स्मृति ईरानी मोदी कैबिनेट की सबसे चर्चित मंत्रियों में से हैं. एक्टिंग की दुनिया से राजनीति में आने वालों के लिहाज से ईरानी एक मिसाल हैं. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और अमेठी में अपनी सक्रियता बनाए रखी थी. इसके बाद 2019 में राहुल गांधी को उनके खानदानी सीट से हराकर उन्होंने दिखा दिया कि लक्ष्य पाने तक निश्चिंत होकर बैठने वालों में से नहीं हैं. जन्मदिन पर जानें उनकी जिंदगी के कुछ ऐसे पहलू जिससे आप भी मान जाएंगे कि वह वाकई अर्जुन की तरह मछली की आंख पर नजर रखती हैं.
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स्मृति ईरानी यूं तो दिल्ली की हैं लेकिन मिस इंडिया में हिस्सा लेने के लिए वह मुंबई गई थीं और फिर वहां एक्टिंग की दुनिया में पहचान बनाने के लिए रुक गईं थीं. इस दौरान उनके लिए जिंदगी काफी संघर्ष भरी थी और काम नहीं होने की वजह से अपना खर्चा चलाने के लिए उन्होंने सस्ते पीजी को रहने का ठिकाना बनाया था. साथ ही उन्होंने मैकडॉनल्ड में नौकरी भी की लेकिन लौटकर घर नहीं गईं. छोटे-मोटे मॉडलिंग असाइनमेंट के बाद साल 2000 में उन्हें बड़ा ब्रेक मिला और तुलसी वीरानी (क्योंकि सास भी कभी बहू थी) की भूमिका से वह घर-घर में पहचानी जाने लगीं.
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स्मृति को मोदी कैबिनेट में बेहतरीन वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है. चुनाव प्रचार के दौरान उनकी सभाओं में भारी भीड़ जुटती रही है. उनके धुआंधार भाषण शैली के मुरीद देश भर में हैं. स्मृति ने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद कॉलेज जाकर शिक्षा नहीं ली लेकिन जिंदगी में पढ़ना और सीखना कभी नहीं छोड़ा. स्मृति का हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर समान अधिकार है. इसके अलावा वह पंजाबी, मराठी और बांग्ला भी अच्छी तरह से समझ लेती हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्हें अलग-अलग भाषा सीखने और उनमें साहित्य पढ़ने का शौक है.
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स्मृति का राजनीति में प्रवेश किस तरह हुआ इसे लेकर अलग-अलग कहानियां हैं. ज्यादातर लोग मानते हैं कि 2003 में उन्हें राजनीति में लाने का श्रेय भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन को जाता है. महाजन की वजह से ही 2004 में स्मृति को चांदनी चौक लोकसभा से टिकट मिला था लेकिन वह चुनाव हार गईं. उन्हें महाराष्ट्र में महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया था. 2006 में महाजन की मौत के बाद ईरानी का पॉलिटिकल ग्राफ नीचे गिरा लेकिन बेहतरीन वक्ता होने का उन्हें फायदा मिला और उन्हें भाजपा महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया था. अच्छी हिंदी और अंग्रेजी बोलने की वजह से जल्द उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया गया और फिर 2014 में चुनाव हारने के बाद भी उन्हें मंत्री बनाया गया था. 2019 में उन्होंने इतिहास ही रच दिया और अमेठी का किला फतह कर लिया.
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स्मृति ईरानी पर कई बार दक्षिणपंथी राजनीति के आरोप भी लगे हैं लेकिन उन्होंने संसद में एक बार कहा था कि उन्हें सेक्युलरिज्म सीखने की जरूरत नहीं है. वह ऐसे परिवार से आती हैं जो देश की सर्व धर्म एकता का उदाहरण है. उन्होंने कहा था कि वह पंजाबी खत्री परिवार में जन्मीं और उन्होंने एक अल्पसंख्यक पारसी से विवाह किया है. उनके परिवार में हर धर्म के तीज त्योहार मनाए जाते हैं.
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स्मृति ईरानी की बेहतरीन भाषण देने की कला और राजनीति के अलावा एक्टिंग के बारे में सब जानते हैं लेकिन कम ही लोगों को पता है कि वह डायरेक्टर, स्क्रिप्ट राइटर, लेखक और कवियत्री भी हैं. इसके अलावा उन्हें पैराग्लाइडिंग और ऐसे दूसरे एडवेंचर स्पोर्ट्स और ट्रैवल का भी शौक है. स्मृति को सिंगिंग का भी शौक है और उन्हें भारतीय ही नहीं अंग्रेजी रॉक और वेस्टर्न संगीत की भी अच्छी जानकारी है.