डीएनए हिंदी: अंग्रेजी में एक कहावत है Time is Money और भारत में समय की पाबंदी को लेकर ढीला-ढाला रवैया जगजाहिर है. इसी ढुल-मुल व्यवस्था के कारण देश के इंफ्रा प्रोजेक्ट की लागत करीब 5 लाख करोड़ बढ़ चुकी है. ये आकलन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में किया गया है. देखते हैं कि देश के अलग-अलग मंत्रालयों में कितने प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं.
देश का करीब हर दूसरा प्रोजेक्ट देरी से
MoSPI (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अनुसार देश में इस समय 150 करोड़ से ज्यादा के कुल 1,568 प्रोजेक्ट काम कर रहे हैं. जिनमें से 721 तय समय से पीछे चल रहे हैं यानि करीब-करीब हर दूसरा प्रोजेक्ट देरी से चल रहा है. चिंता की बात ये है कि देश में 1 जून 2020 तक इन Delayed Projects की संख्या 1 जून 2022 को बढ़कर 46 % हो चुकी है.
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प्रोजेक्ट में देरी के कारण
सरकार के मुताबिक प्रोजेक्ट के समय पर पूरा न होने के कई कारण हैं. ये कारण हर परियोजना के लिए अलग हैं. मंत्रालय के OCMS पोर्टल पर बताए गए आधिकारिक कारणों में कानून और व्यवस्था की समस्या, भूमि अधिग्रहण में देरी, पर्यावरण और वन मंजूरी में देरी, वित्त की कमी, पुनर्वास का अभाव, स्थानीय निकायों की अनुमतियां इत्यादि शामिल हैं.
5 लाख करोड़ बढ़ चुकी है इंफ्रा प्रोजेक्ट की लागत
जानते हैं कि देश के अलग-अलग मंत्रालयों में चल रहे इंफ्रा प्रोजेक्ट के समय पर पूरा न होने से कितनी लागत बढ़ गई है. समय पर काम पूरा न होने के कारण 21.5 लाख करोड़ रुपये के आरंभिक लागत वाले प्रोजेक्ट की लागत 4.95 करोड़ रुपये बढ़ चुकी है. ये कुल लागत का करीब 22 प्रतिशत है.
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रेलवे के 4 में 3 प्रोजेक्ट लेट, 63 फीसदी बढ़ चुकी है लागत
देश के अलग-अलग मंत्रालयों का आकलन करने पर पता चलता है कि देश के कुल प्रोजेक्ट के आधे से ज्यादा सड़क और परिवहन मंत्रालय ही बना रहा है. यहां पर देरी होने के कारण लागत बढ़ (Cost Overrun) गई है. सड़क और परिवहन मंत्रालय की लागत 9.67 प्रतिशत बढ़ गई है.
वहीं परियोजनाओ की लागत के आधार पर देश का दूसरा सबसे बड़ा मंत्रालय रेलवे है. यहां का हर चार में से तीन प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं. देरी के कारण परियोजना की लागत 4.08 लाख करोड़ से बढ़कर 6.68 लाख करोड़ हो गई है.
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देरी से चल रही हैं देश की सैकड़ों विकास योजनाएं, रेलवे के 4 में से 3 प्रोजेक्ट पेंडिंग, देखें पूरी लिस्ट