डीएनए हिंदी: छठ पूजा भारतीय त्योहारों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार (interesting facts about chhath puja) है. छठ पूजा मुख्य रूप से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर की जाती है. इस शुभ छठ पूजा पर जिस देवी की पूजा की जाती है, उसे छठी मैया के नाम से जाना जाता है. छठी मैया को वेदों में उषा भी कहा गया है. क्या आपको पता है छठ पूजा एकमात्र हिंदू पूजा त्योहार है जिसमें किसी भी पुजारी की आवश्यकता नहीं होती है. इस पर्व को मनाने के लिए सिर्फ स्वच्छता और पवित्रता होनी चाहिए. ऐसे ही कई रोचक तथ्यों को आज हम आपके लिए लेकर आए हैं.
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छठ पूजा सबसे पुराने त्योहारों में से एक है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी आज भी मनाया जाता है. छठ पूजा का सूर्योदय और सूर्यास्त की अवधि के दौरान बहुत अधिक महत्व (importance of chhath puja) है क्योंकि यह सूर्य देव का त्योहार है. भक्तों का मानना है कि सूर्योदय और सूर्यास्त, दिन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है जब शरीर बिना किसी नुकसान के सकारात्मक सौर ऊर्जा को सुरक्षित रूप से प्राप्त कर सकता है. अगर भक्तों की मान्यता को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो इस अवधि में सौर ऊर्जा में हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों (UV Raise) का स्तर बेहद कम होता है इसलिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सूर्य की किरणों सोखने के लिए अन्य समय की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होता है.
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ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा के उपासक पवित्र स्नान और संयम की अवधि (chhath puja rituals) का पालन करते हैं. वे चार दिनों के लिए मुख्य रूप से परिवार से अलग हो जाते हैं. पूरी अवधि के दौरान उन्हें शुद्ध आत्मा माना जाता है और वे फर्श पर सोते हैं. छठ पूजा के दौरान 4 दिनों तक उपवास रखने वाले लोगों को व्रती के कहा जाता है.
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कई सालों से ऐसा माना जाता रहा है कि एक बार अगर आप छठ पूजा मनाना शुरू कर देते हैं तो हर साल परिवार को इसे करना पड़ता है और साथ ही अगली पीढ़ी (interesting facts related to chhath puja) आगे आने वाली हर पीढ़ी को इस रिवाज को मनाना पड़ता है. एक बार छठ पूजा शुरू होने के पश्चात आने वाली हर पीढ़ी को इसे करना आवश्यक हो जाता है केवल कुछ परिस्थितियों में छठ ना करने की छूट है अगर वर्ती गंभीर रूप से बीमार होता है या परिवार में छठ पूजा की तिथि के आसपास परिवार में किसी की अचानक मृत्यु हो जाती है.
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छठ पूजा में भक्त भगवान सूर्य को अनोखे और विशेष प्रसाद (chhath puja food) अर्पित करते हैं और ज्यादातर वे मिठाई, खीर, ठेकुआ और बांस की टोकरी में रखे फलों को अर्पण करते हैं. छठ पूजा के प्रसाद को नमक, प्याज या लहसुन के बिना पकाया जाता है. खजूर को छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद माना जाता है. सूर्य देव की अंतिम आरती के बाद भक्तजन पूजा स्थल पर इक्कठा हुए सभी लोगों को खजूर बांटते हैं.
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छठ पूजा का अनुष्ठान शरीर में एनर्जी लेवल, इम्यूनिटी लेवल को बढ़ता (chhath puja health benefits) है और मानसिक शांति भी प्रदान करता है. छठ पूजा के दौरान वर्ती को अपने मन को साफ रखना होता है इसलिए यह आपके क्रोध, ईर्ष्या और नकारात्मक भावनाएं कम हो जाती है. ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा के अनुष्ठान आपकी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में भी मदद करते हैं.
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अन्य भारतीय त्योहारों की तुलना में छठ पूजा (chhath puja samagri) के लिए सबसे अलग भोजन, अन्य वस्तुओं और सामग्री (chhath puja saman list) की आवश्यकता होती है. सूर्य देव और भगवान गणेश के चित्र हल्दी पाउडर, रोली (सिंदूर), अक्षत (कच्चे चावल), एक चौकी, लाल रंग का कपड़ा, मिट्टी का दीपक, अगरबत्ती, घी और बाती, कपूर, खजूर, पान के पत्ते, चंदन, मेवा और मीठे व्यंजनों का प्रयोग छठ पूजा में किया जाता है. छठ पूजा के दौरान सूर्य यंत्र को स्थापित करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
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छठ पूजा का त्योहार नई फसल के उत्सव का भी प्रतिनिधित्व करता है. भक्त लोग सूर्य देव को नई फसल और फलों से बने भोजन का अर्पण करते हैं.
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पृथ्वी पर जीवन का निर्वाह प्राचीन मिस्र और बेबीलोन की सभ्यताओं में भी व्यापक रूप से था जो भारत तक ही सीमित नहीं हैं. भगवान सूर्य की पूजा करने की यह परंपरा अन्य देशों (chhath puja in foreign country) में लंबे समय से चली आ रही है. फिजी, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो आदि देशों भी अपनी सभ्यताओं और रीति-रिवाजों के अनुसार सूर्य की पूजा करते आ रहें हैं. इतना ही नहीं हाल ही में मार्वेल की फिल्म 'थॉर: लव एंड थंडर में भी सूर्य देव और उनके भक्त भी की एक झलक दिखाई गई थी. इतना ही नहीं बढ़ते विकास के साथ-साथ आज छठ पूजा करने वाले कई भारतीय विदेशों में अलग-अलग जगह रहते हैं और छठ पूजा को बड़ी ही धूम-धाम से मनाते हैं.
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इस बात को बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि छठ (chhath puja story) का त्योहार साल में 2 बार मनाया जाता है. पहला चैत्र शुक्ल षष्ठी होली के कुछ दिनों के बाद को और दूसरा कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठी को यानी कि अक्टूबर या नवंबर महीने में मनाया जाता है. यह पर्व पूरे 4 दिनों तक चलता है, जिसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. इस पूजा में व्रती सुख-सौभाग्य, समृद्धि, संतान और सुखी जीवन की कामना से छठ पूजा करता है.
Short Title
Chhath Puja 2022: क्या आप जानते हैं छठ पूजा से जुड़े ये रोचक तथ्य