डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले एक युवक ने चिट्ठी लिखकर धमकी दी है कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के दफ्तरों को बम से उड़ा देगा. उसने इस धमकी के पीछे कारण दिया है कि उसके गांव में जबरन धर्मांतरण (Forceful Conversion) कराया जा रहा है और आरएसएस-वीएचपी जैसे संगठन कोई कदम नहीं उठा रहे हैं. धर्मांतरण (Religion Conversion) का मुद्दा भारत समेत दुनिया के कई देशों के लिए लंबे समय से समस्या बना हुआ है. भारत में अंग्रेजों के शासन में ईसाई मिशनरियों (Christian Missionaries) ने अलग-अलग लालच देकर धर्मांतरण का जो कुचक्र शुरू किया वह आज भी जारी है.
संविधान के अनुच्छेद 25 के मुताबिक, हर व्यक्ति को अपना धर्म मानने, उसके हिसाब से अपनी पूजा-आराधना करने का अधिकार है. कानून इस बात की भी इजाजत देता है कि आप अपना धर्म बदल सकें. हालांकि, धर्मांतरण किसी के दबाव में, बहलाने-फुसलाने के बाद या किसी लालच की वजह से नहीं किया जाना चाहिए. इस संबंध में कई बार देश की अदालतों में सुनवाई भी हुई है और कोर्ट ने अलग-अलग मौकों पर इस मामले में अहम टिप्पणियां भी की हैं.
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अलग-अलग कारणों से होते हैं जबरन धर्मांतरण
ईसाई मिशनरियों के अलावा अन्य धर्मों से जुड़े लोगों की ओर से भी जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने के मामले सामने आते रहे हैं. कहीं भूत-प्रेत का डर दिखाकर, कहीं इलाज के नाम पर तो कहीं मुफ्त की चीजों के नाम पर धर्मांतरण कराने के मामले सामने आए हैं. ऐसे ही एक मामले में अप्रैल 2022 में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन लोगों पर आरोप है कि ये सभी जबरन धर्मांतरण कराने वाले गिरोह में शामिल हैं.
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ऐसे ही कई मामले झारखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में देखने को मिले हैं. जून 2021 में उत्तर प्रदेश एटीएस ने धर्म परिवर्तन कराने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया. इस गिरोह से जुड़े दो मौलानाओं को गिरफ्तार किया गया. बाद में यह सामने आया कि इस गिरोह से जुड़े लोग दूसरे धर्मों के एक हज़ार से ज्यादा लोगों का धर्म परिवर्तन करवा चुके हैं.
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क्या कहता है धर्म परिवर्तन से जुड़ा कानून?
सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि भारत में कानून का मुद्दा स्टेट लिस्ट में आता है यानी कि कानून व्यवस्था का मुद्दा राज्य के ही अधीन होता है. यही वजह है कि धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर राज्य अपने हिसाब से कानून बना सकते हैं. पिछले कुछ सालों में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण कानून काफी चर्चा में भी रहे हैं. धर्मांतरण रोकने के लिए लगभग सभी राज्यों ने अपने-अपने कानून तय किए हैं. ओडिशा (1967), मध्य प्रदेश (1968), अरुणाचल प्रदेश (1978), छत्तीसगढ़ (2000 और 2006), गुजरात (2003), हिमाचल प्रदेश (2006 और 2019) झारखंड (2017) और उत्तराखंड में 2018 में धर्मांतरण से जुड़ा कानून लाया गया. ये सभी कानून जबरन धर्मांतरण को गैर-कानूनी मानते हैं.
उदाहरण के तौर पर देखें तो यूपी में जबरन धर्मांतरण दंडनीय अपराध है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर 1 से 10 साल तक की सजा और 15 से 50 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा, अगर मामला सामूहिक धर्मांतरण का हो तो ऐसा कराने वाले संगठन का लाइसेंस रद्द किया जाएगा, 50 हजार रुपये का जुर्माना होगा और जबरन धर्मांतरण में शामिल लोगों को 3 से 10 साल तक की सजा होगी.
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कानून के बावजूद क्यों नहीं रुकते धर्मांतरण?
साल 2020 में यूपी में जबरन धर्मांतरण से जुड़े कानून को ज्यादा सख्त बनाया गया. इसके बावजूद धर्मांतरण नहीं रुका. 24 नवंबर 2020 को धर्मांतरण कानून से जुड़ा अध्यादेश पारित होने के बाद सिर्फ़ 9 महीने में ही 189 लोगों को इस कानून के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, इन 9 महीनों में कुल 108 मामले दर्ज किए गए और 72 चार्जशीट दाखिल की गईं.
ये आंकड़े बता रहे हैं कि सख्त कानून, गिरफ्तारी और चार्जशीट के बावजूद जबरन धर्मांतरण रुकने का नाम नहीं ले रहा है. इसका एक कारण यह भी है कि ज्यादातर मामलों में आरोपियों के खिलाफ सबूत नहीं होता है और वे सबूतों के अभाव में बरी हो जाते हैं. उदाहरण के तौर पर यूपी में ही इन 9 महीनों में जितने मामले दर्ज हुए उसमें से 11 में 'सबूतों का अभाव' पाया गया.
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RSS ऑफिस को बम से उड़ाने की धमकी के बाद गर्माया धर्मांतरण का मुद्दा, देश में धर्म बदलने का क्या है कानून?