डीएनए हिंदी : उर्दू अदब की दुनिया के वे कुछ शानदार शख़्सियत, जिन्होंने फिल्मों के गीतों को भी अलग आयाम दिया, उनमें कैफ़ी आज़मी का नाम सबसे शुरुआत पंक्तियों में दर्ज है. वामपंथ की मौलिक विचारधारा को जीने वाले कैफ़ी साहब की कलम जितनी मकबूल थी, उतनी ही आला उनकी ज़िन्दगी भी थी. उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले कैफ़ी साहब ने पहली ग़ज़ल ग्यारह बरस की उम्र में लिखी थी. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के वक़्त पढ़ाई छोड़ने वाले कैफ़ी साहब ने जब मुंबई का रुख किया तो अपने हुनर और मूल्यों को बराबर बरक़रार रखा. कहा जाता है, वे जो कमाते थे उसे कम्यून में बांट देते थे. वे बहुत दिनों तक पत्नी शौकत के साथ एक ही कमरे के घर में रहते रहे. उनकी प्रगतिशील विचारधारा की मिसालें दी जाती हैं. बेटी शबाना आज़मी अक्सर अपने पिता के बारे में लिखती रहती हैं. क़िस्सा तो यह भी है कि शौकत आज़मी ने उनसे शादी उनकी 'औरत' नामक नज़्म सुनकर की थी. 14 जनवरी 1919 को पैदा हुए कैफ़ी साहब का इंतकाल 10 मई 2002 को 83 साल की उम्र में हो गया था. आज उनकी बीसवीं पुण्यतिथि पर पढ़िए उनके पांच सबसे मशहूर शेर.
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झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं
तिरी उमीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ए'तिबार है कि नहीं
(फ़िल्म अर्थ ) (साभार रेख़्ता)
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तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
आँखों में नमी हँसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
बन जाएँगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूँ उन्हें छेड़े जा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो
(फ़िल्म अर्थ ) (साभार रेख़्ता)