डीएनए हिंदी: भारत ने पिछले कुछ सालों में चीन की कई कंपनियों (Chinese Comapnies) को अपना कारोबार समेटने पर मजबूर किया है. वजह रही कि ये कंपनियां भारत के कानूनों का लगातार उल्लंघन कर रही थीं और अवैध रूप से भारत की संवेदनशील जानकारी को चीन तक पहुंचा रही थीं. अब भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीन की मोबाइल बनाने वाली कंपनी Vivo की चोरी पकड़ी है. ईडी ने भारत में वीवो (Vivo India) के कई ठिकानों पर छापेमारी की है. ईडी की जांच में सामने आया है कि पिछले कुछ सालों में वीवो ने भारत में टैक्स की चोरी की है और टैक्स की चोरी (Tax Evasion) से बचाए गए पैसों को गैर-कानूनी तरीके से चीन भेज दिया. वीवो की ओर से की गई चोरी भी कोई मामूली चोरी नहीं है. ईडी के मुताबिक, वीवो ने 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) की है.
चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी वीवो और उससे जुड़ी अन्य फर्म के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी की जांच चल रही है. वीवो की चोरी की पोल खोलने के लिए ईडी ने मंगलवार को देशभर में 44 जगहों पर छापेमारी की. ईडी के अधिकारियों ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून (पीएमएलए) की धाराओं के तहत यह छापेमारी की जा रही है. ईडी ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मेघालय, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वीवो और उससे संबंधित कंपनियों से जुड़े 44 स्थानों पर छानबीन की. आइए समझते हैं कि वीवो के खिलाफ क्या आरोप लगे हैं और पूरा मामला क्या है...
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कैसे हुई जांच की शुरुआत?
हाल ही में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने जम्मू-कश्मीर के एक डिस्ट्रिब्यूटर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इसी मामले के सामने आने के बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया. दिल्ली पुलिस की एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि वीवो कंपनी के कुछ चीनी शेयर होल्डर्स ने फर्जी तरीके से अपने आईडी प्रूफ बनवा लिए हैं. ईडी को शक है कि यह जालसाजी इसलिए की गई जिससे शेल या फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल करके अवैध रूप से कमाए गए धन की हेराफेरी की जा सके. आशंका जताई जा रही है कि इसमें अवैध तरीके से कमाए गए पैसों को भी विदेश भेजा गया और कुछ पैसे दूसरे कारोबारों में लगा दिए गए. यह सब करने के दौरान भारत के टैक्स विभाग और ईडी जैसी एजेंसियों को धोखे में रखा गया और उन्हें सही जानकारी भी नहीं दी गई.
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आरोप है कि वीवो और उससे जुड़ी कई कंपनियां भारत में काम करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी जैसे गंभीर वित्तीय अपराधों कर रही हैं. चीनी कंपनियों की ऐसी ही एक हरकत का पर्दाफाश अप्रैल में हुआ था. ईडी ने 29 अप्रैल को शाओमी इंडिया के बैंक खातों को सील कर दिया था. इन खातों में 5,551 करोड़ रुपये जमा थे. ईडी ने इन पैसों की निकासी पर रोक लगा दी थी. यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के नियमों का उल्लंघन करने की वजह से की गई थी.
Xiaomi के खिलाफ भी चल रहा है केस
शाओमी इंडिया के खिलाफ आरोप है कि उसने भारत में कारोबार से कमाए गए पैसों को रॉयल्टी के पेमेंट के नाम पर अपनी ही तीन कंपनियों को विदेश में भेजकर अवैध लेनदेन किया. हालांकि, 12 मई को कोर्ट ने शाओमी को इन बैंक खातों से अपने खर्चों की भरपाई के लिए रकम निकालने की छूट दे दी थी. साथ ही, यह शर्त भी लगाई गई थी कि कंपनी इन पैसों का इस्तेमाल भारत के बाहर रॉयल्टी भुगतान के नाम पर नहीं कर सकती.
