डीएनए हिंदी : प्रियंका चोपड़ा अभी सरोगेसी (surrogacy) के ज़रिये माँ बनी हैं. प्रियंका के माँ बनने की ख़बर आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नया डिबेट शुरू हो गया है. तस्लीमा नसरीन सहित कई लोगों ने लिखा कि बिना मातृत्व का दर्द सहे हुए माँ नहीं बना जा सकता है, हालांकि हम 21 सदी में हैं. इस सदी में महिला अधिकार की चर्चा पहले से कहीं अधिक हुई है. महिला अधिकार में एक वृहत चर्चा स्त्री यौन और जनन अधिकार (SRHR ) पर होती रही है. जनन अधिकार एक्टिविस्ट्स की मानी जाए और सुनी जाए तो तस्लीमा नसरीन समेत दर्द से मातृत्व को जोड़ने वाले दमाम फलसफे दकियानूसी नज़र आते हैं. ये कहीं न कहीं स्त्री के अस्तित्त्व को मातृत्व के इर्द-गिर्द लपेट देते हैं, साथ ही मातृत्व  के वृहत फलक को केवल जन्म देने, दर्द सहने से बांध देते हैं. 

क्या है भारत में औरतों के जनन अधिकार ( Reproductive Rights)

24 अगस्त 2017 को जस्टिस के. एस पुट्टास्वामी की अध्यक्षता वाली बेंच ने निजता के अधिकार  को लेकर एक ज़रूरी फ़ैसला दिया था. इस फ़ैसले में जस्टिस पुट्टास्वामी ने ख़ास तौर पर यह इंगित किया था कि महिलाओं को जनन सम्बन्धी चुनाव करने का पूरा अधिकार है. भारतीय कानून के आर्टिकल 21 के मुताबिक जीवन और निजी स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है. 2020 में Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill, 2020 इस अधिकार को और बल देता है जिसके मुताबिक़ गर्भसमापन या एबॉर्शन के लिए शादी का होना बाध्यता नहीं रह गयी है.  इस कानून ने औरतों के अपने शरीर पर अधिकार को और बल दिया.

क्या कहता है भारत में सरोगेसी कानून

भारत में सरोगेसी केवल तयशुदा नियम और कानून के मुताबिक ही वैध है. सरोगेट मांओं के अधिकारों की रक्षा के लिए व्यवसायिक सरोगेसी पर रोक लगा दिया गया है यानी अगर कोख के एवज में पैसों का लेन-देन हो रहा है तो यह कानूनन अपराध होगा. Surrogacy Regulation Bill 2019 के अनुसार अगर पति-पत्नि में से किसी एक की जनन क्षमता समस्याप्रद है तो सरोगेसी के लिए सर्टिफिकेट हासिल किया जा सकता है.  साथ ही साथ सरोगेट महिला को केवल मेडिकल खर्च ही दिया जा सकता है.

अकेली महिला भी बन सकती है गोद लिए हुए बच्चे की मां

मातृत्व को बड़े स्तर पर पहचानने के भारतीय कानूनी प्रावधान के अनुसार सिंगल(अविवाहित/ तलाक़शुदा) औरतें बच्चा गोद ले सकती हैं.  विवाहित स्त्री-पुरुष अपने पार्टनर की सहमति से बच्चे को गोद ले सकते हैं.

भारतीय कानून के इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए यह बात सामने आती है कानूनी प्रावधान के अनुसार मम्त्व केवल जन्म देने से नहीं जुड़ा हुआ है. जन्म देने वाली, गोद लेने वाली या फिर सरोगेसी (surrogacy) के ज़रिए मां बनना सभी मातृत्व को एक समान ही परिभाषित करते हैं. अगर भारतीय मिथक की ओर ही जाएं तो यशोदा कृष्ण की पालक मां हैं पर कहीं भी उनका ओहदा देवकी से कम नहीं है.

 

 

 

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Is motherhood via surrogacy or adoption is less important
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क्या Surrogacy या Adoption से बनने वाली मां में कम होता है मातृत्व?
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