डीएनए हिंदीः दुनिया के तमाम देशों में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं. पिछले 24 घंटे में ही दुनियाभर 11 लाख से अधिक नए केस सामने आए हैं. कोरोना के नए वेरिएंट डेल्टाक्रोन (Deltacrone) को इसके पीछे की वजह बताया जा रहा है. इसके बाद एक बार फिर बूस्टर डोज को कोरोना के लड़ाई में बड़ा हथियार माना जा रहा है. भारत में भी 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर डोज (Booster dose) दी जानी शुरू हो चुकी हैं.
क्या होती है बूस्टर डोज?
सामान्य वैक्सीन से अलग बूस्टर डोज किसी खास रोगाणु अथवा विषाणु के खिलाफ लड़ने में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता और मजबूत करता है. यह बूस्टर डोज उसी वैक्सीन की हो सकती है जिसे व्यक्ति ने पहले लिया है. इसे शरीर में और ज्यादा एंटीबॉडीज का निर्माण करते हुए प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के लिए लगाया जाता है. सामान्य भाषा में कहें तो बूस्टर डोज शरीर की प्रतिरधक क्षमता को यह याद दिलाता है उसे किसी खास विषाणु से लड़ने के लिए तैयार रहना है.
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किसे दी जाती है बूस्टर डोज
बूस्टर डोज उन सभी लोगों को दी जा सकती है जिन्होंने इससे पहले उस वैक्सीन की कोई सामान्य डोज ली हो. हालांकि इसे केवल उन्हीं लोगों को दिया जाता है जिन्होंने अपने टीके की खुराक पूरी कर ली है. भारत में पहले बुजुर्गों को बूस्टर डोज लगाई जा रही है.
किन देशों में दी जा रही बूस्टर डोज
दुनिया के 36 से अधिक देशों में बूस्टर डोज दी जा रही हैं. इनमें इजरायल में 12 साल से अधिक के बच्चों को भी बूस्टर डोज दी जा रही है. वहीं ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रिया, चेक गणतंत्र, फ्रांस, जर्मनी, न्यूजीलैंड, हंगरी, स्वीडन, चीन, डेनमार्क, और इटली आदि देशों में लोगों को बूस्टर डोज लगाई जा रही है.
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Booster dose: बूस्टर डोज क्या होती है और कब दी जाती है? अब तक किन देशों में लग चुकी हैं?