डीएनए हिंदी: यूक्रेन (Ukraine) और रूस (Russia) के बीच बीते 31 दिनों से भीषण जंग जारी है. रूस दुनिया की महाशक्तियों में शुमार है लेकिन यूक्रेन जीतना उसके लिए भारी पड़ रहा है. यूक्रेन की राजधानी कीव, खारकीव और मारियुपोल जैसे शहरों में रूसी सेना ने भीषण तबाही मचाई है. लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर पलायन को मजबूर हो गए हैं लेकिन यूक्रेन हार नहीं मान रहा है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने हर बार कहा है कि वह व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) की सेना के सामने घुटने नहीं टेकेंगे. यूक्रेनी सेना रूस का मुंहतोड़ जवाब देगी. जमीन पर भी ऐसी ही स्थिति नजर आ रही है. महाशक्ति होने के बाद भी रूस, यूक्रेन जैसे छोटे देश को 31 दिन बाद भी नहीं जीत सका है.
रूस और यूक्रेन के बीच कई स्तर की वार्ता हो चुकी है. दुनिया के दिग्गज देश चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच जारी जंग थम जाए लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. रूस पर यूक्रेन वॉर को खत्म करने का दबाव बन रहा है लेकिन रूसी सेना यूक्रेन में भीषण बमबारी कर रही है.
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क्यों हार नहीं मान रहा है यूक्रेन?
यूक्रेन को पश्चिमी देशों का मजबूत समर्थन हासिल है. पश्चिमी देश यूक्रेन को हथियार मुहैया करा रहे हैं. हथियार देने वाले देशों में ब्रिटेन से लेकर फ्रांस तक का नाम शामिल है. अमेरिका आर्थिक सहायता के साथ-साथ सैन्य हथियार भी दे रहा है. यूरोपियन यूनियन से भी यूक्रेन को हथियार दिए जा रहे हैं. यूरोपियन यूनियन ने 450 मिलियन मूल्य के हथियार यूक्रेन को दिए हैं. कई देशों ने फाइटर जेट भी यूक्रेन को दिए हैं. यह पहली बार है कि जब रूस बुरी तरह घिर गया हो.
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पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को दिए घातक सैन्य हथियार
कनाडा ने यूक्रेन को कई खतरनाक हथियार दिए हैं. जर्मनी ने यूक्रेन को स्टिंगर मिसाइल और 9 होवित्जर भेज हैं. स्वीडन ने 5,000 एंटी टैंक रॉकेट दिए हैं. फ्रांस ने एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम और डिजिटल हथियार भेजे हैं. ब्रिटेन ने युद्ध में सैन्य हथियार भेजने का वादा किया है. बेल्जियम ने 3,000 से ज्यादा स्वचलित हथियार और 200 एंटी टैंक हथियार यूक्रेन में भेजे हैं. नीदरलैंड, चेक रिपब्लिक, पुर्तगाल, ग्रीस, रोमानिया, इटली और फ्रांस जैसे देशों ने भी हथियार भेजे हैं.
रूसी सेना का टूट रहा है मनोबल!
यूक्रेन की आधी से ज्यादा आबादी दूसरे देशों में शिफ्ट हो गई है. संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक 30 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़कर पड़ोसी देशों में जा चुके हैं. पोलैंड और रोमानिया जैसे देशों में भी यूक्रेनी नागरिक पहुंचे हैं. वहीं यूक्रेन की एक बड़ी आबादी खुद सैनिक की भूमिका में आ चुकी है. आम जनता भी सैनिक बन गई है. यूक्रेन के प्रमुख शहरों में भले ही रूसी सेनाएं पहुंच चुकी हों लेकिन उन्हें भीषण प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. रूसी सैनिक बदहाल यूक्रेन में कमजोर पड़ रहे हैं.
वैश्विक तौर पर अलग-थलग पड़ रहा है रूस!
रूस के खिलाफ 20 से ज्यादा दिग्गज देश खुले तौर पर उतर चुके हैं. वैश्विक तौर पर रूस अकेला पड़ गया है. रूस का साथ चीन भी खुलकर नहीं दे पा रहा है. भारत अपने गुट निरपेक्ष रुख के लिए जाना जाता है. दूसरे शक्तिशाली देश यूक्रेन के साथ हैं. ऐसे में रूस वैश्विक तौर पर अलग-थलग पड़ चुका है. रूसी सैनिक भले ही भीषण बममारी कर रहे हों लेकिन यूक्रेनी सेना के मनोबल के आगे उनके भी हौसले पस्त हो रहे हैं. व्लादिमीर पुतिन के पास युद्ध रोकने के अलावा कोई और विकल्प नजर नहीं आ रहा है.
...इसलिए हार नहीं मान रहा है यूक्रेन!
यूक्रेन की सेना ने साबित कर दिया है कि जंग हथियारों से नहीं, हौसलों से लड़ी जाती है. दुनिया की बेहतरीन सेनाओं में शुमार रूसी सेना अब तक यूक्रेन जीत नहीं पाई है. रूस को भारी सैन्य क्षति पहुंची है. बड़ी संख्या में रूसी सैनिक मारे गए हैं. यूक्रेन में लड़ाई छेड़कर रूस को कुछ हासिल भी नहीं होने वाला है. न तो व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन को रूस में मिला सकते हैं, न ही वहां अपने हिसाब से सत्ता परिवर्तन करा सकते हैं. यह लड़ाई व्लादिमीर पुतिन को महंगी पड़ने वाली है. उन्हें दुनिया के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.
वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की का रुख यही बता रहा है कि जो हार मानने को तैयार हो उसे हराया नहीं जा सकता है. पश्चिमी देशों से मिल रहे हथियारों के बल पर यूक्रेनी सेना रूसी सेना को पूरी टक्कर दे रही है. ऐसे में पुतिन ज्यादा दिन तक अपनी सरकारी संपत्तियों की बर्बादी देख नहीं पाएंगे. मौजूदा परिस्थितियों को देखकर ऐसा लगता है कि यूक्रेन हार मानेगा नहीं और रूस उसे हरा नहीं पाएगा.
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युद्ध के 31 दिन- जर्जर हो चुके Ukraine को हरा क्यों नहीं पा रहा है रूस ?