डीएनए हिंदी: इस साल जनवरी में होने वाली बारिश ने जहां 122 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, वहीं इस बारिश की वजह से ठंड का रिकॉर्ड भी टूटता हुआ नजर आ रहा है. जनवरी महीना खत्म होने की कगार पर है और ठंड का असर जरा भी कम होता नजर नहीं आ रहा. भारतीय मौसम विभाग की मानें तो आने वाले 8-10 दिन ठंड का ऐसा ही कहर जारी रहेगा. इस कंपकंपाती सर्दी में एक तरफ जहां सेहत का ध्यान रखना जरूरी है वहीं जिन लोगों के लिए सर्दी डिप्रेशन या अवसाद जैसी स्थिति लाती है, उन्हें हंसने और मुस्कुराने के बहाने ढूंढना भी बेहद अहम है.
ऐसा ही एक बहाना लेकर आती है मशहूर कहावत- बीरबल की खिचड़ी. इस कहावत के बारे में तो आपने सुना ही होगा. मगर शायद ही आपको पता हो कि इस खिचड़ी का कनेक्शन भी सर्दियों से जुड़ा है. पढ़िए बादशाह अकबर और बीरबल के बीच बनी इस खिचड़ी की कहानी-
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ये है 'बीरबल की खिचड़ी' के पीछे की कहानी
एक दिन बादशाह अकबर ने घोषणा की, कि जो आदमी सर्दी के इस मौसम में नदी के ठंडे पानी में रात-भर खड़ा रहेगा, उसे शाही खजाने से पुरस्कृत किया जाएगा. इस घोषणा को सुनकर एक गरीब धोबी ने सारी रात नदी में खड़े-खड़े बिता दी और अगले दिन बादशाह के दरबार में आकर इनाम मांगने लगा. बादशाह ने उस धोबी से सवाल किया, क्या तुम बता सकते हो किस शक्ति के सहारे तुम रात नदी में खड़े रहे ?
धोबी ने अदब के साथ जवाब दिया, आलमपनाह, मैं कल सारी रात महल की छत पर जलते हुए चिराग को देखता रहा.
बादशाह ने उसका जवाब सुनकर कहा, इसका मतलब तो यह हुआ कि महल की रोशनी की आंच की गरमी के कारण तुम सारी रात पानी में खड़े रह सके, इसलिए तुम इनाम के सच्चे हकदार नहीं हो सकते. धोबी उदास हो गया और बीरबल के पास जाकर निराशा भरे स्वर में बोला, दरबार में बादशाह ने इनाम देने से इंकार कर दिया है. धोबी ने इसका कारण भी बीरबल को बता दिया.
बीरबल ने गरीब धोबी को सांत्वना देकर घर भेज दिया. बादशाह ने अगले दिन बीरबल को दरबार में न पाकर एक खादिम को उन्हें बुलाने के लिए भेजा. खादिम ने उन्हें आकर सूचना दी, बीरबल ने कहा है कि जब उनकी खिचड़ी पूरी पक जाएगी तभी वह दरबार में आ सकेंगे.बादशाह को यह सुनकर बड़ा अचरज हुआ. वह अपने दरबारियों के साथ बीरबल के घर पहुंचे. वहां उन्होंने देखा कि दो लम्बे बांसों के ऊपर एक हंडिया में चावल रखकर उसे लटकाया गया है और नीचे जमीन पर आग जल रही है.
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बादशाह ने तत्काल पूछा, बीरबल, यह क्या तमाशा है ? क्या इतनी दूरी पर रखी हंडिया में खिचड़ी पक जाएगी ?
हुजूर जरूर पक जाएगी. बीरबल ने उत्तर दिया.
कैसे ? बादशाह ने कौतूहलवश पूछा ?
जहांपनाह बिल्कुल वैसे ही जैसे महल के ऊपर जल रहे दीये की गर्मी के कारण धोबी सारी रात नदी के पानी में खड़ा रहा. बीरबल ने कहा.
बीरबल के इस जवाब के बाद बन गई कहावत
बादशाह अकबर बीरबल का यह तर्कसंगत उत्तर सुनकर लज्जित हुए. उन्होंने तुरन्त धोबी को ढूंढ लाने और पुरस्कृत करने का आदेश जारी कर दिया. जब लोगों को यह बात पता चली तभी से 'बीरबल की खिचड़ी' एक कहावत के रूप में प्रचलित हो गयी. जिसका सीधा-सा-अर्थ यह है कि किसी आसान काम को बहुत मुश्किल बताना या फिर किसी छोटे से काम को करने में बहुत अधिक समय लगा देना.
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कौन थे बीरबल
बीरबल का असली नाम महेश दास बताया जाता है. विकीपीडिया पर जो जानकारी मिलती है, उसके अनुसार उनका जन्म सन् 1528 में हुआ था. वह मुगल बादशाह अकबर के दरबार में प्रमुख वज़ीर थे और उनके नौ सलाहकारों यानी नवरत्नों में से एक थे. वह बचपन से ही तेज बुद्धि के थे. उनके और बादशाह अकबर के कई किस्से कहानियों के रूप में आज तक प्रचलित हैं.
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ठंड और 'बीरबल की खिचड़ी' में है खास कनेक्शन, पढ़ें इस कहावत के पीछे की कहानी