What is Tulbul Project: ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) को धूल चटाने के बाद भारत ने सीजफायर (India-Pakistan Ceasefire) कर लिया है. सीजफायर के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की तरफ से पाकिस्तान पर लगाए प्रतिबंध नहीं हटाए जाएंगे, जिनमें सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) निलंबित करना भी शामिल है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने ऐसे में एक ऐसे प्रोजेक्ट का मुद्दा उठाया है, जो सिंधु जल संधि के कारण ही पिछले 38 साल से अधूरा पड़ा है. उमर ने तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट (Tulbul Navigation Project) को दोबारा शुरू करने की मांग उठाई है, जिसे लेकर उनके और जम्मू्-कश्मीर (Jamu and Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के बीच ऐसी रार छिड़ गई है कि दोनों ने एक-दूसरे को पाकिस्तान समर्थक बताते हुए खिंचाई शुरू कर दी है. उमर अब्दुल्ला ने तो सीधे तौर पर महबूबा पर 'सस्ती लोकप्रियता' पाने और पाकिस्तान में 'खास तबके' को खुश करने की कोशिश का आरोप लगा दिया है. महबूबा ने भी इसका तीखा जवाब दिया है और उमर अब्दुल्ला पर उनके दादा शेख अब्दुल्लाह (Sheikh Abdullah) का हवाला देते हुए आरोप लगाया है. महबूबा ने आरोप लगाया है कि शेख अब्दुल्ला ने ही सत्ता से बाहर होने के बाद जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की मुहिम शुरू की थी.
चलिए आपको 5 पॉइंट्स में बताते है कि तुलबुल प्रोजेक्ट क्या है और इसे क्यों रोका गया था. साथ ही इसे लेकर अब क्या तकरार छिड़ी है.
1. पहले जान लीजिए तुलबुल प्रोजेक्ट क्या है?
तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट झेलम नदी में दक्षिण से उत्तरी कश्मीर तक बनाया जाना था. यह झेलम नदी की वुलर झील के मुहाने पर बनना था. इसके तहत वुलर झील के मुहाने पर 440 फीट लंबा बैराज जैसा नेवल लॉक-कम-कंट्रोल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाना था. इससे यहां झेलम नदी का करीब 3 लाख अरब क्यूबिक मीटर पानी जमा किया जा सकता था. इस पानी के जमा होने से दक्षिण से उत्तरी कश्मीर तक करीब 100 किलोमीटर लंबा नौवहन कॉरिडोर बनना था, जिससे यहां नावों के जरिये यात्रा और माल ढुलाई हो सकती थी. साथ ही झेलम पर डाउनस्ट्रीम में बनी जल विद्युत परियोजना के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध रहने से सर्दियों में भी 24 घंटे बिजली मिलने की राह खुल जाती.
2. पाकिस्तान ने तीन साल बाद बंद करा दिया था काम
भारत ने तुलबुल प्रोजेक्ट का बैराज बनाने का काम 1984 में शुरू किया था. पाकिस्तान ने इस पर लगातार ऐतराज जताया था, क्योंकि इससे उसे झेलम नदी से मिलने वाले पानी में कमी आ जाती. पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि (IWT) के उल्लंघन का मुद्दा उठाया और करीब 3 साल बाद 1987 में आखिरकार इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया. उस समय तक इस प्रोजेक्ट पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे. अब करीब 38 साल में झेलम नदी में बार-बार आने वाली बाढ़ की गाद में इस प्रोजेक्ट का जितना इंफ्रास्ट्रक्चर बना था, वो दब चुका है और झेलम का सारा पानी आराम से बहकर पाकिस्तान चला जाता है.
3. प्रोजेक्ट पूरा होने से इन जिलों को होता लाभ
तुलबुल प्रोजेक्ट के पूरा होने से उत्तरी कश्मीर के बारामुला, बांदीपोरा और दक्षिण कश्मीर के श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा व कुलगाम जिलों के गांवों को लाभ होता. इस प्रोजेक्ट के कारण इन जिलों में झेलम नदी में कभी सूखा नहीं होता और करीब 1 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए पानी पूरा साल उपलब्ध रहता. साथ ही यह पानी पाकिस्तान जाने के बजाय कश्मीर के ही काम आता. नौवहन सुविधा के कारण किसानों के लिए अपना माल आसानी से दूसरी जगह भेजकर ज्यादा मुनाफा कमाने का भी मौका रहता. इस कारण यहां के किसान लगातार इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की मांग करते रहे हैं.
