Bengaluru Suicide Case: बेंगलुरु में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद इंटरनेट पर डिवोर्स शब्द ट्रेंड करने लगा. ऐसे में लोगों के बीच स्त्री-पुरुष के रिश्तों के अलावा, शादी की संस्था और शादी की निशानियां जैसे मंगलसूत्र पर भी बहस शुरू होने लगी. देश में एक तरफ अतुल सुभाष के लिए संवेदनाएं तो दूसरी तरफ पितृसत्ता की अकड़ पर बात होने लगी.
शादी का एक अहम हिस्सा मंगलसूत्र कई तरह की भावनाओं से बंधा होता है, लेकिन जिस महिला का डिवोर्स हो जाता है, उसके लिए मंगलसूत्र एक दर्दनाक याद की शक्ल ले लेता है. हाल के दिनों में देखा जा रहा है कि जैसे-जैसे महिलाएं पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं वहीं, मंगलसूत्र के साथ बंधी बेतुकी शर्तों से खुद को आजाद कर रही हैं और यही शादी के टूटने की वजह बन रही है.
मंगल सूत्र नहीं अमंगल सूत्र- सोमा विश्वास
‘हिंदुस्तान में तलाक बिना लड़ाई-झगड़े के खत्म नहीं होता. रिश्ते में इतना दंगल हो जाता है कि जब तक उसे पूरी तरह खत्म करते हैं, तब तक मंगलसूत्र-लाइफ के अमंगल सूत्र में बदल जाता है, उससे कोई इमोशनल रिश्ता नहीं रहता. लगता है जैसे रिश्ते को फंगस लग गई हो.’ कलकत्ता की रहने वाली 48 साल की सोमा विश्वास के हैं ये लफ्ज.
एसिस्टेंट प्रोडक्शन मैनेजर एंड आर्ट डायरेक्टर सोमा विश्वास कहती हैं, ‘हमारे यहां शादी के बाद मंगलसूत्र पहनना किसी ब्याहता के लिए ऑक्सीजन के समान है, अगर उसने उसे नहीं पहना तो पति के शरीर में कार्बनडाईऑक्साइड का स्तर बढ़ने लगता है.’ सोमा शुरू से आजाद ख्याल महिला रहीं. उनके पति ने भी उन्हें उनके मस्तमौला अंदाज की वजह से पसंद किया था, लेकिन सोमा का कहना है कि हिंदुस्तान में ये मानसिकता कभी नहीं बदलेगी. पति को शादी से पहले गर्लफ्रेंड और शादी के बाद पत्नी चाहिए होती है. पर पति शादी के बाज जो फ्रीडम इंजॉय करना चाहता है, वो आजादी पत्नी को देने के लिए कतई राजी नहीं होता. मेरा ‘आजादी’ की बात करना हमेशा गलत नजर से देखा गया और उसके गलत मतलब निकाले गए. जिस दिन इस बाध्यता की गुत्थमगुत्था ज्यादा बढ़ गई बस उस दिन मंगलसूत्र का वो बंधन टूट गया और हम दोनों अलग हो गए. मुझे बिल्कुल याद नहीं कि मैंने मंगलसूत्र कहां रख छोड़ा है.
'मंगलसूत्र सपनों का बांध अब तोड़ दिया'
सोमा के जैसा ही अनुभव दिल्ली की बिंदिया शर्मा का है. बिंदिया फिलहाल दिल्ली में जिम चलाती हैं. वे बताती हैं कि 2003 में मेरी शादी हुई और 2017 में मैंने घर छोड़ दिया, क्योंकि मेरे पति को घरवाली और बाहरवाली दोनों साथ में चाहिए थीं और मैं दोनों नहीं बन सकती थी. तलाक के बाद मंगलसूत्र का क्या किया? इस सवाल के जवाब में वे कहती हैं, मुझे मंगलसूत्र बहुत पसंद थे. शादी के बाद दो तरह के मंगलसूत्र खरीदे थे. एक लंबा था जिसे ट्रेडिशनल ड्रेसेज के साथ पहनती थी और एक छोटा जो वेस्टर्न ड्रेसेज के साथ पहनती थी, लेकिन शादी के कुछ समय बाद रिश्ते में इतनी कड़वाहट भर गई कि अब वो मंगलसूत्र किसी अल्मारी में सहेज कर रखा है. बिंदिया कहती हैं, अब लगता है कि मंगलसूत्र मेरे सपनों का बांध था जिसे तोड़ दिया है और अब मैं खुशी के साथ जीती हूं.
'मंगलसूत्र की अहमियत भावनात्मक लगाव तक'
मैरिज काउंसलर और फिजिशियन डॉ. के आर धर का कहना है कि शादी में मंगलसूत्र की अहमियत तभी तक है जब तक पति-पत्नी के बीच भावनात्मक रिश्ता है. अगर किसी लड़की के लिए शादी का रिश्ता मटिरियलिस्टिक है, तो उसे तलाक के बाद मंगलसूत्र को लेकर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. डॉ. धर का कहना है कि भारत में मंगलसूत्र, सिंदूर, बिंदी, बिछिया शादी में अहम रोल निभाते हैं. कई परिवारों में इन्हें पहनने की बाध्यता होती है, पर सवाल यह है कि अगर कोई लड़का शादी के बाद ससुराल की तरफ से मिली अंगूठी को निकाल रख दे तो परिवार में कोई सवाल नहीं करता, लेकिन अगर लड़की मंगलसूत्र निकाल रख दे तो उसके कैरेक्टर तक पर सवाल कर दिया जाता है.
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मंगलसूत्र सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि सामाजिक बंधन है. शादी के बाद अगर कोई महिला इसे नहीं पहनती, तो पुरुष समाज उसे अवेलेबल समझता है, अगर वो इसे पहनती है तो सामाजिक स्वीकार्यता मिलती है और मंगलसूत्र पहनने वाली महिला को इज्जत की नजर देखा जाता है.
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DNA Special: तलाक के बाद मंगलसूत्र का क्या करें? महिलाएं बोलीं-हमारे लिए अमंगल सूत्र और पति के शरीर का कार्बन डाईऑक्साइड