डीएनए हिंदी: हमारी सीरीज 'छोटे शहर की लड़की' में आज कहानी एक ऐसी लड़की की जिंदगी से जुड़ी है जो आम लड़कियों की तरह ही पढ़ी-लिखी और नौकरी करने लगी. उसकी इस आम सी कहानी का खास पहलू ये है कि उसकी वजह से आज पहली बार उसके परिवार की दो पीढ़ियों को एक घर मिला है. अपना घर. इस लड़की का नाम है नेहा मिश्रा. उम्र है सिर्फ 24 साल. भागलपुर में रहती हैं और अब हर छोटे शहर, कस्बे और गांव की लड़की के लिए एक प्रेरणा के रूप में सामने आ रही हैं. 

ऑटो चलाते थे पापा
नेहा बताती हैं, 'बचपन से ही मैंने पापा को ऑटो चलाते देखा था. सन् 1989 से 2014 तक उन्होंने ऑटो चलाकर ही मुझे और मेरे भाई की पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठाया है. इसके बाद वह अब भागलपुर के शिक्षा विभाग में परिचारी का काम करते हैं. पैसों की तंगी रहती थी इसलिए पापा हमें हिंदी मीडियम में ही पढ़ाना चाहते थे. मगर मम्मी की जिद थी कि बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में ही पढ़ाना है ताकि आगे चलकर तरक्की में कोई मुश्किल ना हो.' मम्मी की जिद ने नेहा और उनके भाई के लिए उम्मीदों के नए रास्ते खोल दिए. पापा ने एडमिशन भी करवा दिया और फिर साइकिल से खुद ही स्कूल छोड़ने भी जाने लगे.

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सैंट फ्रांसिस कॉलेज से ग्रेजुएशन
नर्सरी से 12वीं तक भागलपुर के माउंट कैरेमल स्कूल में पढ़ाई करने के बाद ग्रेजुएशन के लिए नेहा ने सैंट फ्रांसिस कॉलेज फॉर वुमन में एडमिशन लिया. यहीं पर प्लेसमेंट के लिए अमेजन कंपनी के साथ उनका इंटरव्यू हुआ. इस इंटरव्यू में नेहा पास हो गईं और 6 लाख के पैकेज पर डाटा एनालिस्ट के तौर पर उनकी नौकरी लग गई. इसके बाद अमेजन के इंटर्नल एग्जाम को पास करके नेहा वहां बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम करने लगीं और उनका पैकेज भी 6 से 10 लाख रुपये हो गया.

 

घर खरीदने का सपना
नेहा बताती हैं, 'मैं और मेरे मम्मी-पापा ही नहीं मेरी दादी ने भी कभी अपना घर नहीं देखा. हमारा परिवार 40 सालों से किराये के घर में रह रहा है. अक्सर 1-2 साल बाद वो घर खाली करना पड़ता है. ऐसा ही कोरोना के दौरान भी हुआ. कोविड-19 की वजह से मुझे वर्क फ्रॉम होम मिला हुआ था. उसी दौरान हमारे मकान मालिक ने कहा कि घर खाली करना पड़ेगा क्योंकि उन्हें कुछ काम करवाना है. तब मुझे लगा कि बस अब किराये के घरों में धक्के नहीं खाने और अपना घर लेना है, लेकिन पापा ने ये बात नहीं मानी.

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neha and family

लोन लेकर पापा को मनाया
नेहा कहती हैं कि पापा लोन नहीं लेना चाहते थे. उन्हें लोन या कर्ज जैसी चीजों से काफी डर लगता है. वह घर लेने के लिए मान ही नहीं रहे थे. तब मैंने अपनी सेविंग्स और अपने सैलरी अकाउंट से मिल सकने वाले लोन पर पूरी रिसर्च की. पापा को सब कुछ बताया और समझाया. काफी कोशिशों के बाद पापा माने. मुझे मेरी सैलरी पर 30 लाख का लोन मिल गया और हमने घर बुक कर दिया.' अब नेहा और उनका परिवार जीरोमाइल स्थित वसंत विहार कॉलोनी के अपने इस घर में शिफ्ट भी हो गए हैं और यह खुशी सिर्फ नेहा और उनके पिता की ही नहीं उनकी दादी की आंखों में भी साफ नजर आती है.

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neha mishra from bhagalpur become inspiration buy home after two generations
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24 साल की बेटी ने माता-पिता को गिफ्ट किया 35 लाख का घर
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Bihar: ऑटो ड्राइवर की बेटी को Amazon में मिली नौकरी, माता-पिता को गिफ्ट किया 35 लाख का घर