डीएनए हिंदी: माओत्से तुंग के बाद अगर कोई चीन में सबसे ताकतवर कोई शख्स रहा है तो वे हैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग. माओत्से तुंग ने चीन के आर्थिक, सामरिक और एतिहासिक विरासत की नींव रखी थी और शी जिनपिंग ने उसे आसमान में पहुंचाया है. तुंग को चीन का सबसे ताकतवर नेता माना जाता रहा है.
चीन में शी जिनपिंग की ताकत बढ़ने का सिलसिला साल 2012 से शुरू हुआ. जिनपिंग चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के जनरल सिक्रेटरी बने. इसके तत्काल बाद वे राष्ट्रपति बन गए. अगर तुलना करें तो 2016 में पीपल्स लिबरेशन आर्मी के कमांडर-इन-चीफ बनने के बाद शी जिनपिंग की ताकत माओत्से तुंग से कहीं ज्यादा है. जब माओत्से तुंग चीन की बागडोर संभाल रहे थे और सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर थे तब भी वे झोउ एनलाई और लियू शाओ की सलाह लेते थे. शी जिनपिंग सारे फैसले खुद करते हैं और उनके फैसलों के बीच प्रतिरोध की कोई दीवार नहीं है.
शी जिनपिंग अपने सियासी राह में आने वाली हर चुनौती को हटाते चल रहे हैं. साल 2018 में उन्होंने एक संविधान संशोधन ऐसा किया कि वे जब तक चाहें, आजीवन चीन की सत्ता संभाल सकते हैं. चीन के संविधान में 2018 तक ऐसा प्रावधान था कि एक राष्ट्रपति केवल 2 कार्यकाल तक देश की सत्ता संभाल सकता है. शी जिनपिंग के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ने इस प्रावधान को हटा दिया है. अब शी जिनपिंग जब तक चाहेंगे तब तक सत्ता में रहेंगे.
क्यों बढ़ता जा रहा है शी जिनपिंग का सियासी कद?
अमेरिका के बाद चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही चीन की वैश्विक ताकत बढ़ती जा रही है. चीन ने अपनी सीमाओं को सुरक्षित किया है. पड़ोसी राज्यों पर चीन अपनी ताकत और अर्थव्यवस्था की वजह से लगातार दबाव बनाता रहा है. चीन के पड़ोसी देश हमेशा आशंकित रहते हैं कि कहीं चीन उनकी जमीन पर कब्जा न बढ़ा ले. ऐसा कोई भी पड़ोसी देश नहीं है जिसकी क्षेत्रीय सीमा में चीन का दखल न हो. एशिया-प्रशांत महासागर में भी चीन असीमित अधिकारों की मांग करता है.
सुंदरवन से लेकर श्रीलंका तक चीन की कोशिश यही रहती है कि समुद्री सीमा पर कब्जा हो जाए. वियतनाम, किर्गीस्तान, कजाकिस्तान, मंगोलिया म्यांमार, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत तक चीन की सीमा हर जगह विवादित है. पूरे एशिया में चीन को चुनौती देने वाला देश सिर्फ भारत है. चीन का सैन्य दबदबा शी जिनपिंग के कार्यकाल में और बढ़ा है.
जिनपिंग ने चीन की अर्थव्यवस्था को दी है उड़ान
चीन का मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर सबसे विकसित है. मोबाइल, खिलौनों से लेकर हथियार तक चीन ने निर्माण का साम्राज्य खड़ा कर लिया है. चीन के प्रोडक्ट्स दुनियाभर में खरीदे जाते हैं. जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, अमेरिका जैसे देश तक की अर्थव्यवस्था लुढकी है तब चीन की आर्थव्यवस्था ने मजबूत बढ़त हासिल की है. ऐसे में तेजी से चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा है. शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन को लगातार मिल रही कामयाबी उन्हें और लोकप्रिय बना रहा है. महामारी में चीन ने सबसे ज्यादा मेडिकल प्रोडक्ट्स दुनिया को सप्लाई किया है.
शी जिनपिंग के खिलाफ देश में नहीं उठती आवाज
लोकतांत्रिक देशों की तरह चीन की शासन व्यवस्था नहीं है. जैसे लोकतांत्रित देशों में न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका होती है वैसी स्थिति चीन में नहीं है. चीन की सारी राजनीतिक ताकत शी जिनपिंग में निहित है. चीन की शासन व्यवस्था पहले से ही मानवाधिकार और आंदोलन विरोधी रही है. चाहे तिब्बत में चीन का रुख हो या हॉन्ग-कॉन्ग में. चीन की सेना मानवाधिकारों के दमन में माहिर है. सेना के भी सर्वोच्च कमांडर बनने के बाद शी जिनपिंग के खिलाफ विरोध करना और भी मुश्किल हो गया है. चीन की सत्ता के सर्वोच्च प्रतीक शी जिनपिंग बन गए हैं.
कौन हैं शी जिनपिंग?
शी जिनपिंग का जन्म 15 जून 1953 को चीन के फूकिंग काउंटी, शानक्सी प्रांत में हुआ था. शी जिनपिंग के पिता शी झोंगक्सुन कम्युनिस्ट पार्टी के फाउंडर मेंबर्स में से एक रहे हैं. वे माओत्से तुंग के करीबी अधिकारियों में शुमार थे. शी जिनपिंग राष्ट्रपति बनने से पहले 2008 से 2013 के बीच चीन के वाइस प्रेसिडेंट भी रहे हैं. शी जिनपिंग ने खुद को सर्वकालिक ताकतवर नेताओं में शुमार कर लिया है.
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