डीएनए हिंदी: हम सब जानते हैं कि राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ भारत के प्रधान न्यायधीश दिलाते है. राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में सोमवार को सीजेआई एन वी रमन्ना ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है. राष्ट्रपति की शपथ के पीछे के क्या नियम हैं और संविधान में इसका उल्लेख किस तरह किया गया है इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है. आइए समझते हैं यह पूरी व्यवस्था और इसके पीछे संविधान की मूल भावना क्या है. अगर देश के सीजेआई अनुपस्थित हों तो कौन शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर सकता है, जैसे सभी सवालों के जवाब भी जानें.
महामहिम की शपथ प्रक्रिया पर संविधान में किया गया है जिक्र
राष्ट्रपति की शक्तियां, वेतन, दायित्व और शपथ ग्रहण को लेकर हर छोटी-बड़ी बात का जिक्र संविधान में किया गया है. संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, प्रेसिडेंट को पद और गोपनीयता की शपथ भारत के प्रधान न्यायधीश ही दिला सकते हैं. अगर चीफ जस्टिस अनुपस्थित हों तो वरिष्ठता क्रम में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर पर आने वाले न्यायधीश ऐसा कर सकते हैं.
Standing in the Parliament - the symbol of expectations, aspirations and rights of all Indians - I humbly express my gratitude to all of you. Your trust and support will be a major strength for me to carry out this new responsibility: President Droupadi Murmu pic.twitter.com/3RcGG0Wk5p
— ANI (@ANI) July 25, 2022
संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति देश के प्रथम नागरिक होते हैं और इसलिए उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ किसी और से नहीं दिलाई जा सकती है. न्यायपालिका को संवैधानिक मूल्यों के तहत, निष्पक्ष और स्वतंत्र माना गया है. यही वजह है कि महामहिम को पद की शपथ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ही दिलाते हैं.
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आर्टिकल 60 में है शपथ से जुड़े नियमों का जिक्र
संविधान के मुताबिक, निर्वाचित राष्ट्रपति ईश्वर के नाम पर शपथ ले सकते हैं. संविधान के आर्टिकल 60 के तहत, भारत के राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ लेनी होती है. शपथ लेने के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है.
इसके बाद राष्ट्र के नाम नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का पहला संबोधन होता है. राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में पीएम और सत्ता पक्ष के साथ विपक्षी दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाता है.
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राज्यपाल को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शपथ दिलाते हैं
जिस तरह से राष्ट्रपति को पद और गोपनीयता की शपथ भारत के प्रधान न्यायधीश दिलाते हैं उसी तरह की संवैधानिक प्रक्रिया राज्यपाल के लिए नियत है. किसी भी राज्य के राज्यपाल को उस प्रदेश के हाई कोर्ट के प्रधान न्यायधीश या हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पद की शपथ दिलाते हैं. किसी वजह से प्रधान न्यायधीश अगर अनुपस्थित हों तो वरिष्ठता क्रम में दूसरे नंबर पर आने वाले न्यायधीश प्रक्रिया पूरी करते हैं.
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ही क्यों दिलाते हैं राष्ट्रपति को शपथ, समझें क्या हैं संवैधानिक नियम