डीएनए हिंदी: एक वकील से भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख चेहरा बनने तक मोहनदास करमचंद गांधी के बारे में काफी कुछ लिखा और पढ़ा गया. राष्ट्रपिता बापू की इस जीवनयात्रा का सबसे अहम हिस्सा रहीं उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी. उन्होंने गांधी जी के जीवन में आने वाले तमाम बदलावों और उनके एक सामान्य व्यक्ति से राष्ट्रपिता बनने तक के सफर को सबसे करीब से देखा.
गांधी जी के जीवन का मजबूत स्तंभ रहीं कस्तूरबा
बदलावों भरे इस जीवन में वह हमेशा एक मजबूत स्तंभ की तरह बापू के साथ खड़ी रहीं. कई किताबों और लेखों में यह जिक्र मिलता है कि गांधी और कस्तूरबा के बीच कई मुद्दों पर असहमति भी होती थी और नाराजगी भी, मगर उनके बीच का विश्वास और जुड़ाव गहरा था. इस ख़त से भी यह साफ जाहिर होता है.
इसलिए लिखा था खत
उन दिनों कस्तूरबा गांधी की बहू गुलाब अपने बच्चों के साथ साबरमती आश्रम रहने आई थी. जब वे लोग राजकोट के लिए वहां से गए तो कस्तूरबा को बहुत अकेलापन महसूस होने लगा. वह नाडियाड में खेड़ा सत्याग्रह के लिए गए हुए गांधी जी के पास जाना चाहती थीं. तब गांधी जी ने उन्हें यह खत लिखा-
बा
सिर्फ नौ दिन बचे हैं. भगवान ने चाहा तो हम जल्द मिलेंगे. मैं तुम्हारी चिट्ठी में एक बात का जवाब देना भूल गया था. तुमने कहा था कि घर से आते हुए मैंने तुम्हारे सिर पर अपना हाथ नहीं रखा. जैसे ही गाड़ी स्टार्ट हुई, मुझे भी ऐसा लगा कि मुझे ऐसा करना था, लेकिन तुम मुझसे दूर खड़ी थीं.
क्या तुम्हें इस तरह के औपचारिक संकेतों की जरूरत है?तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं औपचारिक तरीके से अपना प्यार जाहिर नहीं करता हूं ... तो यह प्यार खत्म हो गया है?
मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूं कि मेरा तुम्हारे प्रति प्यार हर दिन बढ़ रहा है और बढ़ता ही जाता है. ऐसा नहीं है कि यह पहले कम था, मगर यह पहले जो था अब उससे भी ज्यादा पवित्र और गहरा होता जाता है. मैं तुम्हें सिर्फ एक पत्नी के रूप में नहीं देखता.
मुझे अब और क्या कहना चाहिए. अगर तुम्हें अब भी लगता है कि औपचारिक संकेत जरूरी हैं, तो मैं उनका पालन जरूर करुंगा.
बापू.
शादी का किस्सा
सन् 1883 के मई महीने में 14 साल की कस्तूरबा की शादी 13 साल के मोहनदास के साथ हुई थी. माता-पिता की सहमति से हुई यह अरेंज मैरिज 62 साल तक चली. एक बार अपनी शादी के दिन को याद करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था, ' हम उस वक्त शादी के बारे में ज्यादा कुछ जानते-समझते नहीं थे. हमारे लिए बस यह नए कपड़े पहनने, मिठाई खाने और रिश्तेदारों के साथ मौज-मस्ती करने का मौका था.'
(खत स्रोत- www.gandhi-manibhavan.org)
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Love letter: महात्मा गांधी ने बा से ऐसे कही थी दिल की बात, 'जाहिर नहीं करता हूं, मगर प्यार हर दिन बढ़ रहा है'