डीएनए हिंदी: भारतीय रेलवे (Indian Railway) को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है. हर रोज ट्रेन से लाखों लोग सफर करते हैं. अक्सर हम जब टिकट बुक करते हैं तो देखते हैं कि ट्रेनों के नाम अलग-अलग होता है. किसी का राजधानी, शताब्दी, दूरंतो एक्सप्रेस होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन ट्रेनों का नाम कैसे रखा जाता है? किस आधार पर ट्रेनों का नामकरण होता है? 

दरअसल, ट्रेनों का नाम तीन बातों के आधार पर रखा जाता है. राजधानी, जगह और खास लोकेशन. राजधानी (किसी विशेष जरूत के लिए चलाई जाने वाली ट्रेनें), जगह( यानी स्टेशन के नाम पर) और किसी खास लोकेशन (पार्क, मॉन्यूमेंट से होकर गुजरने वाली ट्रेनें). चलिए एक-एक करके तीनों को समझते हैं.

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राजधानी से जोड़ने वाली ट्रेनें
भारतीय रेलवे ने कुछ ट्रेनें खास सुविधा के लिए चलाई हैं. इनमें एक ट्रेन का नाम है राजधानी. राजधानी को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की राजधानी से जोड़ने के लिए तैयार किया गया. इसका मकसद देश की राजधानी दिल्ली को अन्य प्रदेशों की राजधानी के बीच तेज गति से ट्रेनों को चलाया जाने से है. इसलिए इसका नाम राजधानी एक्सप्रेस रखा गया. यह ट्रेन 140 किमी प्रति घंटा की स्पीड से चलती है.

जगह यानी स्टेशन के आधार पर चलने वाली ट्रेनें
इन ट्रेनों का नाम जगह (स्टेशन) के आधार पर रखा गया है. जो एक खास जगह से चलती हैं और एक तय जगह तक पहुंचती हैं. इनके नाम से पेसेंजर को अंदाजा लग जाता है कि यह ट्रेन कहां तक जाएगी. जैसे-

  • हैदराबाद से मुंबई तक चलने वाली वावी मुम्बई एक्सप्रेस (Mumbai Xpress)
  • हावड़ा से कालका तक चलने वाली कालका मेल (Kalka Mail)
  • मैसूर से जयपुर तक चलने वाली जयपुर एक्सप्रेस


लोकेशन के आधार पर चलने वाली ट्रेनें
ये वो ट्रेनें हैं जो किसी खास लोकेशन, नेशनल पार्क, स्मारक, नदी, पहाड़, जोन या क्षेत्र से होकर गुजरती हैं. इसलिए इनका नाम उस लोकेशन या जगह के आधार पर रखा गया. जैसे-

  • चेन्नई से हैदराबाद जाने वाली चारमीनार एक्सप्रेस (Charminar Express)
  • जोधपुर से इंदौर जाने वाली रणथंभौर एक्सप्रेस (Ranthambore Express)
  • हैदराबाद से हावड़ा तक चलने वाली ईस्ट कोस्ट एक्सप्रेस (East Coast Express)
  • मंगलौर से तिरुवनंतपुरम तक जाने वाली मालाबार एक्सप्रेस (Malabar Express)
  • कार्बेट पार्क एक्सप्रेस, कांजीरंगा एक्सप्रेस और ताज एक्सप्रेस


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प्रधानमंत्री के 100वें जन्मदिन के आधार पर रखा गया शताब्दी
शताब्दी ट्रेन भारत की सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाली ट्रेनों में से एक है. इस ट्रेन का नाम शताब्दी इसलिए दिया गया क्योंकि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के 100वें जन्म दिन पर 1989 में इसकी शुरूआत हुई. इस ट्रेन को 400 से 800 किमी के सफर में ज्यादा वरीयता दी जाती है. इसकी रफ्तार 160KM प्रति घंटा के है. इसमें कोई स्लीपर कोच नहीं होते, सिर्फ AC चेयर कार और एग्जेक्यूटिव चेयर कार होती हैं.

दुरंतो का नाम बंगाली शब्द से पड़ा
दुरंतो नाम बंगाली शब्द निर्बाद यानी Restless से पड़ा है. इस ट्रेन में सफर करने के दौरान सबसे कम स्टॉपेज होते हैं. यह बेहद लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेन है. इसकी रफ्तार करीब 140 किमी के आसपास रहती है. यह राजधानी और शताब्दी से भी ज्यादा संख्या में चलती है. दुरंतो में LHB स्लीपर कोच होते है जो कि आम ट्रेनों से ऊंचे होते हैं.

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राजधानी, शताब्दी, दूरंतो... जानिए भारतीय रेलवे में कैसे तय किए जाते हैं ट्रेनों
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राजधानी, शताब्दी, दूरंतो... जानिए भारतीय रेलवे में कैसे तय किए जाते हैं ट्रेनों के नाम