्रहालय का उद्घाटन 25 दिसंबर को किए जाने की योजना थी. इस दिन दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती होती है और इसे सुशासन दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इसके बाद अगली तारीख 26 जनवरी तय की गई, मगर इन दोनों ही तारीखों पर उद्घाटन नहीं हो सका.
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इस संग्रहालय के लिए अब तक के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के बारे में जानकारी जुटाई गई है. इसके लिए सरकारी संस्थाओं जैसे, दूरदर्शन, फिल्म डिविजन, संसद टीवी, रक्षा मंत्रालय, मीडिया हाउस, प्रिंट मीडिया, विदेशी न्यूज एजेंसियां, विदेश मंत्रालय के संग्रहालयों से मदद ली गई है.