डीएनए हिन्दी : ओमिक्रॉन का असर दिखने लगा है. दिल्ली में आज आये केस की कुल संख्या तेरह हज़ार से ऊपर है. यह सब इस बार सामने आये वेरिएंट ओमिक्रॉन का प्रकोप है. इस वेरिएंट को अन्य कोविड म्युटेशन की तुलना में कम ख़तरनाक माना जा रहा है. कई लोगों का कहना है कि यह शायद कोविड के धीमे या फिर कम असरदार होने की शुरुआत भी है. क्या लगता है आपको? क्या ओमिक्रॉन (omicron) के आने से कोविड का असर कम हो जाएगा? क्या लोगों की प्रतिरोधी क्षमता बढ जाएगी? जानते हैं कि क्या है एक्सपर्ट्स का कहना...

ओमिक्रॉन बेहद संक्रामक है पर लोगों को हॉस्पिटल की आवश्यकता नहीं महसूस हो रही है

दुनिया भर से आ रहे ओमिक्रॉन(omicron) के केसेज से यह बहुत हद तक निकल कर सामने आ रहा है कि अति संक्रामक होने के बाद भी हॉस्पिटल जाने वाले ओमिक्रॉन पीड़ित लोगों की संख्या बेहद कम है. कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है इस बाबत पर यह कहीं न कहीं इस बात की पुष्टी करता है कि ख़तरा कम हुआ है. इस मामले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के मेडीसिन विभाग के प्रमुख रॉबर्ट वॉचर कहते हैं कि “हर भविष्यवाणी के साथ यह खतरा जुड़ा हुआ है कि कोई भी अगला वेरिएंट इसकी पूरी हवा निकाल सकता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के मेडीसिन विभाग की ही मोनिका गांधी ने एक मेल में लिखा था कि ओमिक्रॉन का आना शायद इस पैंडेमिक (Pandemic) का एंडेमिक (Endemic) बनना है जिसका अर्थ यह हुआ कि यह मौजूद तो रहेगा पर समाज के लिए उतना घातक नहीं होगा.

मेरीलैंड स्कूल के वायरलॉजिस्ट बी. फ़्रीमैन का कहना है कि हल्का इंफेक्शन शरीर में बेहतर एंटीबॉडी लेवल तैयार करता है. यह आगामी वेरिएंट के खिलाफ एक शील्ड भी तैयार करता है पर यह बताना मुश्किल है कि यह कितना और कबतक प्रभावी होगा.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के प्रमुख ने बीते हफ्ते ही चेताया है कि ओमिक्रॉन के संक्रमण को हल्का न मानें

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) के प्रमुख ने पिछ्ले मंगलवार को एक चेतावनी ज़ारी की थी कि ओमिक्रॉन (omicron) के प्रति लापरवाह होना एक भूल होगी. पिछ्ले वेरिएंट की तरह ही यह भी लोगों को हॉस्पिटल भेज रहा है. इस चेतावनी के पीछे कोविड वायरस का लगातार म्यूटेट करना है. वैज्ञानिक इस आशंका को पीछे नहीं छोड़ सकते कि आगामी किसी कोविड वायरस में सम्भावना है कि वह ओमिक्रॉन सरीखा संक्रामक और डेल्टा जितना मारक हो जाए.

हर किसी को होने की सम्भावना है, बच्चों का रखना होगा ख़ास ख़याल

अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अलर्जी से हाल में रिटायर्ड वैज्ञानिक बर्नी ग्राहम का कहना है कि यह बड़ों में तो माइल्ड है पर बच्चों के मामले में इसे माइल्ड कहना उचित नहीं है. कोविड एयर वे से जुड़ी हुई बीमारी है. बच्चों का एयरवे बडों की तुलना में बेहद छोटा होता है. अतः उनके लिए विशेष सावधानी बरतनी होगी. बर्नी आगे यह भी कहते हैं कि आने वाले तीन से छ: सालों में लगभग हर कोई कोविड का शिकार होने वाला है. इससे मुक्ति लगभग असंभव है. गौरतलब है कि बर्नी कोविड वैक्सीन और अन्य कई शोधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.

Url Title
Does Omicron boost immunity know what experts say
Short Title
ओमिक्रॉन करता है immunity बूस्ट?
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
omicron
Date updated
Date published