डीएनए हिन्दी: भारतीय उपमहाद्वीप (Indian subcontinent) में अकाल और सूखे (Drought) का एक लंबा इतिहास रहा है. इन अकाल और सूखे की वजह से देश में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और बड़े-बड़े साम्राज्यों का पतन भी हो चुका है. एक बार फिर भारतीय उपमहाद्वीप सूखे की चपेट में आता दिख रहा है. आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि इस बार यह कुछ सालों या दशकों तक बना रह सकता है. हमें इसके लिए पहले सचेत और तैयार रहने की जरूरत है.

एक इंटरनैशनल वैज्ञानिकों की टीम (International Team of Scientists) का शोधपत्र हाल ही में प्रकाशित हुआ है. यह रिसर्च पेपर प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (Proceedings of the National Academy of Science) में प्रकाशित हुआ है. इस शोधपत्र को तैयार करने में कई तरह के आंकड़ों का सहारा लिया गया है. साथ ही भारत में हजारों सालों में हुए सूखे के इतिहास को आधार बनाकर निष्कर्ष निकाला गया है.

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इस टीम ने मेघायल के चेरापूंजी के एक गुफा में ऑक्सीजन आइसोटोप्स (Oxygen Isotopes) का विश्लेषण कर मॉनसून के आंकड़े इकट्ठे किए हैं. चेरापूंजी दुनिया के सबसे बारिश वाले क्षेत्रों में से एक है. ऑक्सीजन आइसोटोप्स का प्रयोग पहले के मानसून के बारे जानकारी इकट्ठा करने के लिए किया जाता है.

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इन आंकड़ों के अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय उपमाहद्वीप ने बराबर कई सालों तक चलने वाले भीषण सूखे का अनुभव किया है. विभिन्न सांस्कृतिक ग्रंथों और ऐतिहासिक लेखों से इसकी पुष्टि भी होती है. हालांकि, पिछले 150 सालों से इसका अनुभव हमने नहीं किया है. 

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इन भीषण सूखे की वजह से भारतीय उपमाद्वीप में कई जियो-पॉलिटिकल परिवर्तन भी देखने को मिले हैं. इन अकाल की वजह से कई साम्राज्य बर्बाद भी हुए हैं. 16वीं और 18वीं शताब्दी में कई साम्राज्य अकाल की बलि चढ़ चुके हैं.

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अध्ययन में इस टीम ने पाया है कि भारत में पुराने समय में भी कई सालों तक चलने वाले अकाल देखने को मिले हैं. प्राचीन भारतीय ग्रंथ जैसे अर्थशास्त्र और ऋग्वेद में इसका जिक्र भी मिलता है. 12 वर्ष तक चलने वाले सूखे का वहां जिक्र भी मिलता है.

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नए आंकड़ों से यह संकेत मिल रहा है कि इस उपमाद्वीप में सूखे का खतरा फिर हो सकता है, जो 3 साल से लेकर एक दशक तक चल सकता है. अगर ऐसा होता है तो यह मानवता के लिए बड़ा खतरा साबित होगा. खासकर भारत के लिए, जहां मानसून आधारित एक बड़ा कृषि क्षेत्र है.

कैलिफॉर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष सिन्हा ने कहा कि लंबे समय तक चलने वाले सूखे की वजह से कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. इस तरह का सूखा इस क्षेत्र में पिछले 150 सालों से नहीं पड़ा है.

इस रिपोर्ट की प्रमुख लेखक और चीन के शीआन जियोओतोंग यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गायत्री कथायत ने कहा कि यदि भविष्य में इस तरह का कई सालों तक चलने वाला सूखा फिर आता है तो यह समाज को बुरी तरह प्रभावित करेगा. इनसे बचाव के लिए हमें अभी से तैयार रहने की जरूरत है.

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claims study Indian subcontinent is prone to catastrophic prolonged droughts
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'भारत पर मंडरा रहा कई सालों तक चलने वाले विनाशकारी सूखे का खतरा'
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