डीएनए हिंदी : छुटपन के उन दिनों में जब दूरदर्शन एकमात्र चैनल हुआ करता था, तानाना ता ना ना की धुन पर आम लोगों का एक क़िस्सा शुरू होता था और लोगों की भीड़ टीवी के आस-पास जुमट जाती थी. आर के नारायण( R. K. Narayan ) का लिखा मालगुडी डेज़ नब्बे और 2000 के दशक में बड़े हुए कई बच्चों की याद का स्थाई हिस्सा होगा. बेहद शानदार लेखक आर के नारायण के क़िस्से और उनके छोटे भाई आर के लक्ष्मण के कार्टून ने तकनीक की ओर हौले हौले कदम बढ़ा रहे भारतीय जन-मानस के ज़हन में आम-आदमी और आम जीवन की जो छवि अंकित की है, उसे बिसारना लगभग नामुमकिन है.
R. K. Narayan की लेखकीय दुनिया
भारत के इस विलक्षण लेखक के साथ प्रथम याद भले ही मालगुडी डेज़ से जुड़ी हो, आर के नारायण( R. K. Narayan ) के लिखे किताबों की विशाल दुनिया है. पद्म भूषन और पद्म विभूषण, दोनों अलंकरणों से सम्मानित किया गया था. आर के नारायण ने कुल 34 उपन्यास लिखे. द इंग्लिश टीचर, वेटिंग फॉर द महात्मा, द गाइड इसी खूबसूरत फेहरिस्त का हिस्सा हैं.
गाइड पर बनी फिल्म आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे अच्छी फिल्मों की सूची में शुमार की जाती है.
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ज़िन्दगी जो ख़ास थी
भारत के साहित्यिक पटल के इस सितारे का जन्म 10 अक्टूबर 1906 में हुआ था. वे अपने मां-पिता की सात संतानों में एक थे. पत्नी का साथ बेहद छोटा रहा, अधूरे दाम्पत्य को उन्होंने अपनी लेखकीय कृतियों से सुवासित कर दिया. R. K. Narayan 1986 से 1992 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे थे. उनकी मृत्यु 94 साल की उम्र में 13 मई 2001 को हुई थी.
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