गर्मी का मौसम और आम का स्वाद दोनों एक साथ आते हैं. गर्मी तो सितम ढा रही है, लेकिन आम का स्वाद है कि दिलो-दिमाग में बसा ही हुआ है. आखिर ऐसी क्या बात है आम में कि वो इतना खास हो जाता है. इस सवाल के जवाब में कई तथ्य और ढेर सारे किस्से सामने आते हैं. अब आम फलों का राजा यूं ही तो नहीं बना होगा. जानते हैं क्या रहे हैं मजेदार कारण -
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कहा जाता है कि भारत में उगाए जाने वाले फलों में आम सबसे पुराना फल है. इसे 5000 साल पहले से उगाया जा रहा है. भारत में सबसे पहले आम नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में उगाया गया था.
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दुनिया भर में आम की 500 से ज्यादा किस्में हैं. इनमें सबसे ज्यादा मशहूर हैं अलफान्सो, बादामी, दशहरी, लंगरा, चौसा आदि.
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आम के सबसे बड़े उत्पादकों में भारत का नाम सबसे पहले आता है. यही वजह है कि भारत को मैंगो कैपिटल ऑफ वर्ल्ड कहा जाता है.भारत के बाद चीन, थाईलैंड, इंडोनेशिया में आम की फसल सबसे ज्यादा होती है.
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शुरुआती दिनों में दक्षिण भारत में आम को आमकाय कहा जाता था. यहां के कुछ लोग इसे मामकाय भी कहते हैं. इसके अलावा आम को मांगा भी कहा जाता था. जब पुर्तगाली इंडिया वापिस आए तो उन्होंने इसे मैंगो नाम दिया.
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बौद्ध धर्म में आम को बहुत महत्व दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध को आम के पेड़ की छांव में आराम करने की आदत थी. इसलिए इस धर्म में आम को शुभ माना जाता है. इस धर्म के साधु जब किसी लंबे सफर में जाते हैं तो अपने साथ आम जरूर ले जाते हैं. बौद्ध धर्म में आम को प्रेम का प्रतीक माना जाता है.
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जब अलेक्जेंडर द ग्रेट भारत से वापस ग्रीस जा रहा था तो वह अपने साथ आम की सबसे अच्छी वैरायटी अपने साथ ले गया था.
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मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब को भी आम बहुत पसंद थे.उनका भी आम से जुड़ा एक मशहूर किस्सा है. एक बार ग़ालिब अपने दोस्तों के साथ आम का लुत्फ़ ले रहे थे.तब वहां से एक गधा गुज़रा और रास्ते में पड़े आम को बिना खाए छोड़ गया. इसे देखकर मिर्ज़ा साहब के एक दोस्त ने कहा कि गधे भी आम नहीं खाते. तब हाज़िरजवाब गालिब ने तुरंत कहा- जो गधे हैं वही आम नहीं खाते"