डीएनए हिन्दी: ईद का दिन था, खिलौनों की दूकान पर काफ़ी भीड़ थी... कश्मीर के अनंतनाग ज़िले के वान्देवाल्गम सोयान के दो बच्चे अपने पिता के साथ मस्ज़िद जा रहे थे. एक जगह काफ़ी बच्चे इकट्ठा थे, शायद खिलौने ख़रीद रहे थे. पापा से खिलौनों की ज़िद की तो पिता ने कहा, घर चलो, घर पर एक अनोखा खिलौना इंतज़ार कर रहा है. घर पर पापा ने मिट्टी से जानवरों और चिड़ियों की रूप-रेखा वाले कई खिलौने बनाये. उन्हें देखकर दोनों भाइयों को लगा कि वे भी तो कुछ कमाल कर सकते हैं. उनके अन्दर का आविष्कारक अचानक ही फलने-फूलने लगा. इन दोनों भाइयों का नाम रेफाज़ और इश्फ़ाक वानी था जिन्हें डॉ ए पी जे कलाम ने ‘क्रिएटिव ट्विन्स ऑफ़ इंडिया’ भी कहा था.
कैसे शुरु हुआ अविष्कारों का सिलसिला
बचपन में खिलौने बनाते बनाते वानी बंधुओं ने एक दिन घर के पास मिट्टी काटने और उठाने वाली मशीन देखी. दोनों भाइयों ने इसका तात्कालिक रूप से बिना इंजन वाला एक वर्ज़न तैयार किया. उनकी बनायी मशीन दो लोगों का काम करने में सक्षम थी. अपने इस अविष्कार को दोनों भाई पहला आविष्कार मानते हैं.
इस दौरान उनकी मुलाक़ात कश्मीर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जी एम् भाट से हुई, जिन्होंने दोनों भाइयों को नये नज़रिए से काम करने के लिए प्रेरित किया. उनके कहने पर दोनों भाइयों ने केंद्र सरकार की योजना Innovation in Science Pursuit for Inspired Research (INSPIRE) में हिस्सा लिया, फिर 2011 में अहमदाबाद में हुए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन में भी हिस्सा लिया था. यहाँ उन्होंने पूरे पंद्रह अविष्कारों को दाख़िल किया था जिसमें उनके अविष्कार फोल्डेबल मिल्क बॉटल को पुरस्कार मिला. इस बॉटल में कई कम्पार्टमेंट थे और यह जेब में भी समा सकता था.
कलाम से मुलाक़ात
अहमदाबाद में हुए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन में उन्हें पुरस्कार डॉ ए पी जे कलाम के हाथों मिला था, जिन्होंने दोनों भाइयों को ‘क्रिएटिव ट्विन्स ऑफ़ इंडिया’ कहकर बुलाया था. तब से अब तक दोनों भाई 36 नयी चीज़ें बना चुके हैं और तकरीबन 500 नये आईडिया उनके पास उपलब्ध हैं.
दोनों भाइयों को कई बार नेशनल अवार्ड, एक बार कनाडा से दिया जाने वाला पुरस्कार और हाल ही में टर्की के इन्स्तान्बुल में हुए इंटरनेशनल इन्वेंशन में गोल्ड मैडल मिला है.
(तस्वीर साभार : रेफाज़ वानी का इन्स्टाग्राम)
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