डीएनए हिंदी: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बिना एक भी गोली चलाए यूक्रेन (Ukraine) को तीन हिस्सों में बांट दिया है. व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो पूर्वी क्षेत्रों को स्वतंत्र देश की मान्यता दे दी है. रूस यह भी घोषणा की है कि वह इन क्षेत्रों में यूक्रेन के सैन्य आक्रमण को सुरक्षित रखने में मदद करेगा.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी इलाकों को स्वतंत्र राज्य की मान्यता प्रदान की है. पूर्वी यूक्रेन में स्वघोषित पीपल्स रिपब्लिक ऑफ दोनेत्स्क (Donetsk) और लुहांस्क ( Luhansk) रूस समर्थित विद्रोहियों का घर है. ये विद्रोही 2014 से ही यूक्रेन से लड़ रहे हैं.
पश्चिमी देश रूस के इस फैसले से बेहद आशंकित हैं, वहीं दोनों इलाकों के लोग बेहद खुश नजर आ रहे हैं. दोनेत्स्क और लुहांस्क के लोग अपनी आजादी का जश्न मना रहे हैं. रूस ने इन क्षेत्रों में अपने सैनिकों को तैनात कर दिया है. व्लादिमीर पुतिन का फैसला यूक्रेन के विद्रोहियों को बेहद पसंद आ रहा है.
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विद्रोहियों का गढ़ है दोनेत्स्क और लुहांस्क
रूस ने जब साल 2014 में क्रीमिया ( Crimea) पर कब्जा किया था, तब से ही दोनेत्स्क और लुहांस्क में विद्रोही सक्रिय हो गए थे. रूस समर्थक बलों ने क्रीमिया पर कब्जे के बाद दोनेत्स्क और लुहांस्क के सरकारी भवनों और कार्यालयों पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. व्लादिमीर पुतिन दोनेत्स्क और लुहांस्क के लिए योजना तैयार कर रहे थे. उन्होंने दोनों क्षेत्रों में काम करने वाले विद्रोही ताकतों को मान्यता नहीं दी थी लेकिन सुनियोजित रणनीति पर काम करना जारी रखा. अब दुनिया सोच रही है कि व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन का विभाजन रातो-रात कैसे कर दिया.
किस रणनीति पर काम कर रहे थे पुतिन?
व्लादिमीर पुतिन ने यह फैसला एक दिन में नहीं किया है. उन्हें इसके लिए एक तय रणनीति पर काम किया है. दोनेत्स्क और लुहांस्क में 60 लाख आबादी रहती है. इनमें से 80 फीसदी आबादी रूसी भाषा बोलती है. भले ही यह लोग यूक्रेन के नागरिक थे लेकिन इनका झुकाव हमेशा रूस की ओर रह है. पुतिन जानते थे कि विद्रोह को अगर बढ़ाएंगे तो फायदा होगा.
दोनों क्षेत्र पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा हैं और रूस की सीमा से लगते हैं. पुतिन ने दोनों देशों को मान्यता दे दी और कहा कि इन क्षेत्रों की हिफाजत का दायित्व अब रूस का है. दोनों जगहों पर रूस ने अपनी सेनाओं की तैनाती कर दी है. लोग आजादी का जश्न मनाते नजर आ रहे हैं. दोनों क्षेत्रों में जो लोग शासन कर रहे हैं वे रूस के समर्थक हैं.
पुतिन ने क्यों किया ऐसा फैसला?
व्लादिमीर पुतिन ने यह फैसला इसलिए किया क्योंकि उन्हें पता था कि यूक्रेन की सरकार नाटो में शामिल होना चाहती है. नाटो देश और अमेरिका जब यूक्रेन पर शामिल होने का दबाव बनाएंगे तब सही वक्त होगा यूक्रेन को विभाजित करने का. पुतिन ने यही किया है. यूक्रेन नाटो में शामिल होने के लिए परेशान नजर आ रहा है तभी पुतिन ने ऐलान कर दिया कि दोनेत्स्क और लुहांस्क स्वतंत्र देश होंगे.
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उन्होंने इसके लिए इंतजार किया और सही वक्त देखकर इतनी बड़ी स्ट्राइक की. नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानी नाटो (NATO) के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि रूस पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को सैन्य और आर्थिक मदद देकर लगातार विद्रोह को बढ़ावा दे रहा है. वह एक बार फिर से यूक्रेन पर हमले का बहाना बना रहा है.
यूक्रेन NATO में शामिल हो यह रूस को नहीं मंजूर!
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन में शामिल देशों की यूक्रेन में तैनाती रूस को मंजूर नहीं है. रूस नहीं चाहता कि पश्चिमी देशों की मौजूदगी उसके पास हो. रूस चाहता है कि पश्चिमी देश यूक्रेन से दूर जाएं और यूक्रेन में दखल न दें. पश्चिमी देशों के साथ रूस की तनातनी जगजाहिर है. अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हो जाता है तो रूस को सबसे ज्यादा खतरा होगा. यूक्रेन पर हमले की स्थिति में नाटो देश रूस पर हमला बोल देंगे जो दुनिया को विश्वयुद्ध की ओर झोंक देगा.
क्या है पुतिन का अखंड रूस प्लान?
व्लादिमीर पुतिन अपने सीमावर्ती देशों कों या तोड़ रहे हैं या जोड़ रहे हैं. 2008 में रूस ने जॉर्जिया पर हमला किया था. रूस ने वहां के दो प्रांतों अबखाजिया और साउथ ओसेटिया को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी है. इन दोनों देशों को रूस ही कंट्रोल करता है. 2014 में रूस ने इसी प्लान के तहत क्रीमिया पर कब्जा किया था. रूस में क्रीमिया का विलय हो गया है. अब रूस का विस्तार ब्लैक सी तक हो गया है. 2022 में दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र देश की मान्यता देने के बाद अब रूस यहां भी अपनी जड़ें जमा रहा है.
बेलारूस के राष्ट्रपति पहले ही कह चुके हैं सही समय आने पर रूस में वह अपने देश का विलय करेंगे. बेलारूस भी आने वाले दिनों में रूस में शामिल हो जाएगा. व्लादिमीर पुतिन अखंड रशिया पर काम कर रहे हैं. पुतिन ने अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी विदेशी हस्तक्षेप से इनकार करते हैं. दुनियाभर के देश उनकी आलोचना कर रहे हैं लेकिन वह अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए अडिग हैं. उन्होंने साफ कर दिया है कि वह अपनी सीमाओं में किसी भी राष्ट्र का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेंगे.
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