बाबू जगजीवन राम देश के कद्दावर राजनेताओं में से रहे हैं. इनकी जिंदगी में छात्र जीवन से ही अन्याय के खिलाफ आवाज बुंलद करने की घटनाएं दिखती हैं. इन्होंने कांग्रेस में रहते हुए आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. आजादी के बाद मंत्री बने और जयप्रकाश आंदोलन में शामिल होकर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला था. जानें उनकी जिंदगी के ऐसे ही दिलचस्प किस्से.
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जगजीवन राम जब आरा में रहते हुए हाईस्कूल की पढ़ाई कर रहे थे, तब इन्होंने एक दिन स्कूल के घड़े से पानी पी लिया था. उन दिनों स्कूलों में 2 घड़े होते थे जिसमें एक हिंदुओं का और एक मुसलमानों का होता था. जगजीवन राम पिछड़ी जाति से आते थे और उनके पानी पीने पर कई छात्रों ने आपत्ति दर्ज कराई थी. इस घटना ने उनके बालमन पर जातिवाद और छुआछूत की बुराइयों को खत्म करने के लिए बड़ा असर डाला था.
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25 जून 1975 को इलाहाबाद की हाईकोर्ट बेंच के जस्टिस सिन्हा ने फैसला सुनाया कि रायबरेली से इंदिरा गांधी का निर्वाचन अयोग्य है. इस मुश्किल घड़ी में जगजीवन राम ने इंदिरा का साथ दिया और उनके साथ बने रहे थे. इससे पिछड़े वर्ग के मतदाताओं तक बड़ा संदेश गया था. हालांकि, उन्हें प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी लेकिन इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था. इसके बाद 1977 में जगजीवन राम ने जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. इससे जनता पार्टी को दलितों के एक बड़े वर्ग का भरपूर समर्थन मिला था.
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जगजीवन राम के बारे में कहा जाता है कि वह प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. पहली बार उन्हें इंदिरा गांधी ने झटका दिया था और जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो भी उनकी जगह पर मोरारजी देसाई को मौका मिला था. कहते हैं कि जगजीवन को मनाने के लिए खुद जयप्रकाश नारायण ने पहल की थी और उन्हें रक्षा मंत्रालय के साथ उप-प्रधानमंत्री का पद देकर मनाया था. जेपी के बारे में उस दौर में सब मानते थे कि वह व्यक्तिगत स्वार्थ और लाभ-हानि से परे का व्यक्तित्व हैं.
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1977 में दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्षी दलों की रैली थी. इस रैली में भीड़ को रोकने के लिए दूरदर्शन पर बॉबी फिल्म का प्रसारण किया गया था. हालांकि, रैली में बाबू जगजीवन राम की मौजूदगी की वजह से बड़ी संख्या में लोग जुटे थे. इस रैली में अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐतिहासिक भाषण दिया था.
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बाबू जगजीवन राम के बेटे की तस्वीरें एक डीयू स्टूडेंट के साथ मेनका गांधी की मैगजीन सूर्या में छपी थीं. इन आपत्तिजनक तस्वीरों को लेकर काफी बवाल हुआ था जिसके बाद उस समय के डिप्टी पीएम को किरकिरी झेलनी पड़ी थी. इस घटना ने सिर्फ जगजीवन राम का करियर ही नहीं बल्कि उनके बेटे के राजनीतिक करियर पर भी ग्रहण लगा दिया था. हालांकि, उनकी राजनैतिक विरासत को बेटी मीरा कुमार ने आगे बढ़ाया और वह लोकसभा सांसद और मंत्री रहने के साथ ही देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष भी बनी थीं.