डीएनए हिंदी: कभी कांग्रेस पार्टी में बड़ा नाम रहे यूपी वेस्ट के मुस्लिम नेता इमरान मसूद पिछले यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव संग साइकिल पर सवार हो गए थे. बुधवार को उन्होंने फिर ट्रैक बदला और वो मायावती के हाथी पर सवार हो गए. कहा जा रहा है कि इमरान मसूद को समाजवादी पार्टी में खास तवज्जो नहीं मिल रही थी. मायावती को भी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोट छिटकने के बाद एक बड़े मुस्लिम नेता की तलाश थी. मायावती ने इमरान मसूद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी का संयोजक बनाया है.
बसपा में क्यों शामिल हुए इमरान मसूद?
इमरान मसूद शुरू से मुस्लिम राजनीति के लिए फेमस रहे हैं. 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान इमरान मसूद ने तब के भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को लेकर 'बोटी-बोटी' वाला बयान दिया था. इस बयान की चर्चा पूरे देश में हुई थी. हालांकि तब वे कांग्रेस में थे. कांग्रेस की हालत खराब होते देख इमरान मसूद सपा में गए लेकिन अखिलेश ने उन्हें टिकट नहीं दिया. ऐसे हालातों में उनके लिए फिलहाल एक ही पार्टी नजर आती है, जिसका उन्होंने बुधवार को दामन थाम लिया.
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बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को उनका अपनी पार्टी में स्वागत किया. इस दौरान इमरान मसदू ने कहा, "मुझे समझ में आया कि बसपा कैडर आधारित पार्टी है और उसका अपना जनाधार है. निश्चित रूप से हम एक मजबूत विकल्प बनेंगे. बहुजन समाज पार्टी जब-जब मजबूत हुई है, तब-तब भाजपा कमजोर हुई है."
बसपा का क्या है प्लान
चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बन चुकी मायावती इस समय सबसे खराब समय देख रही हैं. विधानसभा में उनका सिर्फ 1 विधायक है. लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करने पर उन्हें मुस्लिम वोट का फायदा हुआ था. उनके लोकसभा में 10 सांसद हैं. मायावती यह अच्छी तरह जानती हैं कि गैर जाटव दलित वोट उनसे पूरी तरह झिटक चुका है. वर्तमान हालातों में उन्हें भाजपा के विरोध में सिर्फ मुस्लिम वोट ही आसानी से मिल सकता है. इसके लिए उन्हें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो मुस्लिम समुदाय में पैठ रखते हैं. इमरान मसूद उनकी इस जरूरत में फिट भी बैठते हैं.
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मसूद के बसपा में शामिल होने के बाद बसपा सुप्रीमो ने लिखा, "उत्तर प्रदेश और ख़ासकर पश्चिमी यूपी की राजनीति में इमरान मसूद एक जाना-पहचाना नाम है, जिन्होंने आज अपने करीबी सहयोगियों के साथ मुझसे मुलाकात की और वे समाजवादी पार्टी छोड़कर, अच्छी नीयत व पूरी दमदारी से काम करने के वादे के साथ, बसपा में शामिल हो गए, जिसका तहेदिल से स्वागत."
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "साथ ही, पार्टी में काम करने के इनके जबर्दस्त जोश व उत्साह को देखकर आज ही उन्हें पश्चिमी यूपी बसपा का संयोजक बनाते हुए वहां पार्टी को हर स्तर पर मज़बूत बनाने व ख़ासकर अक़लियत समाज को पार्टी से जोड़ने की भी विशेष ज़ि़म्मेदारी सौंपी गई है."
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आजमगढ़़ लोकसभा उपचुनाव के बाद और स्थानीय निकाय चुनाव से पहले मसूद के बसपा में शामिल होने को उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए शुभ संकेत बताते हुए मायावती ने कहा, "मुस्लिम समाज को भी यकीन है कि भाजपा की द्वेषपूर्ण व क्रूर राजनीति से मुक्ति के लिए सपा नहीं बल्कि बसपा के ही जरूरी है."
उन्होंने कहा, "बसपा ने पार्टी संगठन तथा अपनी सभी सरकारों में भी गरीबों, महिलाओं व अन्य उपेक्षितों आदि के हित एवं कल्याण को सर्वोपरि रखते हुए अपने कार्यों से यह साबित किया है कि सर्वसमाज का हित, रोजी-रोजगार, सुरक्षा व धार्मिक स्वतंत्रता आदि बसपा में ही संभव, जिस पर विश्वास समय की मांग है."
इनपुट- भाषा
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