डीएनए हिंदी: आज हिरोशिमा दिवस है. ये दिन मानव सभ्यता की सबसे भीषण त्रासदी की याद दिलाता है. आज से 77 साल पहले अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला किया था. 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु हमला हुआ और तीन दिन बाद नागासाकी शहर पर बम गिराया गया. रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस हमले में 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी. इस हमले ने इन दो शहरों ही नहीं पूरे जापान देश को बर्बाद कर दिया था. ये पूरा मामला दूसरे विश्व युद्ध से जुड़ा था और जापान को झुकाने के लिए ये कदम उठाया गया था. 15 अगस्त 1945 को जापान ने हार मान ली और दूसरे विश्व युद्ध का अंत हो गया. मगर एक चीज हमेशा के लिए रह गई और वो थी इस हमले के जख्म.

क्या थी इस परमाणु हमले की वजह? 
सन् 1945 पूरी दुनिया के लिए ही एक त्रासद साल था. दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था. जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया था. सिर्फ जापान ही था जिसने हार नहीं मानी थी. ऐसे में अमेरिका ने ब्रिटेन और सोवियत संघ के साथ मिलकर यह तय किया कि जापान के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे और परमाणु हमला इसी सख्त कदम के रूप में सामने आया. 6 अगस्त 1945 की सुबह हिरोशिमा पर परमाणु बम से हमला कर दिया गया. देखते ही देखते कुछ मिनटों में लगभग पूरा शहर जलकर राख हो गया. इस पर भी अमेरिका रुका नहीं, तीसरे दिन 9 अगस्त को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिया गया.  इस हमले में जापान के 2 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे. जो लोग जिंदा रह भी गए थे उनके लिए जीने लायक कुछ बचा नहीं था. जापान पूरी तरह से बर्बाद हो गया था.

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क्या हुआ इस हमले के बाद?
पूरी दुनिया ने इस परमाणु हमले का अंजाम देखा और खौफ भी महसूस किया. युद्ध खत्म होने के बाद परमाणु हथियार इस्तेमाल ना करने से जुड़े समझौते को लेकर भी बातचीत शुरू हुई. कई दौर की बातचीत और चर्चाओं के बाद सन् 1995 में NPT (परमाणु हथियारों का अप्रसार) संधि को लेकर दुनिया के ज्यादातर देश सहमत हुए. संयुक्त राष्ट्र संघ की वेबसाइट के मुताबिक दुनिया के 191 देश इस संधि से जुड़े हैं. इसमें 4 न्यूक्लियर देश भी शामिल हैं. बता दें कि भारत, पाकिस्तान, इजरायल ने अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.जबकि उत्तर कोरिया ने सन् 2003 में इस संधि से खुद को बाहर कर लिया था, हालांकि इस बात को सदस्य देशों द्वारा अब तक स्वीकार नहीं किया गया है. NPT परमाणु हथियारों के अप्रसार से जुड़ी संधि है. इसका उद्देश्य "परमाणु हथियारों और हथियार बनाने से जुड़ी तकनीक के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को बढ़ावा देना है.

क्या होते हैं परमाणु बम
एक परमाणु बम में इतनी ताकत होती है कि एक साथ करोड़ों लोगों को मारा जा सकता है. इन बमों की शक्ति का आधार परमाणु के नाभिकीय या न्यूक्लियर कणों का टूटना होता है. साइंस की भाषा में कहें तो कणों के fission से इन बमों में विस्फोट होता है.परमाणु बमों से बड़ी मात्रा में रेडिएशन निकलते हैं और इनका असर बहुत लंबे समय तक रहता है. 

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किस देश के पास कितने परमाणु बम?
हिरोशिमा और नागासकी से जुड़ी त्रासदी के बाद खौफ और डर हर तरफ था. परमाणु अप्रसार की बातें भी हर तरफ हुईं. फिर परमाणु बमों को लेकर देशों की आकर्षण किसी भी तरह कम नहीं हुआ. नतीजा ये है कि आज दुनिया में रूस के पास सबसे ज्यादा परमाणु बम हैं. रिपोर्ट्स के मुताबकि रूस  के पास 6, 255 परमाणु बम हैं. वहीं अमेरिका के पास 5550 परमाणु हम हैं. इसके अलावा चीन के पास 350, फ्रांस के पास 290, ब्रिटेन के पास 225, पाकिस्तान के पास 165, भारत के पास 156 परमाणु बम हैं. 

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तबाह हो गया था जापान, फिर भी नहीं रुका परमाणु बमों का इस्तेमाल, जानें पूरी कहानी
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Hiroshima Day: कुछ ही मिनटों में जलकर मर गए थे लाखों लोग, तबाह हो गया था जापान, जानें पूरी कहानी