आम बजट 2022 पर आम जनता की नजरें टिकी हैं. हर व्यक्ति और वर्ग के लोग अपने लिए जरूरी राहतों का इंतजार कर रहे हैं. बजट पेश करने की यह परंपरा और इसे जनता के साथ शेयर करने की शुरुआत अंग्रेजों के जमाने में हुई थी. यह परंपरा आज भी कायम है, हालांकि समय के साथ इसमें कई तरह के बदलाव किए जा चुके हैं. कुछ बदलाव बेहद दिलचस्प रहे और कुछ ऐसे रिकॉर्ड भी बने जिन्होंने जनता का दिल जीत लिया-
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बजट पेश करने की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी. सन् 1860 में पहली बार भारत में बजट पेश किया गया था. इसे पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे उस समय के मशहूर अर्थशास्त्री जेम्स विलियम्सन. जिस समय विलियम्सन ने बजट पेश किया था उस समय ब्रिटिश सरकार गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही थी. इस बजट ने ब्रिटिश सरकार को इससे उबरने में काफी मदद की थी.
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अब बजट दोपहर में 11 बजे पेश किया जाता है. इससे पहले ब्रिटिश काल में बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था. ऐसा इसलिए किया जाता था, ताकि रात भर बजट पर काम करने वाले अधिकारियों को थोड़ा आराम मिल सके.
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सन् 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पब्लिश किया जाता था. इसके अगले साल 1956 में सरकार ने इसे हिंदी में पब्लिश करने की शुरुआत की.
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भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बजट पेश करने वाले भी पहले प्रधानमंत्री थे. 1958-59 में उनके पास वित्त मंत्रालय का भार भी था. यही वजह रही है कि प्रधानमंत्री होते हुए भी उन्होंने बतौर वित्त मंत्री बजट पेश किया था.
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भारत में सबसे अधिक बार भारत का बजट मोरारजी देसाई ने पेश किया है. मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में दस बार देश का बजट पेश किया है. इसमें आठ बजट और दो अंतरिम बजट शामिल हैं.
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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी स्वतंत्र भारत में बजट पेश करने वाली देश की पहली महिला थीं. प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली हुई थी. यही वजह रही कि उन्होंने बजट भी पेश किया. हालांकि वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सन् 2019 में भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनीं. इस साल भी वह बजट पेश करने वाली हैं.
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सन् 2019 में बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ब्रिटिश काल से चली आ रही एक परंपरा को भी खत्म किया. पहले बजट से जुड़े डॉक्यूमेंट्स ब्रीफकेस में रखकर लाए जाते थे. निर्मला सीतारमण ने इसे ब्रीफकेस की बजाय बहीखाता कहा. वह लाल रंग की मखमली कवर वाली फाइल में बजट के दस्तावेज लेकर बजट पेश करने आई थीं.
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सन् 1997-98 के दौरान वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने बतौर वित्त मंत्री जो बजट पेश किया था उसे भारत का ड्रीम बजट कहा गया था. इस बजट में आम आदमी के लिए टैक्स स्लैब को काफी कम कर दिया गया था, जिसने आम जनता का दिल जीत लिया था. इस बजट में IT सेक्टर को भी काफी सुविधाएं दी गई थीं.
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देश की आजादी के बाद 30 साल तक पेश किए गए आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर शब्द का प्रयोग तक नहीं हुआ था. यह शब्द 1990 में ही चर्चा का विषय बना था. आज यह इंफ्रास्ट्रक्चर देश की अर्थव्यवस्था में अपनी खास जगह बनाए हुए है.
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आम बजट के लिहाज से पहले महिलाओं को बजट में जगह नहीं मिली थी. 1980 तक आम बजट में महिला मुद्दों का जिक्र भी नहीं किया जाता था. इसके बाद ही महिलाओं के बारे में बजट में चर्चा होने लगी.