डीएनए हिंदी: स्वास्थ्य मंत्रालय ने एंटीबायोटिक दवाइयों के बढ़ते चलन को रोकने के लिए अहम कदम उठाया है. अब डॉक्टर बेवजह एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं लिख सकेंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सकों को निर्देश दिया है कि वे एंटीबायोटिक लिखने सटीक कारण दवाई की पर्ची पर लिखें. दवाइयों को लेकर जो सरकार की गाइडलाइन है, उसका ख्याल रखें. सरकार ने फार्मासिस्टों को भी निर्देश दिया है कि वे कानूनी तौर पर वैध प्रिस्किप्शन के बिना एंटीबाोटिक दवाइयों को न बेचें.
केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने इस महीने की शुरुआत में डॉक्टरों के संघ को भेजे गए एक पत्र में कहा है, 'एंटीबायोटिक दवाइयों को लिखते वक्त ट्रीटमेंट प्रिस्क्रिप्शन पर उनकी वजह भी बता दें. मेडिकल कॉलेजों के सभी डॉक्टरों से यह तत्काल अपील है कि वे एंटीबायोटिक लिखते वक्त सटीक संकेत, वजह या जरूरत का अनिवार्य रूप से उल्लेख जिक्र करें.'
तेजी से बढ़ रहा है एंटीबायोटिक दवाइयों का चलन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अपील है कि मेडीकल कॉलेज में पढ़ रहे भविष्य के डॉक्टर भी एंटीबायोटिक दवाइयों का तभी इस्तेमाल करें, जब यह कहना बेद जरूरी हो. देश में एंटीबायोटिक दवाइयों का चलन तेजी से बढ़ा है. झोला-छाप डॉक्टर्स भी धड़ल्ले से ऐसी दवाइयों को बांट रहे हैं, जिसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है.
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फर्मासिस्टों के लिए भी सरकार ने जारी किया निर्देश
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मासिस्टों के संघ को भी भेजे गए पत्र में अपील की है कि फर्मासिस्ट ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रावधानों का पालन करें. एंटीबायोटिक दवाइयों को किसी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रोफेशनल के ही प्रिस्क्रिप्शन पर बेचा जाना चाहिए.
क्या है एंटीबायोटिक दवाइयों के लिए गाइडलाइन
एंटीबायोटिक दवाइयों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की अनुसूची एच और एच1 के तहत सूचीबद्ध किया गया है, ये दोनों ऐसी दवाओं की श्रेणियां हैं जिन्हें डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं बेचा जा सकता है. अनुसूची एच1 दवाओं की बिक्री का रिकॉर्ड होना चाहिए, जिसे कम से कम 3 साल तक सुरक्षित रखना चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्यों जारी किए हैं निर्देश
एंटीबायोटिक दवाइयों के दुरुपयोग और ज्यादा इस्तेमाल से लोग बीमार पड़ रहे हैं और नई तरह की बीमारियां पनप रही हैं. ऐसी दवाइयों के ज्यादा इस्तेमाल से मरीज पर हल्की दवाइयां असर ही नहीं करती हैं. यह शरीर के लिए हानिकारक है और नाजुक अंगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
क्यों आया है ये निर्देश
सरकार का यह निर्देश नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) के हालिया सर्वेक्षण के बाद आया है, जिसमें पता चला है कि कई छोटो अस्पतालों में भर्ती 71.9% रोगियों को एंटीबायोटिक्स दिए गए थे. इनमें से आधे से अधिक नुस्खे किसी संक्रमण का इलाज करने के लिए नहीं थे बल्कि सर्जरी से पहले की तैयारी के लिए एडमिट थे. एंटीबायोटिक दवाइयों को प्रोफिलैक्सिस के तौर पर दिया गया था.
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क्यों एंटीबायोटिक दवाइयों का बढ़ा है चलन
AIIMS के ट्रॉमा सेंटर में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर और अस्पताल संक्रमण नियंत्रण टीम का हिस्सा डॉ. पूर्वा माथुर विज्ञान का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं का इस हद तक का रोगनिरोधी उपयोग चिंताजनक है. कई डॉक्टर इन्फेक्शन रोकने के लिए वायरल संक्रमण वाले लोगों को एंटीबायोटिक्स लिखते हैं. जब सर्जनों की बात आती है, तो लगभग हर कोई 15 दिनों तक के लिए एंटीबायोटिक्स लिखता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वे इतने डरे हुए हैं कि उनके मरीजों को संक्रमण हो जाएगा, लेकिन इससे बचने की जरूरत है. सरकार ने इन्हीं वजहों से ऐसी दवाइयों के लिए गाइडलाइन किया है.
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बेवजह डॉक्टर नहीं लिख सकते एंटीबायोटिक, केमिस्ट पर भी सख्त सरकार, ये है वजह