डीएनए हिंदीः दुनिया की वन्यजीवों की प्रजातियों को मापने के लिए बने ग्लोबल लिविंग प्लेनेट इंडेक्स (Global Living Plated Index) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार पिछले 50 सालों में वन्यजीवों की प्रजातियों में 69 फीसदी की कमी आई है. रिपोर्ट में घटते वनों के बारे में भी चिंता जताई गई है. दुनिया में हर साल एक पुर्तगाल देश जितने जंगल कम हो जाते हैं. इसी बीच 50 सालों में मानवों की आबादी दोगुना हो गई है.
दुनिया की आबादी 50 साल में दोगुने से ज्यादा
साल 1970 में दुनिया की आबादी 370 करोड़ थी. साल 2020 तक आते आते दुनिया की आबादी में 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है. बढ़ती आबादी का दबाव हमारे जैव संसाधनों पर पड़ा है. जिसके कारण जैव विविधता में कमी आई है.
दक्षिणी अमेरिका में 94 % कम हुई जैव विविधता
लिविंग प्लेनेट इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार वन्य जीवों विविधता हुआ परिवर्तन में बहुत असमानता भी है. जहां यूरोप और मध्य एशिया में जैव विविधता में 18 % में कमी हुई वहीं, दक्षिणी अमेरिका और कैरीबियन इलाके में ये 94 प्रतिशत तक कम हुआ है.
ताजे पानी के इलाकों में 83 फीसदी इंडेक्स की कमी
रिपोर्ट ये भी बताती है कि ताजे पानी के इलाकों में जैव विविधता में ज्यादा कमी आई है. ताजा पानी धरती के महज 1 प्रतिशत हिस्से पर मौजूद है. मगर दुनिया की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ताजे पाने के 3 किमी के दायरे के अंदर रहती है. ऐसे में मानवों की बढ़ती आबादी का दबाव बाकी जीवों पर आएगा ही. इसी दबाव के कारण ये Fresh Water Living Index में 83 % की कमी आई है.
हर साल एक पुर्तगाल जितने जंगल खो देते हैं हम
जगंलों की ग्लोबल वार्मिंग को रोकने की भूमिका के बारे में हम सभी जानते हैं. हमारे जंगल में का कार्बन साल 2001 से 2019 के बीच दुनिया के धरती खोद के निकाले जाने वाले तेल,गैस और कार्बन से ज्यादा है. वातावरण से दुनिया के जंगल 7.6 गीगाटन कार्बन डाई ऑक्साइड सोखते है. ये मानव गतिविधियों से दुनिया में पैदा हुई कार्बन का 18 प्रतिशत होती है. जंगल कुल मिलाकर इस धरती को 0.5 डिग्री ठंडा रखते है. मगर इसके बावजूद हम 10 मिलियन हैक्टेयर जंगल हर साल खो देते हैं. 10 मिलियन हेक्टेयर का मतलब है कि हम हर साल एक पुर्तगाल खो रहे हैं.
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पिछले 50 साल में दुनिया में वन्यजीव प्रजातियों में 70 फीसदी की आई कमी, Living Index Report में हुआ खुलासा