डीएनए हिंदी: एंट्रिक्स देवास डील (Antrix-Devas Deal) एक बार फिर चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देवास मल्टीमीडिया को बंद करने केनेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के फैसले को सही करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने डील में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की भी पर्तें खोली हैं. कोर्ट के फैसले के बाद अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने तो कांग्रेस (Congress) को घेरते हुए यहां तक कह दिया कि यह पार्टी भ्रष्टाचार में लिप्त है देश के संसाधनों का दुरुपयोग कर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है.

केंद्र और विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोपों के बीच यह समझना अहम है कि आखिर यह डील क्या थी और क्यों इस पर लगातार विवाद हो रहा है.

साल 2005 में एक प्राइवेट कंपनी देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड (Devas Multimedia Pvt Ltd) ने 2005 में मल्टीमीडिया और दूरसंचार सेवाएं शुरू करने की पेशकश की. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की कॉमर्शियल शाखा एंट्रिक्स कॉपोर्रेशन के साथ इस कंपनी ने एक समझौता किया. इसके तहत ISRO के दो उपग्रहों, GSLV-6 और GSLV-6A को प्राइवेट सेवाओं के लिए लिए कम कीमत पर लीज पर देने की डील हुई थी.

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क्या थी Antrix-Devas Deal?

डील के मुताबिक देवास को इसरो की कॉमर्शियल कंपनी को सुविधाएं देने के लिए करार हुआ था. एंट्रिक्स को 2 सेटैलाइट बनाना था जिसकी 90 फीसदी ट्रांसपोडर क्षमता पर देवास का हक होता. देवास मल्टिमीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एंट्रिक्स कॉपोर्रेशन के बीच 29 जनवरी 2005 को एक लीज पर हस्ताक्षर हुआ. सौदे के तहत इसरो 2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट देवास को लीज पर 12 साल के लिए देता. यह डील 167 करोड़ रुपये में तय हुई थी. देवास उपग्रहों का इस्तेमाल एस-बैंड ट्रांसपोडर तकनीक के जरिए मोबाइल प्लेटफॉर्म्स म्लटीमीडिया सुविधाएं मुहैया कराता. इसरो ने एस-बैंड स्पेक्ट्रम के 70 मेगाहर्ट्ज को लीज पर दिया था. 

क्यों सरकारी एजेंसियां जता रहीं थीं खतरा?

कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार (UPA) ने 2011 में इस डील को रद्द कर दिया. 25 फरवरी 2011 को इस डील को रद्द किया गया.  एंट्रिक्स-देवास समझौते पर 2005 में हस्ताक्षर किए गए थे और 6  वर्षों के विवादों के बाद इसे 2011 में रद्द कर दिया गया था. इस समझौते पर अलग-अलग सरकारी एजेंसियों और विभागों ने गंभीर आपत्तियां उठाई थीं. एजेंसियों को चिंता थी कि देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को एस-बैंड का उपयोग करने के लिए अधिकृत किया था. यह बहुत ही संवेदनशील बैंडविड्थ है जिसका इस्तेमाल ज्यादातर सैन्य बलों द्वारा अपने संचार के लिए किया जाता है तथा इस प्रकार यह मामला सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित था. सरकार ने यह फैसला तब किया जब 2जी स्कैम विवादों के केंद्र में था. 

एंट्रिक्स ने डील को लेकर एसीएलएटी का रुख किया था. आरोप था कि 2005 में तत्कालीन चेयरमैन जी माधनव नायर और कपनी के सीनियर अधिकारियों ने देवालस को गैरकानूनी तरीकों से कॉन्ट्रैक्ट दिया था.  मई 2021 में एनसीएलएटी ने देवास पर पाबंदियां लगाईं. 

सुप्रीम कोर्ट का डील पर क्या है रुख?

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखा है. एनसीएलटी की बेंगलुरू बेंच ने 2021 में देवास मल्टीमीडिया को बंद करने का निर्देश दिया था. इसके लिए एक अस्थायी लिक्वेडेटर को नियुक्त किया गया था. कंपनी ने देवास डिवाइस, देवास सर्विस और देवास टेक्नोलॉजी के जरिए जिन सेवाओं की पेशकश की थी दरअसल वे मौजूद ही नहीं थीं. 

देवास ने 1.13 अरब डॉलर के मुआवजे का दावा ठोंका और इस केस को अंतरराष्ट्रीय अदालतों और कानूनी मंचों पर लेकर गई. देवास ने तब भारत-मॉरीशस बाइलैटरल इन्वेस्टमेंट प्रोटेक्शन डील के आधार पर स्थायी मध्यस्थता न्यायालय का रुख किया, जिसने बाद में भारत सरकार को ब्याज और कानूनी लागत के साथ 11.1 करोड़ डॉलर का भुगतान करने का निर्देश दिया.

देवास मल्टीमीडिया ने पहले ही एंट्रिक्स के खिलाफ 1.3 बिलियन डॉलर का मुआवजा पाने के लिए इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स में मुकदमे में जीत हासिल की थी. इस बीच केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशाालय (ईडी) ने भी एंट्रिक्स-देवास सौदे की जांच शुरू प्राथमिकी दर्ज की थी. इसी मामले में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी जांच शुरू कर दी थी.

क्यों कांग्रेस पर भड़कीं Nirmala Sitharaman?

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी भ्रष्टाचार में लिप्त है और देश के संसाधनों का दुरूपयोग कर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया. एंट्रिक्स -देवास मामला कांग्रेस कार्यकाल के भ्रष्टाचार का बेशर्म कृत्य था. यूपीए सरकार को इस धोखाधड़ी को भांपने में छह साल लग गए और बाद में यह समझौता रद्द कर दिया गया. लेकिन इस मामले में फिर मध्यस्थता शुरू हो गई क्योंकि निजी कंपनी ने भारत सरकार से लाखों डॉलर का दावा किया जो कि भ्रष्टाचार का घिनौना काम था.

Nirmala Sitharaman.

और क्या बोलीं वित्त मंत्री?
निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस को अपने 'क्रोनी कैपिटलिज्म' पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगाया था. बार-बार अनुरोध करने के बाद भी सरकार का पक्ष रखने के लिए यूपीए सरकार ने मध्यस्थ की नियुक्ति तक नहीं की थी. यह संप्रग सरकार की आधी-अधूरी भागीदारी को दर्शाता है, जिसने परोक्ष रूप से निवेश के बहाने देवास मल्टीमीडिया की देश में आने की रणनीति का समर्थन किया. कंपनी ने अमेरिका आधारित सहायक कंपनी, आईटी सेवाएं शुरू और अंतरराष्ट्रीय अदालतों में कानूनी लड़ाई लड़ने के नाम पर 488 करोड़ रुपये की हेराफेरी की. 

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What is Antrix-Devas deal case ISRO Nirmala Sitharaman Attack BJP Congress
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क्या है Antrix-Devas Deal जिसे लेकर Congress को घेर रही है BJP? जानें सब कुछ
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