डीएनए हिंदी: चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों की वजह से भारत की मजबूरी है कि सरहद पर जितनी सैन्य तैनाती हो, उतनी ही ड्रोन की भी हो. खराब मौसम, प्रतिकूल परिस्थितियां और 24 घंटे आतंकी घुसपैठ की आहट की आशंका के बीच सेना के लिए प्रीडेटर ड्रोन, वरदान साबित हो सकते हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन्स हासिल करने केी कोशिशों में एक अरसे से जुटी है.
अमेरिकी प्रीडेटर एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन खरीदने के लिए भारत ने तब कोशिशें तेज की जब राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों का ध्यान, इसकी निगरानी क्षमता पर गई. इन ड्रोन्स के जरिए लाइन ऑफ एक्चुलअ कंट्रोल (LAC) के पार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के नापाक मंसूबे नजर आए. उन्होंने सीमा से थोड़ी दूर पर ही मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर बना लिया है.
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क्यों खास हैं प्रीडेटर ड्रोन?
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन के दो वेरिएंट भारत को मिलने वाले हैं. एक ड्रोन का नाम स्काई गार्जियन है, वहीं दूसरे का नाम सी गार्जियन है. भारतीय नौसेना एमक्यू-9बी सी गार्जियन का इस्तेमाल 2020 से कर रही है. अब बड़ी संख्या में ये ड्रोन हासिल होने वाले हैं. प्रीडेटर ड्रोन लगातार 35 घंटे तक उड़ान भर सकता है, यह सीमा की लंबे वक्त तक निगरानी कर सकता है.
यह ड्रोन भारी भरकम भार वहन कर सकता है, इसकी ईंधन क्षमता करीब 2721 किलोग्राम है. यह 40,000 फीट की ऊंचाई पर गरज सकता है. इस ड्रोन में करीब 450 किलोग्राम के बमों भी लोड किए जा सकते हैं. यह दुश्मनों के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है. यह दिन रात सीमाओं की हिफाजत कर सकता है. कितना भी खराब मौसम क्यों न हो ड्रोन हमेशा उड़ान भर सकता है. यह कभी भी ऑटोमैटिक टेक ऑफ कर सकता है, कभी भी लैंडिंग कर सकता है.
क्यों भारत की मजबूरी बने प्रीडेटर ड्रोन?
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लड़ाई बढ़ गई थी. भारत की मजबूरी बन गई है कि स्काई गार्डियन ड्रोन किसी भी तरह हासिल करे. एमक्यू 9बी के इस रेंज के ड्रोन में हथियारों को प्लांट नहीं किया जाता है. भारतीय नौसेना के बोइंग पी8आई मल्टी-मिशन विमान साबित होगा.
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प्रीडेटर ड्रोन अनमैन्ड एरियल व्हीकल है, जिसे रिमोटली ऑपरेट किया जा सकता है. इसे सीमा पर कहीं से भी ऑपरेट किया जा सकता है. MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन में मिसाइलों को तैनात किया जा सकता है. रिमोट के जरिए बेहद सटीक तरीके से निशाना साधा जा सकता है. प्रीडेटर ड्रोन, 3488 किलोमीटर लंबे LAC पर कड़ी नजर रख सकेगा. यहीं से सैनिकों की हिफाजत की जा सकती है.
कैसे बढ़ जाएगी भारतीय सेना की ताकत?
अमेरिका करीब 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर लेकर भारत को प्रीडेटर ड्रोन देने को राजी हुआ है. अगर जैसे ही ये ड्रोन भारत आएंगे भारत की सैन्य क्षमता इंडो-पैसिफिक में कई गुना बढ़ जाएगी. इस ड्रोन से हजारों किलोमीटर तक फैली भारत की सीमाएं सुरक्षित हो जाएंगी. बिना सैनिकों की जान गए देश की सीमाओं की हिफाजत की जा सकती है.
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प्रीडेटर ड्रोन नभ, जल और थल सेनाओं को मजबूती देंगे. इस डील को तोड़ने की विदेशी साजिशें जरूर रची जा रही हैं लेकिन ये ड्रोन भारत की जरूरत हैं. चीन और पाकिस्तान के पास पहले से ही खतरनाक ड्रोन है. भारत के लिए इसे हासिल करना बेहद जरूरी है. प्रीडेटर ड्रोन अफगान और इराक की लड़ाइयों में झंडा गाड़ चुके हैं.
भारतीय सीमाएं और भी हो जाएंगी सुरक्षित
पाकिस्तान को भारत की ड्रोन की क्षमताओं का अंदाजा है. तालिबान के दूसरे सर्वोच्च नेता अख्तर मंसूर 21 मई 2016 को एजीएम-114 आर हेल-फायर एयर-टू-ग्राउंड के माध्यम से बलूचिस्तान में अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन हमले में मारे गए थे. भारतीय सेना, अगर जरूरत पड़ी तो बिना किसी जोखिम के सर्जिकल स्ट्राइक को भी अंजाम दे सकती है.
भारत 11 किलोमीटर रेंज वाली 170 हेल-फायर मिसाइलें और लगभग 150 किलोमीटर रेंज वाले 310 लेजर गाइडेड बम खरीद रहा है. भारत की एंटी टेरर क्षमताएं भी कई गुना बढ़ जाएंगी क्योंकि सीमा पार किए बिना घुसपैठियों को निशाना बनाया जा सकता है.
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क्यों सेना के लिए जरूरी हैं प्रीडेटर ड्रोन, कैसे सीमा पर थर्राएंगे दुश्मन?