डीएनए हिंदी: हरियाणा में बीजेपी चौतरफा चुनौतियों से परेशान है. एक तरफ पहले पहलवानों ने मनोहर लाल खट्टर सरकार की मुश्किलें बढ़ाई हैं, वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन ने बीजेपी के खिलाफ माहौल तैयार कर दिया है. ऐसे में बीजेपी ने बिगड़े सियासी समीकरणों को संभालने के लिए नया तरीका अपनाया है. बीजेपी ने शुक्रवार को ओम प्रकाश धनखड़ की जगह लोकसभा सांसद नायब सिंह सैनी को हरियाणा इकाई का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया.
भारतीय जनता पार्टी की नजर अगले साल होने वाले लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों पर है. पार्टी ने ओम प्रकाश धनखड़ को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया है. ओबीसी वर्ग से आने वाले नायब सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद हैं. वे मनोहर लाल खट्टर के करीबी नेताओं में शुमार हैं. राजनीति के जानकार कहते हैं कि जाट भी बीजेपी से नाराज हैं, ऐसे में दूसरे जातियों को साधने के लिए नायब सिंह को बीजेपी ने चेहरा बनाया है.
क्यों बीजेपी ने जताया है नायब सैनी पर भरोसा?
नायब सैनी की नियुक्ति को हरियाणा की जाति-केंद्रित राजनीति में गैर-जाट मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. हरियाणा के जाट अब बड़े पैमाने पर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोक दल की ओर मुड़े हैं.
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भारतीय जनता पार्टी पहले से ही जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन में हैं. मनोहर लाल खट्टर और राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के बीच अनबन की खबरें सामने आती रही हैं. साल जुलाई 2020 में राज्य पार्टी प्रमुख नियुक्त किए गए ओम प्रकाश धनखड़ पहले ही तीन साल का अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं.
नायब सैनी की ऐसी पलटी किस्मत
नायब सैनी की मुलाकात मनोहर लाल खट्टर की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद हुई है. हरियाणा में अक्टूबर 2024 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसी स्थिति में मनोहर लाल खट्टर, लोकसभा चुनावों के भी मद्देनजर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे.
राजस्थान में चुनाव प्रचार कर रहे नायब सैनी पिछली खट्टर सरकार में भी मंत्री थे. वह विधायक थे जब उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसी साल बीजेपी ने हरियाणा में सभी 10 सीटें जीती थीं. अब उन्हें पिछड़ी जातियों को जोड़ने की बड़ी जिम्मेदारी मिली है.
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ओम प्रकाश धनखड़ राज्य में एक प्रमुख जाट चेहरे थे. जब उन्हें अध्यक्ष बनाया गया तब इसे एक संतुलनकारी पहल के तौर पर देखा गया था लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं. मोनहर लाल खट्टर, खुद बड़े पंजाबी चेहरे हैं.
कॉमन फैक्टर पर बीजेपी का है जोर
कांग्रेस और आईएनएलडी ने भी राज्य में सत्ता में रहने के दौरान सीएम और राज्य पार्टी प्रमुख का कार्यभार सौंपते समय जाटों और गैर-जाटों के बीच एक कॉमन फैक्टर का ध्यान रखा गया है. बीजेपी अब पिछड़े समुदाय को साधने की कोशिश में जुट गई है.
नायब सैनी की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी और जेजेपी के बीच अनबन है. हाल के महीनों में दोनों ने कहा है कि वे स्वतंत्र रूप से सभी 10 लोकसभा और 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. नायब सैनी के सामने 2024 में दो महत्वपूर्ण चुनावों से पहले अपनी पार्टी को और मजबूत करने की जिम्मेदारी है.
क्या है नायब सिंह का सियासी बैकग्राउंड?
नायब सिंह लॉ में ग्रेजुएट हैं. वह साल 2014 में नारायणगढ़ से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे. 2016 में, उन्हें राज्य मंत्री (MoS) के रूप में राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. बाद में पार्टी ने उन्हें 2019 में कुरुक्षेत्र से लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा. नायब सैनी ने पार्टी संगठन में अंबाला जिला बीजेपी युवा मोर्चा अध्यक्ष से लेकर अंबाला जिला पार्टी अध्यक्ष तक कई जिम्मेदारियां संभाली हैं.
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हरियाणा में नायब सिंह को BJP ने क्यों सौंपी चुनावी कमान? ये हैं अहम वजहें