डीएनए हिंदी: अरविंद केजरीवाल... दिल्ली के इस 'आम आदमी' से शायद ही आज भारत को कोई भी आदमी अपरिचित हो. पैंट के बाहर निकली शर्ट और पैरों में सैंडल पहने यह शख्स न सिर्फ खुद दिल्ली के सीएम की कुर्सी तक पहुंच गया बल्कि पंजाब में अपने दम पर बड़े-बड़े सुरमाओं का चित्त करवा दिया. आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल आज भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए परेशानी की बहुत बड़ी वजह हैं. केजरीवाल स्टाइल पॉलिटिक्स का इन दोनों ही सियासी दलों के पास कोई तोड़ नहीं नजर आ रहा है. आज अरविंद केजरीवाल का जन्म दिन है, 16 अगस्त 1968 को जन्मे अरविंद केजरीवाल आज 54 साल के हो चुके हैं. आज अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कैसे केजरीवाल एक आदमी की तरह संघर्ष कर सत्ता तक पहुंचे और कई ऐसे काम कर दिखाए जो असंभव कहे जाते थे.
साल 2011, भ्रष्टाचार के खिलाफ इस साल पूरे देश में बड़े स्तर पर आंदोलन हुए. केंद्र की यूपीए सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप भी लगे. इस दौरान देश की राजधानी नई दिल्ली में अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए आंदोलन से अरविंद केजरीवाल की उत्पत्ति हुई. ऐसा नहीं है कि अरविंद केजरीवाल इससे पहले समाज सेवा में एक्टिव नहीं थे. अरविंद केजरीवाल समाज सेवा में एक्टिव होने से पहले एक IRS अधिकारी थे. सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में काफी काम किया. अन्ना आंदोलन के दौरान उन्होंने अन्ना हजारे के सहयोगी के रूप में काम किया और बाद में वह सियासत में आ गए.
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पहले ही चुनाव में बजा दिया कांग्रेस का बाजा
अरविंद केजरीवाल ने साल 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन किया. आम आदमी पार्टी ने साल 2013 में पहली बार दिल्ली में कोई चुनाव लड़ा. दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया. इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. केजरीवाल की पार्टी को दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिलीं. भाजपा को 32 और कांग्रेस को 8 सीटें ही नसीब हुईं. केजरीवाल ने इस चुनाव में दिल्ली की दिग्गज शीला दीक्षित को मात दी. बाद में उन्होंने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई जो 49 दिन चली.
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दूसरे चुनाव में कांग्रेस साफ, भाजपा नहीं बचा पाई नाक
अपने पहले कार्यकाल में केजरीवाल ने कुछ इस तरह से काम किया कि दिल्ली के अगले चुनाव में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से साफ हो गई और भाजपा को सिर्फ तीन सीटें नसीब हुईं. इस दौरान अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में कई बड़े फैसले लिए गए, जिसमें फ्री बिजली-पानी शामिल हैं. केजरीवाल अपने इन फैसलों की वजह से देश के अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हुए. आम आदमी के लिए उनकी सरकार द्वारा कई और लोकप्रिय फैसले किए गए जिनमें महिलाओं को बसों में फ्री सफर शामिल हैं.
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अब अन्य छोटे राज्यों पर नजर
दिल्ली में लगातार तीन चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल अब राजधानी के बाहर अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. हाल ही में पंजाब चुनाव में उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई है. अब उनकी नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदेश गुजरात पर है. गुजरात में लंबे समय से भाजपा का शासन है. कांग्रेस इसबार यहां कमजोर नजर आ रही है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल की पार्टी रणनीति के साथ गुजरात में उतरी है. सियासी जानकारों का मानना है कि केजरीवाल यहां भले ही सरकार न बना पाएं लेकिन वो कांग्रेस को हाशिए पर ढकेल सकते हैं और राज्य में आम आदमी पार्टी दूसरी बड़ी पार्टी बन सकती है.
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Arvind Kejriwal Birthday: दिल्ली के बाहर दस्तक दे रहा यह 'आम आदमी', कांग्रेस-भाजपा दोनों परेशान