जम्मू के डोडा में आंतकियों के साथ मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए सेना के 4 जवान शहीद हो गए, जबकि कई घायल हो गए. सोमवार को सुरक्षाबलों को डोडा के जंगलों में कुछ आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. जिसके आधार पर पुलिस के विशेष दस्ते (SOG) और सेना के जवानों ने सर्च ऑपरेशन चलाया तो आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी. पिछले कुछ महीने से जम्मू में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं. माना जा रहा है कि कश्मीर में मुंह की खाने के बाद आतंकियों ने नई स्ट्रैटेजी और पैटर्न के तहत जम्मू को हमले का नया ठिकाना बना लिया है.
जम्मू में पिछले कुछ महीने में 9-10 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं. इनमें सबसे बड़ा हमला 9 जून को रियासी में हुआ था, जहां तीर्थयात्रियों से भरी एक बस को आतंकियों ने निशाना बनाया था. जिसमें 9 लोगों को मौत हो गई थी. फिर 8 जुलाई को दहशतगर्दों ने घात लगाकर सेना के काफिले पर हमला किया, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे. अपैल 2024 से अब तक आतंकियों के हमले में 24 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें जवान भी शामिल हैं.
आतंकियों को निशाने पर क्यों आया जम्मू?
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बीते कुछ सालों में ऑपरेशन 'ऑल आउट' के तहत सेना ने कश्मीर में आतंकियों की कमर तोड़कर रख दी. इस दौरान भारी तादाद में आतंकी और उनके सरगना मारे गए. घाटी में लगभग हर बड़े नेटवर्क का सफाया कर दिया गया. सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ पर काफी हद तक रोक लगा दी. ऐसे में आतंक के आकाओं ने अपनी रणनीति और पेटर्न को बदलते हुए जम्मू में निशाना बना रहे हैं.
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जम्मू में कुछ सालों से शांति मानी जा रही थी. छोटी-मोटी घटनाओं के अलावा कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ था. लेकिन साल 2023 से यह घटनाएं बढ़ गईं और 43 आतंकी हमले हुए, जिनमें 16 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे. अगर पिछले 3 साल की बात करें तो 43 जवान शहीद और 23 से ज्यादा नागरिक मारे गए. ये आंकड़ें बताते हैं कि किस तरह आतंकवाद जम्मू में अपने पैर पसार रहा है.
आंतकियों को कहां से मिल रही मदद?
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो ओवर ग्राउंड वर्कर की वजह से आतंकियों को सपोर्ट मिल रहा है. माना जा रहा है कि जम्मू के कई इलाकों में ओवर ग्राउंड वर्कर, स्लिपर सेल की संख्या बढ़ी है. जिससे दहशतगर्दों को सेना और सिविलियन को टारगेट करने में मदद मिल रही है. स्लिपर सेल की मदद से उन्हें सुरक्षबलों के हर मूवमेंट की खबर मिल रही है. जिससे वो हमला करने में कामयाब हो रहे हैं.
साल 2023 में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि हंदवाड़ा में 496, रियासी में 182, कठुआ में 135, किश्तवाड़ा में 135, राजौरी में 80, डोडा में 74 और कुपवाड़ा में 32 और बारामूला में 26 ओवर ग्राउंड वर्कर और स्लिपर सेल एक्टिव हैं.
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स्ट्रैटेजी, पैटर्न और नया मॉड्यूल... आखिर आतंकी हमलों का नया ठिकाना क्यों बना जम्मू?