डीएनए हिंदी: अवैध संबंध या व्यभिचार (Incest) भारत में अपराध नहीं है. समाज इसे भले ही अपराध मनता हो लेकिन कानूनी तौर पर इसे अपराध नहीं माना जाता है. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने अपने ऐतिहासिक फैसले में जारकर्म (Adultery) को अपराध मानने से इनकार कर दिया था. अडल्ट्री या जारकर्म को व्यभिचार भी कहा जाता है लेकिन व्यापक संदर्भों में दोनों में अंतर है.

व्यभिचार, सिर्फ अडल्ट्री तक सीमित नहीं है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 को रद्द करते हुए कहा था कि अब यह कहने का वक्त आ गया है कि शादी में पति, पत्नी का मालिक नहीं होता है. स्त्री या पुरुष में से किसी भी एक की दूसरे पर कानूनी सम्प्रभुता सिरे से गलत है. व्यभिचार की परिभाषा इससे व्यापक और अलग है. ऐसे में जानते हैं कि क्या अवैध संबंध या व्यभिचार होता क्या है.

Prostitution या वेश्यावृत्ति पर क्या कहता है भारतीय कानून?

क्या है अवैध संबंध?

ऐसे शारीरिक रिश्ते (Sexual Relation) जो सगे-संबंधियों या रक्त संबंधियों (Incest) के बीच बने उन्हें अवैध कहा जाता है. जब दो लोग जिनके बीच कानूनी तौर पर शादी नहीं हो सकती है, शारीरिक संबंध बनाते हैं, ऐसे रिश्ते अवैध कहलाते हैं. ऐसे रिश्ते सामाजिक और पारिवारिक अपराधों की श्रेणी में आते हैं. इन्हें अपराध नहीं माना जाता है. एक ही परिवार के सदस्‍यों, जैसे भाई और बहन, पिता और बेटी के बीच बने यौन-संबंध, अवैध संबंध कहलाते हैं. सामान्य भाषा में इसे कौटुंबिक व्‍यभिचार भी कहा जाता है.


क्यों नहीं माना जाता है अपराध?

कानून के जानकार कहते हैं कि दो वयस्क लोग अगर आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाएं तो कानून की नजर में इसे अपराध नहीं माना जा सकता है. एडवोकेट अनुराग कहते हैं, 'शारीरिक संबंध बनाना अपराध नहीं है. अगर दो वयस्क लोग आपसी सहमति से संबंध बनाते हैं तो इसे अपराध कैसे माना जा सकता है. यह सामाजिक अपराध हो सकता है, नैतिक अपराध हो सकता है लेकिन कानूनी तौर पर जुर्म नहीं हो सकता है. दो वयस्क लोगों के बीच सहमति के संबंधों को अपराध नहीं ठहराया जा सकता है.'

इसके अपराध न मानने की वजह भी अलग है. एडवोकेट अनुराग ने कहा कि दो लोगों के बीच बने शारीरिक संबंध तब अपराध होते हैं जब उसमें किसी एक पक्ष की सहमति न हो. अगर दोनों पक्षों ने सेक्सुअल इंटरकोर्स के लिए कंसेंट (Consent) दी है तो यह अपराध नहीं है. हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 ऐसे रिश्तों में हुई शादी को भी मान्यता नहीं देता है.

एडवोकेट अनुराग ने कहा, '1650 तक इंग्लैंड भी ऐसे संबंधों के प्रति उदार नहीं था. वहां अवैध संबंधों पर मौत की सजा सुना देते थे. कबीलाई कानून में भी ऐसे ही प्रावधान थे. इन संबंधों की वजह से तमाम हत्याएं हुई हैं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है. समाज ऐसे संबंधों के प्रति हमेशा से कठोर रहा है. भारत में भी स्थिति इससे अलग कैसे हो सकती है. हम समाज में रहते हैं तो समाज की कुछ तय नियमों को हमें मानना ही होता है लेकिन कानून अवैध संबंध को अपराध नहीं मानता है.'

कब अवैध संबंध हो सकते हैं अपराध?

दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के काउंसिल एडवोकेट विशाल अरुण मिश्र कहते हैं कि अवैध संबंध तब चाइल्ड रेप माना जाता है जब पीड़ित पक्ष की उम्र 16 साल से कम होती है. भारतीय दंड संहिता (IPC) अवैध संबंधों को अपराध नहीं मानती है अगर ऐसे संबंध सहमति से बने हों. भारतीय विधि आयोग ने साल 2000 में ऐसे मामलों पर चिंता जाहिर की थी जब परिवार के भीतर ही रिश्तेदार या घर के सदस्यों द्वारा यौन अपराध किया जाता था. लॉ कमीशन की मांग थी इसे अपराध माना जाए और दंड संहिता में अलग से कानून बनाया जाए जिसमें कम से कम 10 साल की सजा हो.

क्या हैं ऐसे संबंधों के अपराध न होने के नुकसान?

एडवोकेट अनुराग कहते हैं कि कई बार महिलाएं शर्म, झिझक या सामाजिक बदनामी की वजह से अपने परिवार के किसी पुरुष द्वारा किए जाने वाले शारीरिक शोषण को खुलकर नहीं कह पाती हैं. ऐसे में घर का ही सदस्य उनका शारीरिक शोषण करता है और महिलाएं इसका विरोध नहीं करती हैं. परिवार टूटने या बदनामी का डर उन्हें ऐसा करने से रोकता है. यही डर अपराध को लगातार होने देता है.

एडवोकेट अनुराग का कहना है कि कई बार कम उम्र की बच्चियां भी शिकार बनती हैं. डर की वजह से अपने साथ होने वाले अपराध को किसी से बताती नहीं है. बड़ी होने पर भी उनके साथ परिवार का वही सदस्य अपराध करता है लेकिन उसे रोक नहीं पाती हैं. कई बार अपराध सहने की आदी हो जाती हैं. उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. अगर ऐसी स्थितियां सामने आएं तो तत्काल पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए. अदालतें ऐसे मामलों पर संवेदनशीलता के साथ फैसला सुनाती है.

यह भी पढ़ें-
DNA एक्सप्लेनर: भारत में Abortion कानूनी है या ग़ैर-कानूनी?

DNA एक्सप्लेनर: महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर क्या कहता है देश का कानून?

Url Title
Why Incest is not crime Legal status of incest in Indian Law
Short Title
DNA एक्सप्लेनर: भारत में अपराध क्यों नहीं हैं अवैध संबंध?
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Legal status of incest (Representative)
Caption

Legal status of incest (Representative)

Date updated
Date published
Home Title

DNA एक्सप्लेनर: भारत में अपराध क्यों नहीं हैं अवैध संबंध?