दिल्ली वह शहर है जिसके बनने और बिगड़ने की कहानियों पर इतिहास है. कई बार उजड़ी, कई बार संवरी है यह दिल्ली... कभी गियासुद्दीन तुगलक ने इसे उजाड़कर ‘तुग़लकाबाद’ नाम की नयी राजधानी बनाने की सोची तो कभी इन्द्रप्रस्थ नाम से नया शहर ही बस गया... एक ज़िक्र उन कुछ वाक़िआत का जब दिल्ली उजड़ी और फिर बसी.
हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ – महाभारत के ऐतिहासिक शहर के बारे में याद है आपको? वह शहर जिस पर अधिकार के लिए पांडव और कौरव में लड़ाई थी, वह संभवतः आज की दिल्ली ही है. शहर का वह हिस्सा जहाँ जनसँख्या पहले से आबाद थी वह हस्तिनापुर था जबकि नया हिस्सा जिसे खांडवप्रस्थ नाम के जंगल को काट कर बनाया गया था, वह इंद्रप्रस्थ कहलाया. इसके अवशेष सूरजकुंड इलाके में देखने को मिलते हैं.
तोमर राजपूतों ने बसायी थी दिल्ली – कहा जाता है कि पांडव वंश के गुजरने के सदियों बाद और आज से हज़ार-बारह सौ साल पहले तोमर राजपूतों ने दिल्ली शहर बसाया था. इसे तब लालकोट के नाम से जाना गया था. इसे दिल्ली का असली लाल किला भी कहा जाता है. लाल कोट का गढ़ राय पिथौरा (आज का महरौली) था जहाँ अंतिम राजा अनंगपाल के द्वारा स्थापित लौह स्तंभ अब भी है.
पुरानी दिल्ली या शाहजहांनाबाद – दिल्ली का लाल क़िला जिस इलाक़े में स्थित है उसे किसी ज़माने में शाहजहानाबाद कहा जाता था. इस पूरी जगह को शाहजहांनाबाद कहा जाता था.
सीरी - खिलजी वंश शासक अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी राजधानी दिल्ली के सीरी शहर में बनायी थी. यह साल 1303 ई था. अल्लाउद्दीन खिलजी की चाहत क़ुतुब मीनार से ऊँची एक मीनार बनाने की भी थी पर यह चाहत पूरी नहीं हो पायी. हौज खास इसी सीरी शहर की पानी का स्रोत था.
तुगलकाबाद – खिलजी वंश के बाद के शासक गियासुद्दीन तुग़लक ने दिल्ली की सीमा पर तुग़लकाबाद को अपनी राजधानी बनायी थी. इसी वंश के शासक मुहम्मद बिन तुग़लक ने राजधानी दिल्ली से हटाकर दक्षिण में दौलताबाद कर ली. जब उसे अहसास हुआ कि वहां पानी की कमी है, वह वापस दिल्ली लौटा और जहाँपनाह नाम की नयी राजधानी बनाने की सोची. तुग़लकाबाद नहीं बसने की वजह निज़ामुद्दीन औलिया का श्राप भी माना जाता है जिन्होंने गियासुद्दीन खिलजी को ‘दिल्ली दूर अस्त’ का सन्देश भिजवाया था.
- Log in to post comments