डीएनए हिन्दी : कल देर रात डेसमंड टूटू (Desmond Tutu) का निधन हो गया. 1984 में शान्ति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले टूटू दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला के साथ काम करने वाली पीढ़ी के सबसे महत्वपूर्ण नामों में से एक थे. उन्हें गांधी का आधुनिक वैश्विक अनुयायी भी कह दिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

डेसमंड टूटू का इस बात में गहरा विश्वास था कि नस्लीय भेदभाव के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने में हिंसा के लिए कोई जगह न रहे और बात पुरज़ोर तरीके से दर्ज हो. 

APARTHIED के ख़िलाफ़

1931 में पैदा हुए टूटू ने थियोलॉजी (धर्म शास्त्र) में इंग्लैंड से मास्टर्स किया था.  1975 में वे जोहान्सबर्ग के सेंट मेरी कैथेड्रल के डीन नियुक्त हुए. यही वह जगह थी जहां से उन्होंने सुधार की शुरुआत की थी. रंगभेद (APARTHIED ) के ख़िलाफ़ जुनूनी रहे टूटू इस पद पर नियुक्त किए जाने वाले पहले अश्वेत थे. पैसों की कमी की वजह से डॉक्टर बनने की उनकी तमन्ना पूरी नहीं हो पाई. इसके बाद टूटू ने पहले एन्जेलिकन प्रीस्टहुड और फिर थियोलॉजी की पढ़ाई की. पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने समाज की बेहतरी का रास्ता चुना. 

आर्कबिशप टूटू ने लगातार नस्लीय भेदभाव के ख़िलाफ़ जोरदार तरीके से आवाज उठाई. उनकी आवाज़ दुनिया की आवाज बन गई. उस वक़्त दक्षिण अफ्रीका में ब्लैक समुदाय को राजनीतिक-सामाजिक लाभ और सुविधाएं हासिल नहीं थीं जो श्वेत लोगों को हासिल थी. टूटू ने रंगभेद परम्परा को बुरी या शैतानी परम्परा बताया. 1980 के दशक में उनका ऑफिस हर तरह के सामजिक आन्दोलनों का केंद्र बन गया था. टूटू पर सख्त निगाहें रखी जा रही थीं लेकिन इसके बावजूद वे लगातार अपने उद्देश्यों को लेकर मुखर रहे. नेल्सन मंडेला जब पहली बार राष्ट्रपति बने तब उनके हाथ में टूटू का हाथ था.

सामजिक न्याय की प्रेरणा

नेल्सन मंडेला ने कहा कि मुझे टूटू से हुई अपनी पहली मुलाक़ात याद है. यह कोई वास्तविक मुलाक़ात नहीं थी. किसी समाजवादी प्रश्न का जवाब ढूंढ़ते हुए उनकी एक उक्ति मेरे सामने आ गयी थी और वह कुछ यूं थी ...

“अगर नाइंसाफ़ी के वक़्त आप निष्पक्ष/संतुलनवादी होना चुनते हैं तो आप दमनकर्ता की तरफ़ हैं. अगर किसी हाथी का पैर चूहे के पूंछ के ऊपर है और आप कहते हैं कि आप किसी के पक्ष में नहीं हैं तो चूहा आपकी इस निष्पक्षता को बिल्कुल नहीं सराहेगा.“

अपने बाद के सालों में आर्क-बिशप टूटू दुनिया भर के लोगों के लिए मानवाधिकार के पैरोकार बन गए थे. अपने सामजिक न्याय की अवधारणा को डेसमंड टूटू ने ज़ाहिर करते हुए कहा था कि उनका इसाई होना उन्हें दबे-कुचलों की आवाज़ बनने के लिए प्रेरित करता है. उनका मानना था कि चीज़ें ठीक होने पर दक्षिण अफ्रीका दुनिया के सामने नज़ीर (आदर्श) की तरह उभर सकता है.

टूटू का जाना

टूटू सबके लिए समान अधिकार के घोर पक्षधर थे पर हिंसा के सख्त ख़िलाफ़... दुनिया के अलग-अलग इलाकों से जब नस्लभेद और रंगभेद की खबरें सामने आएंगी तब टूटू जैसे योद्धाओं की याद जरूर आएगी. अलविदा डेसमंड टूटू.

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डेसमंड टूटू क्यों ज़रूरी थे दुनिया के लिए?
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