डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कई रक्षा और प्रौद्योगिकी सौदों और पहलों की घोषणा की है. अब अमेरिका जेट इंजन, हथियारबंद सीगार्जियन ड्रोन, सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग प्लांट से लेकर अतंरिक्ष तक में भारत का साथ निभाएगा. व्हाइट हाउस में गुरुवार को हुई दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद अब बैठक से जुड़ी अहम जानकारियां सामने आ रही हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने जीई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच हस्ताक्षरित जेट इंजन सौदे को मील का पत्थर बताया और अमेरिकियों ने इसे अभूतपूर्व और अग्रणी दोनों बताया. अगली पीढ़ी के तेजस लड़ाकू विमानों के लिए एचएएल के साथ संयुक्त रूप से जीई भारत में एफ-414 इंजन का निर्माण करेगा.
किन क्षेत्रों में अमेरिका देगा भारत का सात?
अमेरिका और भारत के बीच हुआ यह सौदा, पहले से कहीं अधिक अमेरिकी जेट इंजन टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर को मुमकिन करेगा. दोनों देश एक-दूसरे की हर तरह से मदद के लिए प्रतिबद्ध हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जो बाइडेन ने संयुक्त रूप से कहा है कि जनरल एटॉमिक्स के सशस्त्र एमक्यू-9बी सीगार्जियन यूएवी खरीदने की भारत की योजना पर अब काम होगा, जिसे भारत में असेंबल किया जाएगा.
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भारत और अमेरिका के बीच ड्रोन डील
ड्रोन विभिन्न क्षेत्रों में भारत के सशस्त्र बलों की खुफिया, निगरानी और जासूसी क्षमताओं को बढ़ाएंगे. प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान को मंजूरी देते हुए, जनरल एटॉमिक्स स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए भारत के दीर्घकालिक लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए भारत में एक व्यापक वैश्विक एमआरओ सुविधा भी स्थापित करेगा.
भारत में होगी अमेरिकी जहाजों की मरम्मत
रक्षा घोषणाओं में रक्षा उद्योगों को नीतिगत दिशा प्रदान करने और उन्नत रक्षा प्रणालियों के सह-उत्पादन को सक्षम करने के लिए एक रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप को अपनाना और अमेरिकी नौसेना के जहाजों की मरम्मत के लिए भारतीय शिपयार्ड के साथ मास्टर शिप मरम्मत समझौता शामिल है. लैम रिसर्च से लेकर माइक्रोन टेक्नोलॉजी तक, कई सेक्टर में साथ निभाएगा अमेरिका अमेरिका और भारत 20 से 25 क्षेत्रों में एक मजबूत भागीदारी निभाने वाले हैं.
भारत में एक नया सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण संयंत्र के निर्माण के लिए माइक्रोन टेक्नोलॉजी द्वारा 82.5 करोड़ का निवेश; लैम रिसर्च द्वारा 60,000 भारतीय इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने का प्रस्ताव, एप्लाइड मटेरियल्स द्वारा भारत में एक सहयोगी इंजीनियरिंग केंद्र स्थापित करने के लिए 40 करोड़ डॉलर का निवेश शामिल है.
आर्टेमिस समझौते पर भी बनी सहमति
संयुक्त बयान में भारत ने आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर करने का उल्लेख किया, जो चंद्रमा, मंगल और संभावित खनिज-समृद्ध क्षुद्रग्रहों की खोज और दोहन के लिए मानदंड निर्धारित करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाला समझौता है. संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में समझौतों की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, आर्टेमिस समझौते में शामिल होने के निर्णय लेकर हमने अपने अंतरिक्ष सहयोग में एक बड़ी छलांग लगाई है.
और किन क्षेत्रों में साथ आएंगे भारत-अमेरिका?
- दोनों पक्षों ने उन्नत दूरसंचार पर संयुक्त कार्यबल भी लॉन्च किया, जो ओपन आरएएन और 5जी/6जी प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास पर केंद्रित है. इस उद्देश्य सुरक्षित और भरोसेमंद दूरसंचार, लचीली आपूर्ति श्रंखला और वैश्विक डिजिटल समावेश का निर्माण है.
- दोनों पक्षों ने उद्योग, शिक्षा जगत और सरकार के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाने और एक व्यापक क्वांटम सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते की दिशा में काम करने के लिए भारत-अमेरिका क्वांटम कॉर्डिनेशन सिस्टम की स्थापना की घोषणा की.
- दोनों नेताओं ने भारत में छह परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) और अमेरिका के वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी (WEC) के बीच चल रही चर्चा का भी जायजा लिया. नेताओं ने कोव्वाडा परमाणु परियोजना के लिए एक तकनीकी-वाणिज्यिक प्रस्ताव विकसित करने के लिए वेस्टिंगहाउस के साथ गहन परामर्श का स्वागत किया. (इनपुट: IANS)
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जेट इंजन से लेकर ड्रोन तक, किन सेक्टर्स में भारत का साथ निभाने के लिए तैयार हुआ अमेरिका?