डीएनए हिंदीः भारत दुनिया में सुपर पॉवर (Super Power) बनना चाहता है. पड़ोसी देशों की अड़ियल रवैये के कारण भारत का महाशक्ति बनना इसके अस्तित्व के लिए जरुरी भी है. सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) पर निर्भर होती जा रही इस दुनिया में उसे अपनी रक्षा और आर्थिक विकास के लिए तकनीक पर निवेश बढ़ाना ही होगा. मगर हैरानी की बात ये है कि पिछले कई सालों से भारत का अनुसंधान और विकास यानी Research and development (R&D) पर खर्च GDP के प्रतिशत के रुप में न केवल स्थिर रहा है बल्कि गिरा भी है. तो आईए जानते हैं कि तकनीक के क्षेत्र में भारत अलग अलग पैमानों पर कहां ठहरता है ?
R&D पर भारत का खर्च कम हो रहा है
वित्तीय वर्ष 2008-09 में भारत 47,353 करोड़ खर्च कर रहा था, अगले 10 वर्षों में यह 2.5 गुना बढ़ गया, जो कागजों पर अच्छा लगेगा. मगर जब हम इसे खर्च को जीडीपी के प्रतिशत के रूप आकलन करते हैं तो पाएगें कि ये कम हुआ है. दरअसल, वित्त वर्ष 19 में हमारा R&D पर खर्च जीडीपी के 0.8% से घटकर 0.7% हो गया है. ऐसा नहीं है कि किसी एक साल में ये कमी हुई है, साल 2012-13 से भारत R&D पर 0.7% ही खर्च कर रहा है.
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बाकी देशों के मुकाबले भारत का R&D पर निवेश
भारत को अगर महाशक्ति बनना है तो उसे अनुसंधान के क्षेत्र में और अधिक पूंजी लगाने की जरुरत है. आईए एक बार अपने ब्रिक्स देशों से तुलना कर लेते हैं. मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के आंकड़ों के मुताबिक जहां भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% R&D पर खर्च किया,वहीं बाकी देश इस मामले भारत से कहीं आगे हैं.
ब्रिक्स देश GDP का R&D में निवेश (% में)
ब्राजील 1.3%
रूस 1.1%
चीन 2.1%
दक्षिण अफ्रीका 0.8%
भारत 0.7 %
वहीं अन्य देशों की तुलना करने पर हम पाते हैं कि इज़राइल और दक्षिण कोरिया विश्व महाशक्तियों की तुलना में बहुत अधिक आवंटन कर रहे है. इसी वजह से वो Global Innovation Index में बाकी देशों से कहीं आगे हैं.
देश GDP का R&D में निवेश (% में)
इज़राइल- 4.5
दक्षिण कोरिया- 4.6
जर्मनी 3.0
जापान- 3.2
यूएसए - 2.8
यूके - 1.7
नॉर्वे-2.1
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भारत में शोधार्थियों की संख्या हुई दोगुनी लेकिन फिर पाकिस्तान से कम
2000 के बाद से प्रति मिलियन आबादी पर भारत में शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी हो गई है. साल 2000 में भारत के पास प्रति मिलियन आबादी पर 110 Researcher थे जो कि साल 2017 तक बढ़कर 255 हो गए. मगर आप हैरान होगें कि अभी भी पाकिस्तान (336) में शोधार्थियों का आकंड़ा भारत से ज्यादा है.
ब्रिक्स देश प्रति मिलियन शोधकर्ता
ब्राजील - 888
रूस- 2822
चीन- 1255
दक्षिण अफ्रीका- 492
भारत- 255
विकसित देशों में प्रति मिलियन शोधकर्ता
डेनमार्क- 7899
इजराइल- 8342
दक्षिण कोरिया-7498
फिनलैंड- 6722
सिंगापुर- 6636
स्वीडन-7597
ऑस्ट्रेलिया - 4539
फ्रांस -4450
जापान- 5304
जर्मनी - 5003
यूएसए- 4245
यूके- 4341
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R&D में निजी क्षेत्र की रुचि हुई कम
दशकों से सरकार ही अनुसंधान एवं विकास पर भारी निवेश कर रही है. वर्ष 2004-05 में R&D में सरकारी निवेश 70% था, जबकि निजी क्षेत्र शेष 30% का योगदान दे रहे थे। पिछbले कई सालों में ये धीरे-धीरे बढ़ा और साल 2012-13 में तो निजी क्षेत्र की भागीदारी 45% तक हो गई थी.लेकिन पिछले कई सालों से निजी क्षेत्र का निवेश 40 फीसदी से कम बना हुआ है.
भारत का निवेश हुआ तीन गुना
देश में अनुसंधान एवं विकास पर खर्च साल दर साल बढ़ रहा है और पिछले 1O सालो में तीन गुना हो गया है. साल 2007-08 में R&D पर भारत 39,437 करोड़ रु खर्च कर रहा था जो साल 2017-18 तक बढ़ते बढ़ते 1,13,825 करोड़ रु हो गया. भारत का प्रति व्यक्ति R&D खर्च 2017-18 में बढ़कर 47.2 डॉलर PPP हो गया, जो 2007-08 में 29.2 डॉलर PPP के स्तर पर था. PPP का मतलब होता है Puchasing Power Parity यानि क्रय शक्ति समानता दो देशों की आर्थिक उत्पादकता और जीवन स्तर की तुलना को आसान बनाती है.
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क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस ( National Technology Day)
24 साल पहले 11 मई 1998 को भारत ने पोखरण में परमाणु हथियारों का सफलता पूर्वक परीक्षण किया था, जिसके बाद अगले साल तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दिन को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस ( National Technology Day) के तौर पर मनाने की घोषणा की.
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National Technology Day: R&D पर GDP का खर्चा महज 0.7 प्रतिशत, कैसे बनेगा भारत सुपरपॉवर?