4. क्यों शुरू हो गया है अब इस प्रोजेक्ट पर विवाद?
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि निलंबित होने से तुलबुल प्रोजेक्ट को पूरा करने की राह खुलने का दावा किया है. उन्होंने इसे दोबारा शुरू करने की मांग की है. उमर ने अपने एक्स (पहले ट्विटर) हैंडल पर एक ट्वीट में लिखा,'वीडियो में उत्तरी कश्मीर की वुलर झील पर आप जो सिविल कार्य देख रहे हैं, वह तुलबुल नेविगेशन बैराज है. 1980 के दशक की शुरुआत में चालू हुए इस प्रोजेक्ट को पाकिस्तान के दबाव में सिंधु जल संधि का हवाला देते हुए छोड़ना पड़ा था. अब जब सिंधु जल समझौता निलंबित हो गया है, तो क्या हम इस परियोजना को फिर से शुरू कर पाएंगे. इससे हमें नेविगेशन के लिए झेलम का उपयोग करने का लाभ मिलेगा. इससे डाउनस्ट्रीम बिजली परियोजनाओं के बिजली प्रोडक्शन में भी सुधार होगा. खासकर सर्दियों में इसका फायदा मिलेगा.'
The Wular lake in North Kashmir. The civil works you see in the video is the Tulbul Navigation Barrage. It was started in the early 1980s but had to be abandoned under pressure from Pakistan citing the Indus Water Treaty. Now that the IWT has been “temporarily suspended” I… pic.twitter.com/MQbGSXJKvq
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 15, 2025
नेशनल कॉन्फ्रेंस चीफ उमर के इस ट्वीट को PDP चीफ महबूबा ने भड़काऊ बताया. महबूबा ने लिखा,'भारत-पाकिस्तान में अभी युद्ध जैसे हालत बने थे और कश्मीर ने इसकी सबसे ज्यादा कीमत चुकाई. निर्दोषों की जान गई, तबाही मची और लोगों को भारी कष्ट हुआ. ऐसे में ये बयान भड़काऊ व गैरजिम्मेदाराना है. कश्मीर के लोगों को भी देश के बाकी लोगों जितनी ही शांति और राहत चाहिए. पानी जैसे जरूरी संसाधन का हथियार की तरह इस्तेमाल करना अमानवीय और खतरनाक है, जिससे यह मामला दो देशों के बीच का न रहकर अंतरराष्ट्रीय बन सकता है.'
5. उमर और मुफ्ती के बीच छिड़ गई है जुबानी जंग
उमर ने महबूबा के ट्वीट को सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश बताया है. उमर ने लिखा,'असल में यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सस्ती लोकप्रियता पाने और सीमा पार बैठे कुछ लोगों को खुश करने की अंधी लालसा में आप यह मानने से इनकार करते हैं कि IWT जम्मू-कश्मीर के लोगों के हितों से सबसे बड़ा ऐतिहासिक विश्वासघात है. मैंने हमेशा इस संधि का विरोध किया है और यह जारी रखूंगा. पूरी तरह अनुचित संधि का विरोध करना किसी भी तरह से युद्धोन्माद नहीं है. यह एक ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के बारे में है, जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने पानी का उपयोग करने के अधिकार से वंचित किया है.'
Actually what is unfortunate is that with your blind lust to try to score cheap publicity points & please some people sitting across the border, you refuse to acknowledge that the IWT has been one of the biggest historic betrayals of the interests of the people of J&K. I have… https://t.co/j55YwE2r39
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 16, 2025
इस पर मुफ्ती ने भी पलटवार करते हुए लिखा,'आपके दादा शेख अब्दुल्ला ने सत्ता से हटने पर जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने का समर्थन किया, लेकिन दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही वह अपनी बात से पलट गए और भारत से सुर मिलाने लगे. इसके विपरीत पीडीपी ने लगातार अपनी मान्यताओं और प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखा है. यह राजनीतिक सुविधा के मुताबिक नाटकीय रूप से अपनी वफादारी बदलने वाली आपकी पार्टी के विपरीत है. हमें अपने समर्पण को दिखाने के लिए तनाव को बढ़ावा देने या युद्ध भड़काने वाली बयानबाजी करने की आवश्यकता नहीं है. हमारे काम खुद बोलते हैं.'
Time will reveal who seeks to appease whom. However, it’s worth recalling that your esteemed grandfather Sheikh Sahab once advocated for accession to Pakistan for over two decades after losing power. But post being reinstated as Chief Minister he suddenly reversed his stance by… https://t.co/2jSBku731K
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) May 16, 2025
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