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ईडी ने वीवो पर आरोप लगाए हैं कि टैक्स देने से बचने के लिए 62,476 करोड़ रुपये 'गैरकानूनी' ढंग से चीन भेजे थे. ईडी ने एक बयान में कहा कि वीवो इंडिया ने भारत में टैक्स देने से बचने के लिए अपने रेवेन्यू का लगभग आधा हिस्सा चीन और कुछ अन्य देशों में भेज दिया. चोरी से भेजे गए ये 62,476 करोड़ रुपये कंपनी के कुल कारोबार (1,25,185 करोड़ रुपये) का लगभग आधा हैं. ईडी ने यह भी बताया है कि वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उससे जुड़ी 23 कंपनियों के खिलाफ की गई छापेमारी के बाद उनके बैंक खातों में जमा 465 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है. इसके अलावा 73 लाख रुपये की नकदी और दो किलोग्राम सोने की छड़ें भी जब्त की गई हैं.
फर्जी कागजात पर कंपनियां बनाने का आरोप
ईडी ने भारत में 23 कंपनियां बनाने में चीन के तीन नागरिकों के शामिल होने की जानकारी सामने आने के बाद की है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीन में से एक चीनी नागरिक की पहचान वीवो के पूर्व निदेशक बिन लाऊ के रूप में हुई है जो अप्रैल 2018 में भारत छोड़कर चला गया था. बाकी के दो चीनी नागरिकों ने साल 2021 में भारत छोड़ दिया था. इन कंपनियों को बनाने में नितिन गर्ग नाम के चार्टर्ड अकाउंटेंट ने भी मदद की थी.
जांच कर रही ईडी ने कहा कि वीवो इंडिया ने भारत में टैक्स चुकाने से बचने के लिए भारत में बनाई गई कंपनियों में भारी घाटा दिखाया और घाटे के नाम पर ये पैसे विदेश भेज दिए. ईडी के मुताबिक, वीवो मोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड का गठन 1 अगस्त, 2014 को हॉन्गकॉन्ग की कंपनी मल्टी एकॉर्ड लिमिटेड की एक सब्सिडरी कंपनी के रूप में किया गया था. बाद में 22 अन्य कंपनियां भी बना ली गईं. एजेंसी इन सभी के वित्तीय मामलों की जांच-पड़ताल कर रही है.
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वीवी डिस्ट्रीब्यूटर के खिलाफ हुआ केस तो ईडी हुई अलर्ट
प्रवर्तन निदेशालय ने यह आरोप भी लगाया है कि वीवो इंडिया के कर्मचारियों ने उसकी तलाशी अभियान के दौरान सहयोग नहीं किया और भागने और डिजिटल डिवाइसों को छिपाने की कोशिश भी की. हालांकि, एजेंसी की सर्च टीमें डिजिटल डेटा को ऐक्सेस करके जानकारी हासिल करने में सफल रहीं. ईडी ने वीवो की एक सहयोगी कंपनी जीपीआईसीपीएल के खिलाफ दिल्ली पुलिस की एफआईआर के आधार पर 3 फरवरी को अपनी एफआईआर दर्ज की थी. इस कंपनी और उसके शेयर होल्डरों पर फर्जी पहचान-पत्र लगाने और गलत पता देने का आरोप था.
आयकर विभाग ने देशभर में शाओमी, ओप्पो और वीवो सहित कई चीनी स्मार्टफोन कंपनियों, उनके डिस्ट्रीब्यूटर्स और कई अन्य पार्टनर्स के ठिकानों पर पिछले साल दिसंबर में छापा मारा था. बाद में दावा किया गया कि इन छापों में 6,500 करोड़ रुपये से अधिक की कथित बेहिसाब आय का पता चला. आपको बता दें कि हर देश में टैक्स चुकाने, कंपनी बनाने और कारोबार करने के अपने नियम होते हैं. इन्हीं नियमों की रक्षा के लिए ईडी, इनकम टैक्स और अन्य एजेंसियां काम करती हैं.
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भारत में कमाए पैसे चीन को कैसे भेज रहा वीवो, ईडी की छापेमारी ने खोल दी पोल, समझें पूरा मामला