डीएनए हिंदी : 1991 में भारत भीषण भुगतान संतुलन की समस्या से गुज़र रहा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह की नेतृत्व वाली सरकार ने उस दौरान रिज़र्व बैंक के साथ साझेदारी में एक कठिन फ़ैसला लिया. यह फ़ैसला रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पास मौजूद सोना और सरकार द्वारा जब्त किए गए सोने के इस्तेमाल का था. इस सोने के इस्तेमाल से सरकार फॉरेन एक्सचेंज रिसोर्स को बढ़ाने के लिए कर रही थी. इस दौरान सरकार ने उपलब्ध सोने को बेचने का ख़याल भी कर लिया था. फिर सरकार ने इस व्यवस्था को अस्थाई ही रखने का विचार किया. फिर से ख़रीद लेने को बेहतर विकल्प माना गया. सरकार को सीमित सीमाओं में काम करना था और तेज़ी से इसे निबटाना था, साथ ही यह भी तय करना था कि सम्माननीय बुलियन डीलर्स के साथ डील किया जाए, बजाय ढेर सारे अप्रवासी भारतीयों को इसमें शामिल करने के. सोलह जनवरी 1991 को SBI ने रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्रालय को उचित दर पर सोना गिरवी रखने का प्रस्ताव भेजा. रिज़र्व बैंक ने इस प्रस्ताव की पूरी छानबीन की. 16 मार्च 1991 को रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और सरकार ने पंद्रह दिनों के अंदर हामी भर दी.

यूनियन बैंक ऑफ़ स्विट्ज़रलैंड ने निभाई थी महती भूमिका

इसमें सरकार के द्वारा SBI को 20 मीट्रिक टन सोना उपलब्ध करवाया गया था. इस समझौते सरकार और SBI ने पुनर्खरीद का विकल्प खुला रखा. इसके ज़रिये सरकार की मंशा 200 मिलियन डॉलर से कुछ अधिक मुद्रा इकट्ठा करने की थी. इस पूरे मसले में गोपनीयता बरती गई थी. इसके बाद यूनियन बैंक ऑफ़ स्विट्ज़रलैंड ने SBI से वह सोना ख़रीद लिया. यूनियन बैंक ऑफ़ स्विट्ज़रलैंड ने सोना डील वाले दिन के ठीक पहले वाले दिन लंदन फिक्सिंग प्राइस के गोल्ड रेट के हिसाब से SBI से सोना ख़रीदा था. SBI को सोने का लगभग 95% मूल्य मिला था.  बाक़ी पांच प्रतिशत रक़म अगले 6 महीने में अदा की जानी थी.  SBI ने कुल 19.65 मीट्रिक टन सोना UBS को दिया था. विशुद्धता की बात की जाय तो 24 कैरेट 18.36 मीट्रिक टन सोना दिया गया था. UBS ने SBI को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिए थे. लागू ब्याज़ की दर 6.33 प्रतिशत रखी गई थी.

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गिरवी रखा गया था सोना

वास्तव में यह UBS के द्वारा SBI को दिए गए लोन में सोना गिरवी के तौर पर रखा गया था.  सोने की कीमत के 5% से अधिक बढ़ने पर UBS अतिरिक्त लोन देने को भी तैयार था. नवंबर/दिसंबर 1991 में यह सोना SBI के द्वारा वापस ख़रीदा गया और क्रमशः 18.36 मीट्रिक टन सोना वापस रिज़र्व बैंक के पास गया. 1.63 मीट्रिक टन सोना SBI ने सरकार को लौटा दिया था. इस सौदे के पूरे होने के बाद रिज़र्व बैंक के पास कुल  65.27 मीट्रिक टन सोना था.

सरकार को झेलनी पड़ी थी आलोचना

सरकार के इस कदम की बेहद आलोचना हुई थी मगर हालात इतने ख़राब थे कि यह अवश्यम्भावी हो गया था. सरकार ने आपात स्थिति में  आवश्यक रकम इकट्ठा कर दिवालियेपन की हालत से देश को बचाया था. इसके ठीक बाद नरसिम्हा राव की सरकार ने आर्थिक बेहतरी के लिए चार सूत्री कार्यक्रम चलाया था.

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when mortgaging gold helped India in saving economy
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जब सोने की मदद से अर्थव्यवस्था सुधारी गई थी
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